मशीन से दूध निकालने की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई और आज यह तकनीक दुनिया भर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही?है. आजकल डेरी उद्योग से जुड़े अनेक लोग पशुओं से दूध उत्पादन मशीन के द्वारा ले रहे हैं. पशुओं का दूध दुहने वाली मशीन को हम मिल्किंग मशीन के नाम से भी जानते हैं. इस मशीन से दुधारू पशुओं का दूध बड़ी ही आसानी से निकाला जा सकता है. इस से पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं होता है. इस से दूध की गुणवत्ता बनी रहती है और उस के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. यह मशीन थनों की मालिश भी करती और दूध निकालती है. इस मशीन से पशु को वैसा ही महसूस होता है, जैसे वह अपने बच्चे को दूध पिला रही हो.

मिल्किंग मशीन से दूध निकालने से लागत के साथसाथ समय की भी बचत होती है और दूध में किसी प्रकार की गंदगी नहीं आती. इस से तिनके, बाल, गोबर और पेशाब के छींटों से बचाव होता है. पशुपालक के दूध निकालते समय?उन के खांसने व छींकने से भी दूध का बचाव होता है. दूध मशीन के जरीए दूध सीधा थनों से बंद डब्बों में ही इकट्ठा होता है.

मिल्किंग मशीन की जानकारी

दूध निकालने की मशीन के बारे में हमारी बातचीत मनप्रीत सिंह से हुई, जिन्होंने बताया कि उन की कंपनी एनके डेरी इक्यूप्मेंट के नाम से डेरी से संबंधित तमाम उपकरण बनाती?है और वे भारत में सब से पहले दूध निकालने वाली मशीन बनाने वालों में से एक हैं. उन की हाथ से चलने वाली मशीन तकरीबन 20000 रुपए की है. हाथ और बिजली दोनों से चलने वाली मशीन तकरीबन 35000 रुपए की है. उन की मशीन सालोंसाल चलती है. 1 साल का सर्विसिंग का खर्च मात्र 250 रुपए है. वे खरीदार को मशीन से दूध निकालने की जानकारी से ले कर उस के रखरखाव के बारे में पूरी जानकारी देते हैं, ताकि मशीन का इस्तेमाल करने में उसे कोई परेशानी न हो.

क्या इस मशीन से गाय और भैंस दोनों का दूध निकाला जा सकता है?

इस सवाल के जवाब पर मनप्रीत सिंह ने बताया कि गाय और भैंस के थनों की बनावट में थोड़ा फर्क होता है, इसलिए गाय का दूध दुहने वाली मशीन में थोड़ा सा बदलाव कर के इस मशीन से ही भैंस का दूध भी निकाला जा सकता है. भैंस का दूध निकालने के लिए मशीन का प्रेशर बढ़ाना होता है. उन्होंने आगे बताया कि उन की मिल्किंग मशीन की मांग बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा राज्यों में काफी है. वैसे मशीन की सप्लाई पूरे देश में है. यह कंपनी मिल्किंग मशीन के अलावा मिल्क एनालाइजर, पनीर, खोवा बनाने वाली मशीन, दूध से क्रीम निकालने वाली मशीन, दूध की जांच करने वाली मशीन, दूध पैकिंग करने की मशीन, डेरी पंप जैसे अनेक उपकरण बनाती है. किसान या पशुपालक डेरी से जुड़े किसी भी सामान या मशीन के बारे में अधिक जानकारी के लिए मनप्रीत सिंह के मोबाइल नंबरों 9355013913, 9355113913 पर बात कर सकते हैं.

सरकार दे रही है बढ़ावा

किसानों की आय आने वाले 5 सालों में दोगुनी हो इस मकसद को ले कर केंद्र सरकार का तमाम कृषि योजनाओं पर काम चल रहा?है. इन्हीं योजनाओं के तहत पशुपालन व डेरी उद्योग पर भी सरकार का खासा ध्यान है. पशुओं में देसी नस्ल को बढ़ावा देने के लिए भी कोशिशें की जा रही हैं. डेरी उद्योग के लिए पशुपालक किसानों को सरकार अनुदान भी दे रही है. यह अनुदान पिछले दिनों तक केवल अनुसूचित जाति के लोगों को ही मिलता था, जो 33.33 फीसदी था. लेकिन अब 2016-17 से सभी वर्ग के लोग इस अनुदान का लाभ ले सकते हैं. सरकार द्वारा मिलने वाला अनुदान सामान्य व पिछड़ा वर्ग के लिए 25 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 33.33 फीसदी है. कुछ प्रदेशों की सरकारें ज्यादा अनुदान भी दे रही हैं.

किसे मिल सकता है अनुदान : खेतीबारी करने वाले, स्वयंसहायता समूह से जुड़े और पट्टेदार किसान इस अनुदान का फायदा ले सकते हैं.

डेरी उपकरण खरीद के लिए 13 लाख, 20 हजार रुपए और शीतभंडारण के लिए रेफ्रिजरेटर वगैरह खरीदने के लिए 33 लाख रुपए का लोन सरकार मुहैया करा रही?है.

दुधारू पशुओं के लिए :  कम से कम 10 पशुओं दुधारू पशुओं की खरीद के लिए जिन में उन्नत नस्ल जैसे संकर गाय, देशी नस्ल साहिवाल, रेड सिंधी, गिर, राठी, मुर्रा भैंस वगैरह शामिल हों, 6 लाख रुपए तक का लोन लिया जा सकता?है.

पशु चिकित्सा :  आप ने पशु चिकित्सा से संबंधित पढ़ाई की है और दवाओं की अच्छी जानकारी है तो पशु क्लीनिक लगा सकते?हैं. इस के लिए 2 लाख, 60 हजार रुपए तक लोन सरकार द्वारा दिया जाता है.

जैविक खाद :  जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए डेरी फार्म वाले 22 हजार रुपए तक की सहायता ले कर वर्मी कंपोस्ट यूनिट खोल सकते?हैं.

दूध निकालने की मशीन : दूध निकालने की मशीन, दूध का फैट निकालने की मशीन व शीत इकाई की मशीनों के लिए 26 लाख, 50 हजार रुपए तक का लोन लिया जा सकता है.

इन के अलावा केंद्र सरकार व राज्य सरकार की अनेक योजनाएं हैं, जिन के बारे में आप अधिक जानकारी ले सकते?हैं.

कैसे और कहां मिलेगी जानकारी : इस तरह की सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए आप अपने जिले के नाबार्ड बैंक से संपर्क करें और अपने जरूरी कागजात ले कर बैंक अधिकारी से मिलें.

डेरी खोलने की जानकारी के लिए आप एनडीआरआई करनाल से संपर्क कर सकते?हैं. आप उन की वेबसाइट 222.ठ्ठस्रह्म्द्ब.ह्म्द्गह्य.द्बठ्ठ से या मोबाइल नंबर 7697487710 पर जानकारी ले सकते?हैं.

दूध दुहने में सावधानी

* अगर पशु के पहले ब्यांत से ही मशीन से दूध निकालेंगे तो पशु को मशीन से दूध निकलवाने की आदत हो जाएगी.

* शुरुआत में मशीन द्वारा दूध दुहते समय पशु को पुचकारते हुए उस के शरीर पर हाथ घुमाते रहना चाहिए, ताकि वह अपनापन महसूस करे.

* दूध दुहने वाली मशीन को पशुओं के आसपास ही रखना चाहिए ताकि वे उसे देख कर उस के आदी हो जाएं, वरना वे अचानक मशीन देख कर घबरा सकते हैं या उस की आवाज से बिदक सकते हैं.

डेरी इंडस्ट्री में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल

भारत में सब से ज्यादा (1463.3 मिलियन?टन) दूध का उत्पादन हर दिन होता है, लेकिन जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो इस क्षेत्र के लिए कुछ खास दिशानिर्देश बनाने की जरूरत महसूस होती है. असंगठित क्षेत्र का फोकस लोगों के स्वास्थ्य पर न हो कर सिर्फ व्यावसायिक पहलू या मुनाफा कमाने से जुड़ा है, जिस के चलते दूध की प्रोसेसिंग और स्टोरेज के लिए इस में कई बार अवांछित पदार्थों को मिलाया जाता है. कई रिसर्च रिपोर्ट में यह जोर दे कर बताया गया है कि डेरी इंडस्ट्री में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के इस्तेमाल से आम जनता के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ा है. इस से मिलावट की आदत भी जोर पकड़ती है. डेरी सैक्टर में अनेक रूपों में इस्तेमाल के लिए स्टेनलेस स्टील वैकल्पिक पदार्थ बन कर उभरा है. भारत में हर साल तकरीबन 8 से 10 हजार मीट्रिक टन स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल सामान के भंडारण, उस की प्रोसेसिंग और सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए होता?है.

आईएसएसडीए के अध्यक्ष केके पाहूजा ने कहा, ‘रिसर्च से यह पता चलता?है कि दूसरे पदार्थों की तुलना में दूध की प्रोसेसिंग और स्टोरेज के लिए स्टेनलस स्टील सब से स्वास्थ्यवर्धक और जैविक रूप से सब से सही पदार्थ है. गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों पर बढ़ते ध्यान के चलते ही स्टेनलेस स्टील के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है.’

स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में न तो जंग लगता है, न ही जल्दी वे किसी जगह से कटते या खराब होते?हैं. स्टेनलेस स्टील के बर्तनों की इसी जंगरोधक विशेषता को डेरी इंडस्ट्री ने पूरी खाद्य सुरक्षा और जनसामान्य के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पहचाना है.

जिंदल स्टेनलेस (हिसार) लिमिटेड के निदेशक अशोक गुप्ता ने कहा, ‘हम इस क्षेत्र में गुणवत्ता मानक ठीक करने के नियंत्रकों की कोशिश की सराहना करते हैं. स्टेनलेस स्टील के दूध के डब्बों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के दिशानिर्देश का भी हम स्वागत करते हैं. इन प्रयासों से डेरी सेक्टर का ढांचा बदलेगा. जिंदल स्टेनलेस में हम ने कम लागत के?स्टील के दूध के डब्बे बनाए हैं, जिन की न केवल क्वालिटी बेहतर है, बल्कि लागत भी बेहद कम है, क्योंकि इस में वैकल्पिक स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है. यह दूध के डब्बों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के तय किए गए मानकों पर खरा उतरता?है.’

इंडियन डेरी एसोसिएशन

यह देश में डेरी इंडस्ट्री की शीर्ष संस्था?है. इस की स्थापना 1948 में डेरी क्षेत्र और सहायक एग्रो फीड बिजनेस में पेशेवर वैज्ञानिकों, किसानों और उपकरण निर्माताओं का ऐसा फोरम बनाने के मकसद से की गई थी. यह डेरी क्षेत्र में अपने शोध, योजना, उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से इस क्षेत्र के दिग्गजों के सामने अपने व्यवसाय और कारोबार को बढ़ाने के लिए नएनए अवसर सामने लाती है.

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