‘‘मेरे सम्मानित बड़े भाई मुकेश और उन की पत्नी नीता को मौजूदा कठिन समय के दौरान मेरे साथ खड़े रहने, हमारे मजबूत पारिवारिक मूल्यों के प्रति सच्चे रहने के महत्त्व का प्रदर्शन करने के लिए मेरा हार्दिक धन्यवाद,’’ यह कहा था अनिल अंबानी ने. 2002 में धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद अनिल और मुकेश अंबानी पिता के कारोबार को ले कर लड़ते रहे और 2005 में दोनों के बीच रिलायंस एंपायर का बंटवारा हो गया. अनिल अंबानी अपनी फर्म रिलायंस कम्युनिकेशंस और टैलीकौम दिग्गज एरिक्सन के बीच एक सौदा टूटने के बाद पैसे का भुगतान करने में विफल रहे. ऐसे में मुकेश अंबानी ने छोटे भाई का भारी कर्ज चुकाया जिस से वह जेल जाने से बच गया. उपरोक्त उद्गार तब अनिल अंबानी ने बड़े भाई के सम्मान में कहे थे. ऐसी घटनाएं, बातें जब सामने आती हैं तब महसूस नहीं होता कि खून के रिश्तों का प्यार दिल के कोने में कहीं न कहीं तो दबा ही रहता है.

हम कितनी ही नफरत, द्वेष, ईर्ष्या क्यों न कर लें लेकिन जब अपने भाईबहन को मुशकिल में देखते हैं तो दिल में कुछ दरकने सा लगता है. ऐसे में सवाल है कि अपने ही भाईबहनों के बीच खासकर भाईभाई में ईर्ष्या प्रतिद्वंद्विता पैदा होती ही क्यों है? आधुनिक समय में रिश्तों की परिभाषा बदल चुकी है. जबकि कई धार्मिक ग्रंथों में बड़े भाई को सर्वोपरि रखा गया है. परिवार में बड़े भाई की बात कानून की तरह मानी गई है. महाभारत में वर्णित है कि लालच की वजह से कौरव और पांडवों में युद्ध हुआ. आज के समय में महाभारत की तरह अपने स्वार्थों को ले कर भाईबहनों में ईर्ष्या, लड़ाई झगड़ा देखने को मिल रहा है. कई बौलीवुड फिल्में भी इस थीम को ले कर बनी हैं. क्या है कारण एकसाथ बड़े हुए बच्चों के बीच जलन भाव क्यों होता है. कहते हैं कि बच्चों के बीच तुलना कर के मातापिता बच्चे में जलन पैदा करते हैं. दूसरे बच्चे के आने पर पहला बच्चा भी सब की तरह खुश होता है. आने वाले अपने नए भाई से वह भी प्यार करता है,

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