अमर सिंह को समाजवादी पार्टी में केंद्रीय संसदीय बोर्ड में सदस्य बना दिया गया है. सपा में केंद्रीय संसदीय बोर्ड को सबसे ताकतवर माना जाता है. अमर सिह की नियुक्ति में दूसरी खास बात यह है कि नियुक्ति पत्र सपा महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव की तरफ से जारी हुआ है. रामगोपाल यादव सपा में अमर सिंह के विरोधी रहे हैं. पत्र में यह कहा गया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को बोर्ड में मनोनीत किया है. जानकारी के अनुसार यह बोर्ड ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण का काम करेगा.
अमर सिंह को सपा में महत्वपूर्ण जगह उस समय मिली है जब अमर सिंह को पार्टी में हाशिये पर कर दिया गया था. अमर सिंह को तो मेट्रो रेल के उदघाटन के समय बुलाया गया. सपा का महासचिव होते हुये भी उनको पार्टी के अधिवेशन में भी हिस्सा लेने के लिये लखनऊ नहीं बुलाया गया. सपा में अंदरखाने यह आवाज भी उठने लगी थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विरोध के चलते अमर सिंह को पार्टी में हाशिये पर ढकेला जा रहा है.
दरअसल में अमर सिंह को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के विचार पूरी तरह से अलग हैं. मुलायम परिवार में केवल शिवपाल यादव अकेले ऐसे सदस्य हैं जिनको अमर सिंह का समर्थक माना जाता है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो यहां तक कह चुके कि अब वह अमर सिंह को अपना ‘अंकल’ नहीं कहेंगे. मुख्यमंत्री के साथ रामगोपाल यादव ही नहीं बड़े नेता आजम खां और नरेश अग्रवाल जैसे लोग भी अमर सिंह विरोधी गुट में हैं.
मुलायम परिवार में हुये विवाद में अमर सिंह को मुख्य फैक्टर माना गया था. अमर सिंह के पार्टी में कमजोर पड़ने से माना जा रहा था कि अब पार्टी में अखिलेश का एक क्षत्र राज्य स्थापित हो रहा है. अब अमर सिंह के बढ़ते प्रभाव के चलते लग रहा है कि एक बार फिर से सपा में आपसी टकराव हो सकता है. मुलायम परिवार के विवाद के समय अमर सिंह और विरोधी गुट आमने सामने थे. अब एक दूसरे का एक साथ चलना सभव नहीं है.
सपा में टिकट वितरण के समय एक बार फिर से विवाद खड़ा होने की संभावना है. मुलायम सिंह इस बात को जानते हैं कि चुनाव केवल अखिलेश के काम पर नहीं जीता जा सकता. ऐसे में वह अमर सिंह और शिवपाल यादव को भी चुनाव की मुख्य धारा में रखना चाहते हैं. ऐसे में अमर सिंह की भूमिका को मुख्य माना जा रहा है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सपा में अखिलेश के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है. अमर सिंह को महत्व केवल चुनावी समय तक दिया जा रहा है. सपा में अब अमर सिंह और अखिलेश एक साथ नहीं रह सकते. राजनीतिक समीक्षक भी मान रहे हैं कि अमर सिंह और अखिलेश का साथ केर बेर की तरह का है. यह साथ रह कर लाभ के बजाय नुकसान ही देगा.