मोहम्मद साहब के मुताबिक, मनमाना तलाक अत्यंत बुरे कार्यों में से एक है. बावजूद इस के, मुसलिम समाज में 3 तलाक की प्रथा खूब प्रचलित रही मगर औरतों द्वारा दिए गए तलाक के तरीकों का ज्यादा प्रचार नहीं हुआ. जबकि मुसलिम औरत कई तरीकों से अपने पति को तलाक दे सकती है.

1. तलाक ए ताफवीज :
ताफवीज का अर्थ होता है ‘प्रत्यायोजन’. प्रत्यायोजन का अर्थ यह है कि कोई भी मुसलिम पुरुष किसी शर्त के अधीन अपने तलाक दिए जाने के अधिकार को मुसलिम स्त्री को प्रत्यायोजित कर सकता है. अपना तलाक देने का अधिकार वह मुसलिम स्त्री को सौंप सकता है. ‘बफातन बनाम शेख मेमूना बीवी एआईआर (1995) कोलकाता (304)’ मामले में पति पत्नी के बीच में करार किया गया कि यदि उन के बीच कभी असहमति होती है तो पत्नी को अलग रहने का अधिकार होगा और पति भरणपोषण देने के लिए बाध्य होगा. तय हुआ कि यदि पति अपनी पत्नी के भरणपोषण प्रदान करने में असमर्थ होता है तो पत्नी विवाह विच्छेद प्राप्त करने की हकदार होगी. महराम अली बनाम आयशा खातून के वाद में पति ने पत्नी को अधिकार प्रदान किया था कि यदि वह पत्नी की सहमति के बिना दूसरा विवाह करेगा तो पत्नी ताफवीज का प्रयोग कर के उसे तलाक देगी. इस अधिकार का प्रयोग कर के पत्नी द्वारा अपने पति को दिया गया तलाक वैध व मान्य है.

2. खुला :
इसलाम धर्म के आगमन के पूर्व एक पत्नी को किसी भी आधार पर विवाह विच्छेद की मांग का अधिकार नहीं था. कुरान द्वारा पहली बार पत्नी को तलाक प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हुआ था. फतवा ए आलमगीरी, जोकि भारत में मुसलमानों की मान्यताप्राप्त पुस्तक है, में कहा गया है कि जब विवाह के पक्षकार राजी हैं और इस प्रकार की आशंका हो कि उन का आपस में रहना संभव नहीं है तो पत्नी प्रतिफलस्वरूप कुछ संपत्ति पति को वापस कर के स्वयं को उस के बंधन से मुक्त कर सकती है.

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‘खुला’ एक प्रकार का पारस्परिक सम्मति द्वारा विवाह विच्छेद होता है, जिस में पतिपत्नी दोनों की इच्छा से विवाह विच्छेद कर दिया जाता है. मुंशी बुजुल उल रहमान बनाम लतीफुन्नीसा के वाद में प्रिवी काउंसिल के माननीय न्यायाधीशों द्वारा ‘खुला’ की उपयुक्त परिभाषा की गई है. ‘खुला’ के द्वारा तलाक पत्नी की संपत्ति और प्रेरणा से दिया गया एक ऐसा तलाक है जिस में विवाह बंधन से अपने छुटकारे के लिए वह पति को कुछ प्रतिफल देती है या देने की संविदा करती है. ऐसे मामले में पति और पत्नी आपस में करार कर के शर्तें निश्चित कर सकते हैं और पत्नी प्रतिफलस्वरूप अपने मेहर को और अधिकारों को छोड़ सकती है अथवा पति के लाभ के लिए कोई दूसरा करार कर सकती है. ‘खुला’ में पत्नी द्वारा तलाक का प्रस्ताव रखा जाता है. असल में ‘खुला’ पत्नी द्वारा पति से खरीदा गया तलाक का अधिकार है.

3. मुबारत :
मुबारत का अर्थ होता है पारस्परिक छुटकारा. मुबारत में प्रस्ताव चाहे पत्नी की ओर से आए या पति की ओर से, उस की स्वीकृति तलाक कर देता है. पत्नी को इद्दत काल (3 माह) का पालन करना अनिवार्य होता है ताकि यह तय हो सके कि कहीं वह अपने पति द्वारा गर्भवती तो नहीं है. मुबारत भी विवाह विच्छेद का एक तरीका है. मुबारत में अरुचि पारस्परिक होती है. पतिपत्नी दोनों अलग होना चाहते हैं, इस कारण इस में पारस्परिक सम्मति का तत्त्व निहित रहता है. दोनों ओर से सहमति होने पर मुबारत तलाक हो जाता है.

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खुला और मुबारत में सब से महत्त्वपूर्ण अंतर यह है कि मुबारक दोनों पक्षकारों में से कहीं से भी किया जा सकता है परंतु ‘खुला’ का प्रस्ताव केवल स्त्री द्वारा रखा जाता है. मुबारत में किसी पक्षकार को कोई धनराशि किसी भी पक्षकार को नहीं देनी होती है. खुला का प्रस्ताव पति के तैयार नहीं होने की स्थिति में रखा जाता है परंतु मुबारत में दोनों सहमत होते हैं. भारतीय मुसलमानों में वर्तमान में सब से अधिक इसी तलाक का प्रचलन है.

4. लिएन :

जब कोई पति अपनी पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाए, किंतु आरोप झूठा हो, वहां पत्नी का अधिकार हो जाता है कि वह दावा कर के विवाह विच्छेद कर ले. पति यदि अपनी पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाता है या पति कहता है कि पत्नी ने किसी अन्य पुरुष के साथ सैक्स किया है तो ऐसे में यदि आरोप झूठा निकलता है तो स्त्री इस आधार पर तलाक मांग सकती है.

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