म्युचुअल फंड के निवेश से जुड़े कई तरह के मिथ होते हैं. अगर आप म्युचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो आपका इन बातों को जानना जरूरी है…

म्युचुअल फंड में रिस्क है : म्युचुअल फंड निवेश का एक जरिया है. इनके जरिए इक्विटी, डेट कमोडिटी में निवेश किया जा सकता है. बड़े तौर पर म्युचुअल फंड आपकी एसेट की रिस्क घटाते हैं. 1 शेयर के बदले अलग अलग शेयरों का गुच्छा कम रिस्की है. भारत में 70 फीसदी पैसा /uex लगाया जाता है. इसमें इतना उतार-चढ़ाव नहीं है.

क्या सभी म्युचुअल फंड शेयर बाजार में निवेश करते हैं : नहीं. हम आपको बताना चाहते हैं कि ऐसा आवश्यक नहीं है. इनके जरिए इक्विटी, डेट कमोडिटी में निवेश किया जाता है. इक्विटी (निष्पक्ष) स्कीम में निवेश करने से टैक्स में फायदा मिलेगा : ये बातें आधी सही और आधी पूरी तरह गलत होती हैं. अगर आप सिर्फ इक्विटी लिंक्ड स्कीम यानि ‘इएलएसएस’ में निवेश करते हैं तो ही आपको टैक्स में छूट (सेक्शन 80 सी के तहत) मिलेगी.

म्युचुअल फंड में निवेश के लिए एकमुश्त या लम्पसम 1 लाख रुपए की जरूरत होती है : ये बात बिल्कुल गलत है. ऐसा नहीं है. आप अधिकतर म्युचुअल फंड कंपनियों में कम से कम 500 रुपए से निवेश की शुरूआत कर सकते हैं. आईसीआईसीआई पू्रडेंशियल और एचडीएफसी म्युचुअल आदि निजी फंड्स में कुछ ऐसी स्कीम्स हैं जिसमें निवेश की रकम अपने आप बढ़ जाती है. इसके जरिए आप मोटा पैसा इकठ्ठा कर सकते हैं.

अगर एक बार एसआईपी करें और एक महीने पैसे नहीं जमा करवा सकें : अगर किसी कारणवश आप एक माह पैसा नहीं जमा कर सके तो कुछ भी नहीं होगा. आप हर महीने फंड मैनेजर को पैसे दे रहे हैं और एक महीने नहीं दिए तो कुछ नहीं होगा. हम आपको बता देना चाहते हैं कि ये किसी ईएमआई चेक बाउंस होने जैसा नहीं है, अगर आपका एसआईपी का चेक बाउंस होता है तो आपको बैंक चार्ज देना होगा. इससे ज्यादा और कुछ नहीं.

म्युचुअल फंड में निवेश लंबे समय के लिए ही करना चाहिए : म्युचुअल फंड्स कई तरह के होते हैं. कुछ लिक्विड फंड भी इसमें आप ज्यादा रकम थोड़े समय के लिए निवेश कर सकते हैं. दूसरी तरफ इक्विटी फंड में लंबे समय तक थोड़ा थोड़ा निवेश कर सकते हैं. परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि निवेश केवल लंबे समय के लिए ही करना चाहिए.

क्या आप ये बात जानते हैं कि म्युचुअल फंड सलाहकार को निवेश किए गए पैसे में कुछ प्रतिशत कमीशन मिलता है. कई बार, कई सलाहकारों को इससे मतलब नहीं होता कि आप कौन से फंड में निवेश कर रहे हैं. ये एक मिथ है कि कम एनएवी वाले प्रोडक्ट सस्ते होते हैं. लेकिन वो सस्ते नहीं होते और आपको एनएवी की चिंता नहीं करनी चाहिए.

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