वैसे तो बर्ड फ्लू पहले भी फैल चुका है. इस बार कोरोना वायरस के डर से बर्ड फ्लू तेजी से लोगों में डर की वजह बन गया. कोराना वायरस और बर्ड फ्लू के वायरस के लक्षण काफी मिलते जुलते है. बर्ड फ्लू का असर सबसे अधिक खानेपीने की दुकानों पर पडा. जहां ‘चिकन और अंडे‘ और उससे तैयार खाने की व्यंजन मिलते है. बर्ड फ्लू का असर पोल्ट्री फार्म के बिजनेस पर भी पडा. उत्तर प्रदेश में मुर्गी पालने वालों की संख्या 1 हजार से अधिक है. एक कारोबारी 25 से 30 लाख लगाकर बिजनेस शुरू करता है. पोल्ट्री फार्म में दो तरह का कारोबार होता है. पहला ब्रायलर यानि खाने वाला मुर्गा और दूसरा लेयर यानि अंडे देने वाली मुर्गी हो होता है. बर्ड फ्लू के कारण यह कारोबार 60 फीसदी घट गया.
खाने के लिये एक किलो मुर्गा तैयार करने में कम से कम 1 सौ रूपये की लागत आती है. यह अपने दाम पर ही नही बिकने रहा है. मीट खाने के शौकीनों में ज्यादातर लोग चिकन और अंडे की जगह मटन खाने लगे है. ‘नवाब एंड निजाम‘ नाम से लखनऊ और हैदराबाद के व्यंजनों को रेस्त्रां चला रही हिना शिराज कहती है ‘कोरोना के कारण होटल और रेस्ट्रा पहले से ही प्रभावित थे. कोरोना का डर लोगों में खत्म ही हो रहा था कि बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी. इससे होटल में मीट खाने वालों की संख्या पर असर पडा है.’
अंडे का कारोबार कर रहे जफर बताते है ‘हम लोग पंजाब और हैदराबाद से अंडे मंगाते थे. अब मंगाना बंद कर दिया है. हमारा थोडा बहुत जो काम है वह यहां के अंडो से ही चल रहा है. ‘चिक एंड चिन‘ रेस्ंत्रा चला रहे फुजैल अब्दुला बताते है ‘बर्ड फ्लू का डर खाने वालों में दिख रहा है. अब लोग इससे मिलते जुलते खाने की तरफ जा रहे है.’
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पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने वाले मोहम्मद शोएब कहते है ‘मीट के रेस्ंत्रा चलाने वालों पर उतना असर नहीं हुआ. वह चिकन और अंडे की जगह मटन, मछली से काम चला लेगे. लेकिन पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने वालों पर अधिक असर पडा. बर्ड फ्लू से इन कारोबारियों का नुकसान तो हो ही रहा है प्रशासन भी नियम कानून की आड में परेशान भी किया जा रहा है.
देश भर में बर्ड फ्लू का असर: बर्ड फ्लू उत्तर प्रदेश को मिलाकर देश के 11 राज्यों तक फैल चुका है. छत्तीसगढ़ के बालोद में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद गिधाली के पोल्ट्री फार्म की 10 हजार मुर्गियों को दफनाया गया. संक्रमित पोल्ट्री फॉर्म को सील कर दिया गया है. इसके संचालक और वहां काम करने वाले 2 कर्मचारियों समेत 15 लोगों को होम आइसोलेशन में रहने के लिये कहा गया. इसी फार्म हाउस में इससे पहले लगभग 1200 मुर्गियों को दफनाया गया था. खतरे को देखते हुये 10 किलोमीटर के इलाके में हाईएलर्ट किया गया.
पंजाब के जालंधर में बर्ड फ्लू के मिले हैं. जिन 11 राज्यों में बर्ड फ्लू का सकंट गहरा उनमें केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ प्रमुख रहे. केवल मुर्गे ही इसके असर में नहीं आये. कौवे और दूसरे पक्षी भी बर्ड फ्लू के असर में आये. कई जगहों से इनके मरने की जानकारी मिली. बर्ड फ्लू के असर को रोकने के लिये चिडियाघरों में बंद पक्षियों को भी दर्शको से दूर रखा जाने लगा. उनको बाडों में कैद करके रखा गया.
बर्ड फ्लू का असर अलग अलग राज्यों में अलग तरह से दिखा. प्रवासी पक्षियों में भी इसका असर देखने मिला. हिमाचल प्रदेश में 4874 विदेशी पक्षियों की मौत हुई. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि बर्ड फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है. प्रदेश में केवल पौंग बांध में ही वायरस से पक्षियों की मौत हुई है. सावधानी बस प्रदेश में बाहर से आ रही पोल्ट्री की सप्लाई रोक दी गई.
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मध्य प्रदेश के 27 जिलों में बर्ड फ्लू का असर दिखाई दिया. इनमें हरदा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, मंडला, सागर, धार और सतना शामिल हैं. हरदा के रहटगांव में मुर्गी में वायरस मिला. यहां एक किलोमीटर के दायरे में मुर्गियों को मारा गया राजस्थान के जयपुर में चिडियाघर में इसका असर दिखा. राजस्थान के 16 जिलों में इसका असर फैला. जयपुर के चिडियाघर मंे कॉमन डक समेत 22 प्रजातियों के करीब 370 पक्षी हैं. इनमें से 10 कॉमन डक, 1 ब्लैक स्टार्क और 2 पैलिकन संक्रमित पाई गई. कुछ कॉमन डक, एक ब्लैक स्टार्क और एक पैलिकन की मृत्यु के बाद चिडियाघर बंद किया गया. राजस्थान में पक्षियों की मौत का आंकड़ा अब 5 हजार के करीब पहुंच चुका है. इनमें से 3495 कौवे, 261 मोर, 367 कबूतर और 792 अन्य पक्षी शामिल है.
खतरनाक है बर्ड फ्लू वायरस: बर्ड फ्लू को ‘एवियन इनफ्लुएंजा वायरस’ भी कहते हैं. बर्ड फ्लू के सबसे कॉमन ‘एच5एन1’ वायरस है. यह एक खतरनाक वायरस है जो चिड़ियों के साथ इंसान और दूसरे जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ‘एच5एन1’ को 1997 में खोजा गया था. इस वायरस से संक्रमित होने पर 60 फीसदी मामलों में मौत हो जाती है. बर्ड फ्लू का संक्रमण के मामले में वायरस का असर शरीर में लम्बे समय तक रहता है. पक्षियों में संक्रमण होने पर वायरस उसमें 10 दिन तक रहता है. यह मल और लार के रूप से बाहर निकलता रहता है. इसे छूने या सम्पर्क में आने पर संक्रमण हो सकता है.
बर्ड फ्लू इनफ्लुएंजा एक जूनोटिक बीमारी है अर्थात जानवरों में बहुतायत में पाई जाती है. कभी-कभी इसका संक्रमण इंसानों में भी देखने को मिलता है. यह इनफ्लुएंजा वायरस का एक प्रकार है जो पक्षियों में एक से दूसरे में हवा के जरिए फैलता है. संक्रमण की वजह से प्रभावित पक्षियों की नाक, गले और सांस नली में सूजन आ जाती है. सूजन की वजह से उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है और इससे उनकी मौत हो जाती है. कौआ और मुर्गी जैसे पक्षी इस रोग से ज्यादा प्रभावित होते हैं.
कोरोना वायरस की वजह से बढ गया डर: इनफ्लुएंजा वायरस की सबसे बड़ी विकृति है कि इसमें दो तरह के परिवर्तन लगातार होते रहते हैं. एक एंटीजनिक शिफ्ट, जिसके तहत एंटीजन की प्रकृति में बड़ा परिवर्तन होता है और दूसरा एंटीजनिक डिफ्ट, जिसमें छोटे-छोटे प्रकार के म्यूटेशन (जीन में बदलाव) वायरस में लगातार होते रहते हैं. यही कारण है कि इनफ्लुएंजा में कोई भी वैक्सीन लंबे समय तक कारगर नहीं होती है. जब कोई पक्षी या पक्षियों का समूह एवियन इनफ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से ग्रस्त होता है तो उनके संपर्क में आने वाले इंसान तक यह वायरस पहुंच सकता है और उन्हें भी बीमार कर सकता है. वायरस में म्यूटेशन की वजह से कभी-कभार ऐसा भी हो सकता है कि पक्षियों में फैलने वाले वायरस में इंसानों में फैलने की क्षमता विकसित हो जाए. बीमारी जितनी तेजी से पक्षियों में फैलती है, वायरस में म्यूटेशन भी उतनी ही तेजी से होता है. बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने पर इंसानों को भी अलर्ट कर दिया जाता है जिससे यह बीमारी इंसानों में न फैले.
ऐसे में सावधान रहने की जरूरत होती है. किसी तरह से पक्षियों के संपर्क में आने पर यदि सर्दी, खांसी, बुखार, गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर को दिखाएं. डाक्टर की सलाह के बिना कोई दवा नहीं खानी चाहिए. यदि संक्रमण है तो पूरी तरह से चिकित्सकीय दिशा निर्देशों को अपनाएं. बचाव के लिये जरूरी है कि जिस जगह पर पक्षी मरे मिले हों वहां सेनेटाइजेशन किया जाना चाहिए. शहर और गांव के लोगों को इस तरह से जागरूक किया जाना चाहिए कि वह पूरी सतर्कता बरतें.