बदले की भावना पर आधारित ‘‘हेट स्टोरी 2’’ और ‘‘हेट स्टोरी 3’’ के बाद विशाल पंड्या निर्देशित फिल्म ‘‘वजह तुम हो’’ भी बदले की भावना पर आधारित कहानी है, जिसे चैनल हैकिंग और ईरोटिक फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया. यह प्रचार तथा लेखक व निर्देशक की अपनी गलतियां इस फिल्म को ले डूबेगी. ‘हेट स्टोरी 2’ और ‘हेट स्टोरी 3’ का सशक्त पक्ष ईरोटिक सीन थे, जिसका ‘वजह तुम हो’ में घोर अभाव है.

लेखक निर्देशक विशाल पंड्या ने अपने आपको सिनेमा जगत का अति बुद्धिमान इंसान साबित करने के लिए कहानी व पटकथा के साथ इतने पैंतरेबाजी की, कि पूरी फिल्म तहस नहस हो गयी. दर्शक समझ ही नहीं पाता कि आखिर कौन क्या और क्यों करना चाहता है. इसके अलावा चैनल हैंकिंग का तकनीकी पक्ष इस तरह से बयां किया गया है कि वह दर्शकों के सिर के उपर से निकल जाता है. फिल्म खत्म होते होते दर्शक अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने लगता है. निर्देशक व पटकथा लेखक वहीं अपनी फिल्म को तहस नहस कर देता है, जहां वह सोच लेता है कि वह दर्शकों को चकरघिन्नी की तरह नचाते हुए मूर्ख बना ले जाएगा.

फिल्म ‘‘वजह तुम हो’’ की शुरुआत होती है मुंबई पुलिस के एसीपी रमेश सरनाइक द्वारा एक बेगुनाह लड़के को बरी करने के लिए लड़के की प्रेमिका के साथ सेक्स संबंध बनाने से. फिर पुलिस स्टेशन जाते समय सरनाइक खुद को वफादार कुत्ता बताते हुए करण पारिख को फोन कर पैसा मांगता है. करण वादा करता है कि आज रात ही उसका हिसाब हो जाएगा. थोड़ी देर बाद एसीपी सरनाइक की कार पर हमला होता है. घायल सरनाइक गाड़ी से बाहर आता है, एक नकाबपोश उस पर कई वार कर घायल कर देता है. कुछ समय बाद ‘जीएनटीवी’ चैनल पर सरनाइक की हत्या का लाइव प्रसारण होता है.

हड़कंप मच जाता है. इस कांड की जांच अपराध शाखा के ईमानदार इंस्पेक्टर कबीर देशमुख (शर्मन जोशी) करते हैं. कबीर को लगता है कर्ज में डूबे चैनल के मालिक राहुल ओबराय ने अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए यह सारा खेल किया है. पर राहुल व चैनल का तकनीकी हेड मैक पुलिस को संतुष्ट कर देते हैं कि यह चैनल की हैंकिंग का मसला है. राहुल ओबेराय (रजनीश दुग्गल) के बचाव में उसकी वकील सिया (सना खान) है, तो वहीं पुलिस की तरफ से सरकारी वकील रणवीर बजाज (गुरमीत चौधरी) हैं. सिया और रणवीर बजाज प्रेमी प्रेमिका भी हैं. रणवीर बजाज बार बार सिया को समझाने का प्रयास करता है कि वह राहुल से दूर रहे. राहुल सही इंसान नहीं है. कबीर की जांच के साथ फिल्म की कहानी हिचकोले लेने लगती है.

पूरी फिल्म की कहानी को साधारण तरीके से समझें तो करण पारिख और राहुल ओबेराय दोस्त हैं. राहुल के चैनल जीएनटीवी में करण का भी पैसा लगा है. करण बिल्डर भी है. एक दिन करण और राहुल गैरज में चैनल की कर्मचारी रजनी का बलात्कार करते हैं. इसका गवाह एक बूढ़ा इंसान शर्मा है. बतौर सरकारी वकील रणवीर बजाज को रजनी रेप कांड पहला मुकदमा मिलता है. पर रणवीर, करण के हाथों बिक जाता है. करण, राहुल और एसीपी सरनाइक मिलकर मिस्टर शर्मा को उनके घर में ही जला देते हैं.

अदालत में केस हारने के बाद रजनी व उसका प्रेमी मैक तथा शर्मा की बेटी अंकित शर्मा उर्फ सिया अब राहुल, करण व एसीपी सरनाइक से बदला लेने की योजना पर काम करते हैं. सिया राहुल के चैनल की लीगल हेड बन जाती है. जबकि मैक, राहुल के चैनल का मुख्य तकनीकी हेड बन जाता है. सिया ही पहले सरनाइक, फिर करण की हत्या करती है. मैक चैनल हैक कर हत्या का लाइव प्रसारण करता है. अब नंबर राहुल का आता है. पर राहुल मरने से पहले बता देता है कि सिया का अपराधी रणवीर बजाज भी है.

सिया, रणवीर को लेकर उसी जगह पहुंचती है, जहां पर वह सरनाइक, करण व राहुल की हत्या कर चुकी है. रणवीर कबूल करता है कि उसने महत्वाकांक्षा और बड़ा बनने के लिए रिश्वत लेकर करण व राहुल की मदद रजनी रेप कांड में की थी. यदि उसे पता होता कि शर्मा उनके पिता हैं, तो वह उन्हें मरने न देता. रणवीर का यह अपराध कबूलनामा फोन पर कबीर सुनता रहता है. फिर रणवीर व सिया के बीच मारपीट होती है. तभी कबीर पहुंचता है. कबीर, रणवीर को अपने साथ ले जाए, उससे पहले ही सिया उसे गोलियों से भून देती है. अंत में कबीर दिल की आवाज सुनकर सिया का केस बंद कर देता है और खुद पुलिस की नौकरी छोड़ देता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो गुरमीत चौधरी व शर्मन जोशी ने ठीकठीक अभिनय किया है. मगर सना खान बुरी तरह से मात खा गयी हैं. सिया के किरदार में वह कहीं से भी फिट नजर नहीं आती. रजनीश दुग्गल ने फिर साबित कर दिखाया कि वह अभिनेता नहीं सिर्फ माडल हैं.

फिल्म की कहानी गडमड होने के साथ ही बहुत ही धीमी गति से चलती है. फिल्म की पटकथा बहुत ही घटिया है. लेखक के तौर पर विशाल पंड्या को यही समझम नहीं आया कि वह ईमानदार पुलिस अफसर की कहानी बताए या अय्याश, घूसखोर व अपराध को बढ़ावा देने वाले पुलिस अफसर की कहानी बताएं. विशाल पंड्या को इस बात का भी अहसास नहीं है कि चैनलों में काम करने वाली लड़कियां किस तरह की पोशाकें पहनती है. फिल्म में बलात्कार जैसे संजीदा मसले को भी को भी बड़ा हास्यास्पद बना दिया गया है. संवाद भी घटिया हैं.

जरीन खान और शर्लिन चोपड़ा के आइटम नंबर भी फिल्म तक दर्शकों को नहीं खींच पाएंगे. जहां तक संगीत का सवाल है, तो इस फिल्म में दो पुराने क्लासिक गीतों ‘पल पल दिल के पास’ तथा ‘ऐसे न मुझे तुम देखो’ को रीमिक्स कर नए अंदाज में पेश करते समय गाने की आत्मा ही नष्ट कर दी गयी. इन्हे सुनने के बाद लोग पुराने मौलिक गीत को भी नहीं सुनना चाहेंगे.

दो घंटे सोलह मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘वजह तुम हो’’ को भूषण कुमार और किशन कुमार ने ‘‘टीसीरीज’’ के बैनर तले बनाया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक विशाल पंड्या, संगीतकार मिठुन, अभिजीत वघानी व मीत ब्रदर्स, कैमरामैन प्रकाश कुट्टी तथा कलाकार हैं- गुरमीत चौधरी, सना खान, शर्मन जोशी, रजनीश दुग्गल, शर्लिन चोपड़ा, जरीन खान, हिमांशु मल्होत्रा व अन्य

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