रबी के मौसम में बरसीम हरे चारे की खास फसल है, जो पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ठ है. बरसीम की चारा फसल दिसंबर महीने से मई महीने तक उगाई जा सकती?है. बरसीम उगाने के लिए दोमट मिट्टी अच्छी होती?है. इस में पानी निकलने का इंतजाम सही होना चाहिए. इस की बीजाई अक्तूबर महीने तक कर देनी चाहिए. देरी से बोआई करने पर चारे की फसल की कटाई कम ले पाते?हैं. बरसीम बोने के लिए 1 एकड़ में 8 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. बीज भरोसे की जगह से ही खरीदना चाहिए. शुरुआत में अच्छी पैदावार लेने के लिए बरसीम में बहुत कम मात्रा में सरसों व जई के बीज भी मिला सकते?हैं. बरसीम की बोआई पानी से भरे खेत में बीजों को छिड़क कर ही की जाती है. बोआई करते समय ध्यान रहे कि तेज हवा न चल रही हो, नहीं तो बीज जहांतहां इकट्ठा हो जाएंगे. बीजों को बोने से पहले जैव उर्वरक से उपचारित कर लें. जैव उर्वरक से उपचारित करने से बरसीम की बढ़वार अच्छी होती है. बरसीम के विकास के लिए एक विशेष प्रकार के जीवाणु की जरूरत होती है, जो खेतों में नहीं पाया जाता. इन जीवाणुओं का टीका नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से लिया जा सकता है, जिस के 1 पैकेट की कीमत 10 से 15 रुपए के आसपास होती?है. 1 पैकेट 10 किलोग्राम बीज उपचार के लिए काफी है.

बीज उपचार का तरीका

100 ग्राम गुड़ लें और उसे आधा लीटर पानी में घोल लें. इस में बरसीम के टीके का 1 पैकेट मिला दें. अब इस घोल में 8 से 10 किलोग्राम बरसीम के बीज अच्छी तरह से मिला दें, ताकि यह सभी बीजों पर लग जाए. आखिर में बीजों को छाया में फैला कर सुखा लें. उस के बाद बोआई करें.

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समय से करें सिंचाई

बरसीम की फसल में सिंचाई का खास महत्त्व है. बरसीम बोने के 4-6 दिनों बाद देख लें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. उस के बाद तकरीबन हर 15 दिनों बाद बरसीम की फसल में सिंचाई करते रहें. बरसीम का बीज बनाने के लिए : आखिरी कटाई मार्च के आखिर में करें. बीज की फसल लेने के लिए खेत में कासनी और दूसरे प्रकार के खरपतवार हों तो उन्हें निकाल दें. आखिरी कटाई के बाद सिंचाई जरूर करें. उस के बाद 2 सिंचाई 15-15 दिनों के अंतर पर करें. मईजून तक बीज की फसल तैयार हो जाती?है.

खास सावधानी

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* बोआई से पहले रोगमुक्त खेत का चुनाव करें. * फसल चक्र अपनाएं.

* रोगरोधी किस्म उगाएं. * मैस्कावी फसल उगाई जा सकती है. यह जल्दी बढ़ने वाली फसल है. जो पौष्टिक और स्वादिष्ठ होती  है. इस की अच्छी पैदावार होती है. इस से 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज लिया जा सकहाथ से चारा काटने वाली मशीन से अकसर दुर्घटना हो जात है. कई बार हाथ तक कट जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली के अभियांत्रिकी विभाग ने अपनी चारा कटाई मशीन में सुधार किए हैं, जो दुर्घटना रहित हैं. इन में लगे चारा काटने वाले ब्लेडों से दुर्घटना को रोकने के लिए ब्लेड गार्ड लगाए गए हैं. इन गार्डों को ब्लेडों के आगे बोल्टों के जरीए जोड़ा गया?है. जो सुरक्षा की नजरिए से बेहतरीन है.

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मशीन से जब काम नहीं लेना हो तो उसे बोल्टों के जरीए ताला लगा कर बंद किया जा सकता है.

चारा लगाने वाली जगह पर भी एक खास रोलर लगाया गया है, जिस से चारा लगाते समय हाथ असुरक्षित जगह पर न जाने पाए, इस का पता पहले ही लग जाता है.

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