हिमाचल प्रदेश को खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है. यहां हर मौसम में प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाया जा सकता है. लेकिन अगर आप भागदौड़भरी जिंदगी से ऊब कर थोड़े समय के लिए सस्ते में आबोहवा बदलना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्यटन स्थल कसौली एक बेहतरीन विकल्प है. समुद्रसतह से लगभग 1,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कसौली हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है जो अपनी खुशनुमा आबोहवा के लिए दुनियाभर में लोकप्रिय है.
ब्रिटिशों द्वारा विकसित एक छोटा शहर, कसौली अभी भी अपना प्राचीन आकर्षण समेटे हुए है. 1857 में जब भारत की आजादी की पहली लड़ाई प्रारंभ हुई तब कसौली ने भी भारत के सैनिकों के बीच एक विद्रोह देखा. कसौली का प्रशासन सेना के हाथ में है और यह मूलतया सैनिक छावनी है.
खूबसूरत हिलस्टेशन कसौली चंडीगढ़ से शिमला जाने वाली सड़क की आधी दूरी पर स्थित है. धरमपुर कसौली का सब से नजदीकी रेलवेस्टेशन है जहां टौय ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है. फिर यहां से किसी भी बस द्वारा कसौली पहुंचा जा सकता है. सड़क मार्ग से करीब 3 घंटे में कालका से कसौली पहुंच सकते हैं. पूरा रास्ता चीड़ यानी देवदार के वृक्षों से आच्छादित है. इस क्षेत्र में वाहनों के आने का समय निश्चित है जिस के कारण पर्यटक स्वच्छंद रूप से वादियों का लुत्फ उठाते हैं.
यहां सर्वाधिक चहलपहल वाले स्थान अपर और लोअर माल हैं, जहां की दुकानों पर रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं और पर्यटकों के लिए सोविनियर बिकते हैं. लोअर मौल में अनेक रेस्तरां है, जहां स्थानीय फास्टफूड मिलता है.
पलपल बदलता मौसम
मानसून के दिनों में वर्षा की बौछार पड़ते ही कसौली की हरियाली देखते ही बनती है. बारिश थमी नहीं कि चारों तरफ कुहासे का साम्राज्य हो जाता है और पर्यटक उस में घूमने निकल पड़ते हैं. यहां का मौसम पलपल अपना रंग बदलता है, कभी बादलों का समूह पलभर में ही धूप के नीचे छाकर बरस पड़ता है तो दूसरे ही पल मौसम साफ हो जाता है और तनमन को रोमांचित करने वाली खुशनुमा हवा बहने लगती है. कसौली का मौसम इतना सुहावना होता है कि कसौली पहुंचने से 2-3 किलोमीटर पहले से आप को कसौली में प्रवेश करने का एहसास हो जाएगा.
अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर महीने में यहां आने का बेहतरीन समय होता है. यहां के पेड़पौधों पर इस मौसम का जो रंग चढ़ता है, उसे फूलपत्तों पर महसूस किया जा सकता है. बर्फ का आनंद उठाने की चाह रखने वाले पर्यटकों को यहां दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाली ओस जैसी बर्फ की बारिश भी खूब गुदगुदाती है.
मंकी पौइंट
मंकी पौइंट कसौली की सब से लोकप्रिय जगह और सर्वाधिक ऊंची चोटी है और यह कसौली से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान से सतलुज नदी, चंडीगढ़ और बर्फ से ढकी चूर चांदनी चोटी, जो हिमालय श्रेणी की सब से ऊंची चोटी है, का स्पष्ट दृश्य देखा जा सकता है. कसौली के सब से ऊंचे इस पौइंट पर पर्यटकों की खासी भीड़ रहती है. मंकी पौइंट का संपूर्ण क्षेत्र भारतीय वायुसेना के नियंत्रण में है. इस स्थान की सैर के लिए पर्यटकों को अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है. इस परिसर में कैमरा ले जाने की अनुमति भी नही है. इस स्थान तक कार द्वारा या पैदल पहुंचा जा सकता है. मंकी पौइंट से प्रकृति की दूरदूर की अनुपम छटा दिखती है. पर्यटक सुबहशाम मंकी पौइंट तथा दूसरी ओर गिलबर्ट पहाड़ी पर टहलने निकलते हैं. इन दोनों जगहों पर पिकनिक मनाने वालों की हमेशा भीड़ लगी रहती है.
मंकी पौइंट की ओर जाने वाला मुख्य रास्ता एयरफोर्स गार्ड स्टेशन से हो कर लोअर मौल तक जाता है, जिस के लिए व्यक्ति को पहले पंजीकरण कराना आवश्यक है. यहां सायं 5 बजे प्रवेश बंद हो जाता है.
कसौली में अंगरेजों द्वारा 1880 में स्थापित कसौली क्लब भी अपनेआप में एक देखने की जगह है. देश के नामचीन क्लबों में शामिल इस क्लब की सदस्यता के लिए 20 सालों की वेटिंग चलती है.
रचनात्मकता और स्वास्थ्य लाभ का ठिकाना
मनमोहक और स्वास्थयवर्धक वादियां कसौली को रचनात्मक लोगों के लिए बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाती हैं. इस जगह ने खुशवंत सिंह, मोहन राकेश, निर्मल वर्मा और गुलशन नंदा जैसे नामचीन साहित्यकारों को भी साहित्य सृजन के लिए आकर्षित किया और इस जगह ने उन्हें इतना प्रेरित किया कि खुशवंत सिंह के अलावा अनेक नामचीन हस्तियां यहां अपना आशियाना बनाने के लिए मजबूर हो गई. रचनात्मकता के अतिरिक्त लोग यहां स्वास्थ्य लाभ के लिए भी आते हैं. कसौली की अच्छी आबोहवा के कारण यहां पर क्षय रोगियों के लिए एक सैनेटोरियम भी बनाया गया है. शायद यही वजह थी कि अंगरेजों ने इसे हिलस्टेशन के रूप में व्यवस्थित रूप से विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
कहां ठहरें : यहां ठहरने की बेहतर व्यवस्था है. यहां दर्जनों अच्छे होटल, रिजौर्ट्स, गैस्टहाउस आदि हैं.