मशहूर बौलीवुड गायिका पद्म श्री डाॅं.अनुराधा पौड़वाल को संगीत जगत में  योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री के अलावा सर्वश्रेष्ठ गायिका का एक राष्ट्रीय  पुरस्कार, चार फिल्म फेअर पुरस्कार सहित कई पुरस्कारो से नवाजा जा चुका है.

अपने पति अरूण पौड़वाल के निधन के बाद से डाॅ. अनुराधा पौड़वाल ने अपना एनजीओ ‘‘सूर्योदय फाउंडेशन’’बनाकर समाज सेवा के कार्य करने शुरू किए.

वह हर वर्ष कुछ म्यूजीषिनो को सम्मानित करती हैं.इसी वजह से उन्हे ‘मदर टेरेसा’के अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है. कोरोना महामारी के दौरान डाॅ.अनुराधा पौड़वाल ने महाराष्ट्र के   अस्पतालों  में बीस आॅक्सीजन कंसेट्ेटर  व एक एम्बुलेंस मुहैया करायी थी. इतना ही नही इन दिनों वह जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित हैं.

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इसलिए इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं.डाॅ.अनुराधा पौड़वाल ने पानी बचाव मुहीम भी शुरू की है और उन्होंने पानी को फेंकने की बजाय उसे शुद्ध कर पुनः उपयोग करने के लिए एक माॅडल बनाया है. जिसे उनके एनजीओ ‘सूर्योदय फाउंडेशन’ने ‘जल संरक्षण का संपूर्ण माॅडल’नाम दिया है.उन्होने यह माॅडल खासकर छात्रों के लिए बनाया हैऔर इसे छात्रों के बीच ही वितरति कर उन्हें जलसंरक्षण की बात समझानी शुरू की है.

इसी पहल के हत पद्म श्री डॉ. अनुराधा पौडवाल ने ‘सूर्योदय फाउंडेशन’की तरफ से स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में छात्रों को जल संरक्षण का पूरा माॅडल देकर अपनी तरह की पहली पहल की है.अनुराधा पौडवाल संकट से निपटने के लिए निस्वार्थ रूप से अपना समय और ऊर्जा समर्पित कर रही हैं और एक बहुत ही आवश्यक बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं.पानी बचाने के उनके कार्य लोगों को जिम्मेदार तरीके से पानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती हैं.

खुद अनुराधा पौडवाल कहती हैं-‘‘हमारे देश ही नही पूरे विश्व  की मानव आबादी दिन प्रतिदिन नियमित रूप से बढ़ती जा रही है,जबकि हमारे जलसंसाधन काफी सीमित हैं.

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जिसके चलते गंभीर तनाव पैदा हो गया है.अब जरुरत है कि पानी कोटि का ऊ बनाने के लिए कई तरीके अपनाए जाएं.लोगों को अपने पानी के बिल में कटौती करने के लिए एक सरल लेकिन अक्सर उपेक्षित रणनीति अपनानी चाहिए और वह रणनीति यह है कि लोग अपने पानी का दोबार उपयोग करें।बिजली के विपरीत, पानी का बार-बार पुनः उपयोग किया जा सकता है. यही है जल संरक्षण का विचार।पानी शुुद्धिकरण की कई तकनीक मोजूद हैं.‘‘

डाॅ.पौड़वाल आगे कहती हें-‘‘“लोग अक्सर स्कूल और विश्व विद्यालयों की उपेक्षा करते हैं. जबकि इन स्थानों को जलसंरक्षण के लिए सर्वो परि होना चाहिए. अगर हम छात्रों में पानी बचाने की आदत डालेंगे,तो भविष्य में बदलाव देखने को मिलेगा. इसीलिए मैने कालेजों मे जाकर छात्रों को ‘जल संरक्षण माॅडल’देेने की पहली की शुुरूआत की है.

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