जोधपुर के महाराज का महल जो एक फाइव स्टार होटल में तब्दील हो चुका है, 14 अक्टूबर 2016 की शाम फूलों की खुशबु और रंगीन रौशनी से जगमगा रहा था. उस शाम वहां बॉलीवुड के चमकते चेहरे महफ़िल की रौनक बढ़ा रहे थे. शहर के नामचीन लोगों का जमावड़ा लगा था. और इन सबके बीच एक चेहरा ख़ास था –  हीरा सम्राट नीरव मोदी का, जो इस दिन इस शाही होटल में अपने विवाह की पांचवी वर्षगांठ मना रहा था. पार्टी में देश के करोड़पतियों और बॉलीवुड की हस्तियों को मिलाकर लगभग 100 लोग शामिल रहे होंगे. नीरव मोदी की शानोशौकत और रसूख का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस शाम मोदी कपल और उनके मेहमानों के स्वागत के लिए खुद  जोधपुर के महाराजा गज सिंह (द्वितीय) वहां पधारे थे. जोधपुर के लोगों के लिए यह आश्चर्य की बात थी क्योंकि महाराजा गज सिंह बेहद रिजर्व किस्म के आदमी माने जाते हैं. ख़ास बात यह थी कि उस दिन पार्टी में लखदख कपड़ों में सजी महिलाओं ने नीरव मोदी ब्रांड के बेशकीमती हीरों के गहने पहन रखे थे.

वही नीरव मोदी जो कभी हीरों का बादशाह था, जिसे ‘हीरा किंग’ के नाम से पुकारा जाता था, आज घोटालेबाज़ और भगोड़े के नाम से पुकारा जाता है. कभी शानोशौकत और ऐशो आराम की ज़िन्दगी गुज़ारने वाला मोदी लंदन की काल कोठरी के अँधेरे कोने में बैठा अपनी आज़ादी की भीख मांग रहा है.

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नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब दो अरब डॉलर की ऋण धोखाधड़ी करने तथा मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भारत में वांछित है. भारतीय जांच एजेंसियों ने इंटरपोल की मार्फत पहले नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी के इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराए थे. जिनके आधार पर नीरव मोदी को लंदन में गिरफ्तार किया गया था. 19 मार्च, 2019 को गिरफ्तार किए गए नीरव मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग, सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को डराने की साजिश रचने का आरोप है. नीरव मोदी पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से लंदन की जेल में बंद है. भारत की जांच एजेंसियां सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ही मोदी की संपत्तियों की छानबीन और जब्ती कर रही हैं. बीते दो साल से उसको भारत लाये जाने के प्रयास हो रहे हैं, मगर वह किसी ना किसी तरह कानून की ज़द में आने से बच जाता था. हालांकि अब उसके सारे दांव उलटे पड़ने लगे हैं और भारत लाये जाने की राहें आसान होती नज़र आ रही हैं.

लंदन की अदालत के हालिया फैसले ने पंजाब नेशनल बैंक से घोटाले के आरोपी भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की भारत आने के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. लंदन की निचली अदालत के बाद अब ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने भी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण किए जाने की फाइल पर अपनी मुहर लगा दी है. नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण करने के लिए लंदन की अदालत ने 25 फरवरी को आदेश जारी किए थे. जज सेमुअल गूजी ने कहा था कि नीरव मोदी को भारत में चल रहे केस में जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि नीरव मोदी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.  दो साल चली कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला आया था. गौरतलब है कि घोटाला सामने आने के बाद वह जनवरी 2018 में भारत छोड़कर फरार हो गया था. फिलहाल वह लंदन की एक जेल में कैद है. जज  सेमुअल गूजी का कहना था कि नीरव मोदी को भारत भेजा जाता है तो ऐसा नहीं है कि उन्हें वहां इंसाफ न मिले. कोर्ट ने नीरव मोदी की मानसिक स्थिति ठीक न होने की दलील भी खारिज कर दी और कहा कि ऐसा नहीं लगता उन्हें ऐसी कोई परेशानी है. कोर्ट ने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 को नीरव के लिए फिट बताया.

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अपनी गिरफ्तारी के बाद नीरव मोदी ने भारतीय एजेंसियों के दावे को अदालत में चुनौती दी थी और अपनी जमानत याचिका भी दाखिल की, मगर लंदन कोर्ट ने भारतीय जांच एजेंसियों के वकील और नीरव मोदी के वकील की दलील सुनने के बाद नीरव मोदी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उसे जेल में ही रखने के आदेश दिए. नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण करने के लिए मुकदमा लगातार लंदन की कोर्ट में चलता रहा और इसी साल 25 फरवरी को लंदन की निचली अदालत ने नीरव मोदी को विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत दोषी मानते हुए उसे भारत प्रत्यर्पण करने के आदेश जारी कर दिए. इसके साथ ही कोर्ट ने अपनी फाइल लंदन के गृह मंत्रालय को भेज दी. नियमानुसार जब कोई न्यायालय लंदन में पकड़े गए किसी बाहरी देश के नागरिक को उसे उसके देश वापस प्रत्यर्पण करने का आदेश देता है तो उस फाइल पर इंग्लैंड के गृह मंत्रालय की मोहर लगनी भी जरूरी होती है और यह पूरी कार्रवाई 28 दिनों के भीतर होनी जरूरी मानी जाती है.

पुश्तैनी धंधे ने दी थी नीरव को ऊंचाइयां  

गुजरात का सूरत शहर हीरों के कारोबार के लिए दुनिया भर में मशहूर है. तीस और चालीस के दशक में यहाँ हीरा कारोबारी केशवलाल मोदी ने अपने हीरे का व्यापार खूब बढ़ाया. 1940 में केशवलाल सिंगापुर चले गए और वहां हीरों का व्यवसाय करने लगे.  केशवलाल के बेटे दीपक केशवलाल मोदी ने भी पिता के कारोबार से जुड़ कर उसको खूब बढ़ाया. पहले सिंगापुर और फिर भारत में भी उन्होंने कारोबार फैलाया. 1960 में दीपक केशवलाल मोदी अपने कारोबार को और विस्तार देने के लिए बेल्जियम चले गए. बेल्जियम का बड़ा शहर एंटवर्प जो पूरी दुनिया में अपने नायाब और बेशकीमती हीरों के लिए विख्यात है, में रह कर दीपक ने कारोबार को भी खूब चमकाया. वह एंटवर्प से अनकट हीरे लाकर भारत में बेचने लगे. नीरव मोदी इन्ही दीपक मोदी की संतान है, जिसे वर्ष 1989 में 18 साल की उम्र में पिता दीपक ने पढ़ने के लिए अमेरिका के पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के वार्टन स्कूल भेजा था. नीरव ने इस यूनिवर्सिटी में जापानी और फाइनेंस की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया था.

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अभी पढ़ाई को साल ही गुज़रा था कि दादा और पिता का हीरा कारोबार कुछ आर्थिक परेशानियों में फंस गया. आर्थिक नुकसान 90 के दशक में और बड़ा हो गया तो नीरव अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आया और 19 बरस की कम उम्र में ही मुंबई में अपने चाचा के साथ हीरे का काम शुरू किया. तब चाचा से नीरव को तनख्वाह के तौर पर 3,500 रुपये प्रति माह मिलते थे. करीब दस साल के अथक परिश्रम के बाद नीरव मोदी के पास खुद के 50 लाख रुपए जमा हो गए और अब वह अपनी कंपनी खोलने का सपना देखने लगा.

वर्ष 1999 में नीरव मोदी ने ‘फायर स्टार’ नाम से हीरे का अपना कारोबार शुरू किया. पंद्रह लोगों की एक छोटी सी टीम के साथ नीरव ने कारोबार की शुरुआत की. गौरतलब है कि दुनिया में हीरे की 90 फीसदी कटिंग भारत में ही होती है. नीरव मोदी इस बात को बेहतर जानता था. लिहाजा उसने अपनी कंपनी के जरिए पॉलिश किए गए हीरों को अमेरिका और इंग्लैंड के बाजार में बेचना शुरू किया. मगर जल्द ही उसे समझ में आ गया कि सिर्फ पॉलिश किए गए हीरे बेचकर वो आगे नहीं बढ़ सकता है. उसने स्ट्रेटजी बदली और जूलरी के कारोबार में उतर पड़ा.

दरअसल नीरव मोदी जिन हीरा व्यवसाइयों को पॉलिश किए गए हीरे बेचता था, वो जब उन हीरों से जूलरी बनाते थे तब जूलरी के हिसाब से हीरे की फिर से कटिंग होती थी, जिसमें करीब 15-20 फीसदी हीरे का नुकसान हो जाता था. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 30 दिनों का वक्त भी लगता था.  नीरव मोदी ने अपने ग्राहकों से कहा कि वो उन्हें पॉलिश किए गए हीरे की बजाय उनकी जूलरी के हिसाब से हीरे दे देंगे, जिससे उनके ग्राहकों के पैसे और टाइम दोनों ही बचेंगे. उनके ग्राहक मान गए और इसके बाद नीरव मोदी ने कॉन्ट्रैक्ट पर अमेरिकी ग्राहकों के लिए जूलरी बनानी शुरू कर दी जिसने उसको सफलता के नए सोपान पर पहुंचा दिया.

बाज़ार पर पैनी नज़र

नीरव मोदी अपने कारोबार का कीड़ा था. वह हीरा बाज़ार के उतार चढ़ाव पर अपनी पैनी निगाह रखता था. यही उसकी सफलता का राज़ था. नीरव को अपनी कंपनी शुरू किये अभी ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ था जब हीरा मार्किट मंदी में जाने लगा और भारत के साथ ही चीन के हीरा कारोबारी भी थोक कारोबारियों और हीरा काटने वाली कंपनियों को बाइपास कर सीधे अमेरिका में कारोबार करने लगे. ये देख कर मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया. अमेरिका की एक कंपनी – फ्रेडरिक गोल्डमैन जो नीरव मोदी की कंपनी से सात गुना बड़ी थी, को खरीदने का ऑफर नीरव मोदी ने दिया. इस डील को पूरा होने में करीब डेढ़ साल लगे और  2005 में नीरव मोदी ने इस कंपनी को करीब 1 अरब 60 करोड़ रुपये में खरीद लिया. दो साल बाद 2007 में नीरव मोदी ने अमेरिका की 120 साल पुरानी कंपनी सैंडबर्ग एंड सिकोर्स्की को भी करीब 3 अरब 20 करोड़ रुपये में खरीद लिया.

संगीत और कला में गहरी रूचि रखने वाले नीरव मोदी को जूलरी डिज़ाइन में भी महारत हासिल थी. वह दुर्लभ किस्म के हीरों का बड़ा पारखी था. ये गुण उसे उसके दादा और पिता से मिले थे. इसी के साथ वह दुनिया भर के हीरा कारोबार पर गहरी नज़र रखता था.

2008 में जब दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी तब हीरा कारोबार भी काफी नुकसान में चला गया था. गुलाबी, नीले और सफेद रंग के दुर्लभ और बेशकीमती हीरों की कीमतें आसमान से जमीन पर आ गयी थीं. नीरव मोदी ने इस मौके का फायदा उठाया और बहुत कम कीमतों पर इन हीरों की खरीद की, लेकिन उसने उन्हें बेचने की बजाय उनसे जूलरी बनानी शुरू कर दी.

2010 का साल नीरव मोदी के लिए बेहद खास था. गोलकुंडा की खान से निकले 12 कैरेट के हीरे से नीरव मोदी ने लोटस नेकलेस बनाया था. नवंबर 2010 में इसे हॉन्ग कॉन्ग में नीलामी के लिए रखा गया, जहां इसकी नीलामी करीब 23 करोड़ रुपये में हुई.  इसके तुरंत बाद इसी साल नीरव ने नीरव मोदी ब्रैंड नाम से अपना डायमंड जूलरी का कारोबार शुरू किया. मुंबई से शुरू हुआ नीरव मोदी का कारोबार जल्दी ही कई देशों में फ़ैल गया और देखते ही देखते नीरव मोदी ने दिल्ली, मुंबई, न्यू यॉर्क, हॉन्ग कॉन्ग, लंदन और मकाउ में अपने स्टोर खोल लिए. भारत में नीरव का स्टोर ‘अर्गायल’ गुलाबी हीरे का इकलौता डिस्ट्रीब्यूटर है. उल्लेखनीय है कि अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा उसकी जूलरी की ब्रैंड अंबेसडर रह चुकी हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार का विस्तार

कलात्मक चीज़ों के प्रति नीरव मोदी का झुकाव हमेशा से रहा. प्रकृति, कला, कविता, आर्किटेक्टर और आभूषणों की नक्काशी उसको आकर्षित करती थी. वह कला का अच्छा पारखी भी था. अच्छी चीज़ों की तलाश में वह देश-विदेश की सैर किया करता था. इन यात्राओं ने उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार को फैलाने और लोगों से जुड़ने में मदद की. जल्दी ही वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रैंड बन गया और दुनिया  की मशहूर हस्तियां उसकी डिजाइन की हुई जूलरी खरीदने लगीं. उसकी सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब फरवरी 2016 में 88वें एकेडमी अवार्ड घोषित हुए इस कार्यक्रम में नीरव मोदी ब्रैंड भी शामिल था. इस मौके पर नीरव मोदी ब्रैंड के 100 कैरेट के बेशकीमती सफेद हीरे पहने हुए यूके की ख्यात अभिनेत्री केट एलिज़ाबेथ विंसलेट लाल कालीन पर चल रही थीं. वह क्षण नीरव मोदी के की ज़िन्दगी के बेहद गौरवशाली क्षण थे.

नीरव मोदी ‘क्रिस्टी’ और ‘सोथेबीस कैटलॉग’ पत्रिकाओं के कवर पर प्रदर्शित होने वाला पहला भारतीय जोहरी हैं. 2017 में फोर्ब्स पत्रिका ने नीरव मोदी को दुनिया के अमीर लोगों की सूची में स्थान दिया. सूची के मुताबिक नीरव मोदी की उस वक्त की कुल संपत्ति करीब 149 अरब रुपये की थी, जिसकी बदौलत उसे इस लिस्ट में जगह मिली थी. दुनिया भर में 100 जूलरी स्टोर खोलने की ख्वाहिश रखने वाले नीरव मोदी ने अपना पहला स्टोर 2014 में दिल्ली की डिफेन्स कॉलोनी में खोला था. इसके बाद 2015 में उसने मुंबई के काला घोड़ा में एक और फ्लैगशिप स्टोर खोला. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरव मोदी ने 2015 में ही न्यूयॉर्क और हॉन्ग कॉन्ग में अपने बुटीक खोले. फिर 2016 में हॉन्ग कॉन्ग में दो और बुटीक खोले. लंदन के बॉन्ड स्ट्रीट और मकाउ में भी उसका बुटीक है.

नीरव मोदी की हैसियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब नीरव मोदी को 2015 में न्यूयॉर्क के मेडिसन एवेन्यू में अपना बुटिक खोला था, तो उसके उद्घाटन समारोह में देश-दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की थी. इनमें अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प के अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री नाओमी वॉट्स, सुपर मॉडल कोको रोचा के साथ ही भारत से लीसा हेडन और निमरत कौर भी शामिल हुई थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़ास करीबियों में कभी नीरव मोदी का नाम भी शामिल था. 23 जनवरी, 2018 से स्विट्जरलैंड के दाओस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के 48वां अधिवेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत से एक प्रतिनिधिमंडल दाओस गया था. इस प्रतिनिधिमंडल में नीरव मोदी भी शामिल थे. वहीँ अम्बानी परिवार से भी नीरव मोदी के करीबी सम्बन्ध हैं. मुकेश अम्बानी की बहन दीप्ति सलगांवकर की बेटी इशिता की शादी नीरव मोदी के छोटे भाई नीशल मोदी से हुई है. 24 नवंबर, 2016 में इन दोनों की सगाई में मुकेश अंबानी के मुंबई वाले घर एंटीलिया में एक भव्य कार्यक्रम हुआ था जिसमें शाहरुख खान, आमिर खान, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, आलिया भट्ट और करण जौहर जैसी बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां शामिल हुई थीं.

प्रत्यर्पण में अभी समय लग सकता है 

लंदन गृह मंत्रालय की मुखिया प्रीति पटेल द्वारा नीरव मोदी प्रत्यर्पण की फाइल पर औपचारिक मुहर लगने के बाद भगोड़े उद्योगपति के भारत वापस आने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मगर गृह मंत्रालय की ओर से प्रत्यर्पण के आदेशों पर दस्तखत का मतलब ये नहीं है कि उसे तुरंत भारत भेज दिया जाएगा. गृह मंत्रालय की मंजूरी के बावजूद अभी नीरव मोदी हाईकोर्ट में अपील कर सकता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में अपील और ब्रिटेन में शरण लेने का रास्ता भी उसके पास है.

नीरव ने हाईकोर्ट में अपील की तो क्या होगा?
1. भारतीय जांच एजेंसियों को कोर्ट में साबित करना होगा कि नीरव पर लगे आरोप ब्रिटेन के कानून के तहत भी अपराध हैं.
2. अगर आरोप साबित होते हैं तो हाईकोर्ट नीरव के प्रत्यर्पण का ऑर्डर दे सकता है.
3. हाईकोर्ट यह भी देखेगा कि क्या नीरव के प्रत्यर्पण से मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं होगा.
4. ऐसे में नीरव को भारत लाने में भारतीय एजेंसियों को कम से कम 10 से 12 महीने का वक्त लग सकता है.
अगर नीरव मोदी इस फैसले को सुप्रीम अदालत में चुनौती नहीं देता है तो उसे अगले 28 दिनों के भीतर वापस भारत भेज दिया जाएगा.

 

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