क्रिकेट में कहा जाता है कैचेज विन मैचेज (catches win matches). यानी मैच जीतने के लिए कैच पकड़ना बेहद जरुरी है. अकसर ही देखा गया है कि कभी कभी ड्रॉप्ड कैच टीम को इतना मंहगा पड़ जाता है कि मैच का नतीजा ही बदल जाता है. लगभग सभी बल्लेबाज अपनी लंबी पारी में कभी न कभी कैच के मौके देते ही हैं. आइए एक नजर डालते हैं कैच छूटने से किस खिलाड़ी या टीम को हुआ फायदा और किसे हुआ नुकसान.
इंजमाम-उल-हक
अब तक का सबस मंहगा कैच पाकिस्तान के इंजमाम-उल-हक का रहा है. लाहौर में 2002 में न्यूजीलैंड के खिलाफ इंजमाम ने 329 रन बनाए थे लेकिन जब वह 32 के स्कोर पर थे, उनका कैच छूट गया था. मतलब इंजमाम का ये कैच न्यूजीलैंड को 297 रनों की चपत लगा गया.
महेला जयवर्धने
इस मामले में महेला जयवर्धने का रिकॉर्ड कमाल का है. उन्होंने 2006 में कोलंबो टेस्ट में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 374 रन बनाए थे लेकिन कैच का एक भी मौका नहीं दिया.
मार्क टेलर
वैसे इतिहास में और भी मंहगे कैच साबित हुए हैं. 1998 में पेशावर टेस्ट में सईद अनवर ने मार्क टेलर (नाबाद 334) का 18 रन पर कैच छोड़ा था.
सचिन तेंदुलकर
ड्रॉप्ड कैच के मामले में भारत के सचिन तेंदुलकर की भी किस्मत अच्छी रही. 2004 में ढाका में सचिन ने अपना सर्वाधिक स्कोर 248 बनाया था लेकिन उनका भी शून्य पर कैच छोड़ा गया था.
ब्रेन लारा
लारा ने 2004 में इंग्लैंड के खिलाफ नबादा 400 रन बनाए थे और इस दौरान उन्होंने कैच के मौके लगभग न के बराबर दिए थे.
कुमार संगकारा
ड्रॉप्ड कैच के मामले में श्रीलंका के कुमार संगकारा सबसे किस्मतवाले रहे हैं. 2004 में बुलावायो टेस्ट में संगकारा ने 270 रन बनाए थे लेकिन जब उन्होंने खाता भी नहीं खोला था तब उनका कैच ड्रॉप हुआ था.
ग्राहम गूच
1990 में भारत के विकेट कीपर किरण मोरे ने लॉर्ड्स टेस्ट में ग्राहम गूच का 36 के स्कोर पर कैच छोड़ा था. इसके बाद गूच ने 333 की पारी खेली.
4 बल्लेबाज ऐसे भी हैं जिन्हें एक पारी में 5 बार मिला जीवनदान
2004 में जिंबाब्वे के एंडी ब्लिगनॉट (नाबाद 84) भारत के खिलाफ पांच बार जीवन दान मिला था. तीन कैच तो उनके लगातार छूटे थे और बदकिस्मत बॉलर थे जहीर खान. इसके अलावा हाशिम अमला (253, नागपुर, 2010), तौफीक उमर (135, सेंट किट्स, 2011) और केन विलियम्सन (नाबाद 242, वेलिंगटन, 2014) पर भी फील्डर मेहरबान रहे हैं. वीरेंद्र सहवाग के सबसे ज्यादा 68 कैच छोड़े गए हैं.