भारतीय सेना के कमांडोज ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्षेत्र में सर्जिकल स्ट्राइक क्या की, पूरे भारत का वातावरण ही बदल गया. हर किसी की जबान पर आंग्ल भाषा के इन 2 शब्दों का मुलम्मा ऐसा चढ़ा जैसे किसी ने इन शब्दों को उठा कर जबान पर पेस्ट कर दिया हो. पाकिस्तान ने हमारे सैनिकों के धड़ काटे, उन्हें सिरविहीन कर दिया, कितने ही मासूम नागरिकों को आतंकवादियों के हाथों मरवा दिया और हम एक सर्जिकल स्ट्राइक कर के मूंछों को ऐसे ताव दे रहे हैं जैसे बिल्ली ने नहीं, बल्कि चूहे ने बिल्ली को मार दिया हो. पाकिस्तान आज भी वैसे का वैसा ही है और लगातार आतंकवादियों की घुसपैठ करा रहा है. घाटी को आग लगाने के लिए अलगाववादी और कट्टरपंथी तत्त्वों को निरंतर भड़का रहा है.

हम ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम तो दिया लेकिन पाकिस्तान से डर भी गए और ऐसे डरे कि पंजाब में सीमा से लगा 10 किलोमीटर का क्षेत्र ही नागरिकों से खाली करवा लिया. उन नागरिकों को सलाम  जिन्होंने क्षेत्र खाली करने और पाकिस्तान से डरने से मना कर दिया. अब सुना है कि आतंकवादियों और पाकिस्तान से डर कर भारत सीमा पर ऊंची दीवार का निर्माण करने जा रहा है. पाकिस्तान ने तो कभी ऐसा ऐलान नहीं किया, यानी उसे भारत से डर नहीं लगता? भारत से आखिर कोई क्यों डरे? इतिहास गवाह है कि भारत ने जमीनी रास्ते से अपनी सेना के घोड़े कभी विदेशी भूमि पर नहीं दौड़ाए. न प्राचीन, न मध्य और न आधुनिक इतिहास में. महाराजा रणजीत सिंह की सेनाएं जरूरअफगानिस्तान तक गईं लेकिन अफगानिस्तान बहुत समय तक भारत के ही भौगोलिक क्षेत्र का हिस्सा माना जाता रहा. ऐसे में अब एक सर्जिकल स्ट्राइक कर के हम फूल कर कुप्पा न हो जाएं तो फिर क्या हो.

हम तो शांति के पोषक हैं, भाई. लड़ाईझगड़ों और युद्धों से हमारा क्या वास्ता. हमारी धरती ने तो पैदा ही किए हैं शांति के सूरमा. महात्माओं की एक असीमित शृंखला-महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी और महात्मा गांधी. अब कोई बताए भला हम अपने महापुरुषों के खिलाफ कैसे जा सकते हैं. विदेशी हमलावरों ने 7वीं-8वीं सदी में जब भारत के सीमांत क्षेत्र अफगानिस्तान पर हमला किया तो वहां के बौद्धों ने, तलवारों के सामने बिना किसी संघर्ष, अपने सिर झुका दिए. आखिर वे सब शांति के उपासक ही तो थे. वे सिर कटवाना जानते थे, सिर काटना नहीं. महावीर स्वामी के शांति उपासकों ने तो हिंसा के डर से खेती तक करनी छोड़ दी.

महात्मा गांधी की शांति और अहिंसा की नीति पर तो कोई उंगली उठाना भी गवारा नहीं समझता. देश बंटना मंजूर, किंतु अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ना. चाहे उस बंटवारे में 10 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाएं, करोड़ों बेघर हो जाएं. अगर ऐसे महात्मा किसी और देश में पैदा हुए हों तो जानें. धन्य हो गई भारत भूमि ऐसे महात्माओं की जननी बन कर.

हम पाकिस्तान से उस आतंकवादी को मांग रहे हैं जिसे कभी भारत सरकार के कैबिनेट का दरजा प्राप्त मंत्री मेहमान बना कर हवाई जहाज में बैठा कर कंधार छोड़ कर आए थे. अब अगर हम पर दुनिया हंसे न, तो क्या रोए?

यदि सर्जिकल स्ट्राइक करनी है तो ऐसे मूर्खतापूर्ण निर्णयों की सर्जिकल स्ट्राइक करें जिन से हमारी जगहंसाई न हो. सर्जिकल स्ट्राइक करनी है तो नेताओं की बदजबानी और बड़बोलेपन की सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए जो बिना सोचेसमझे विवादित बयानों की झालरें लटकाए रहते हैं. उन की जबानें ऐसी तीखी जैसे दुधारी तलवारें हों.

सर्जिकल स्ट्राइक के तो ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए. लेकिन मुश्किल यह है कि हमारे नेता सेना से तो सर्जिकल स्ट्राइक कराना चाहते हैं किंतु खुद उन के जैसा हौसला नहीं रखते. कई बार तो हमारे नेता खुद उस समस्या का अभिन्न अंग होते हैं जिस की सर्जिकल स्ट्राइक करने का जिम्मा उन के कंधों पर ही होता है.

आज कौन सा विभाग ऐसा है जिस में भ्रष्टाचार व्याप्त नहीं है? क्या भारत के लोग जानते नहीं कि इस भ्रष्टाचार को पनपाए रखने के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं? दरअसल, भ्रष्टाचार के विरुद्ध नेता इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक नहीं करते क्योंकि इस सड़ी व्यवस्था का वे अभिन्न अंग होते हैं.

पंजाब में नशीली दवाओं के कारोबार में कौन लोग संलिप्त हैं? वे ही लोग न, जिन्हें नशाखोरी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी थी.

अरे भाई, यदि सर्जिकल स्ट्राइक करनी ही है तो बढ़ती हुई आबादी की सर्जिकल स्ट्राइक करिए. कुछ ऐसे उपाय करिए कि भुखमरी और अशिक्षा का नामोनिशान न रहे. विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का सर्जिकल स्ट्राइक हो.

सर्जिकल स्ट्राइक हो भारत में व्याप्त बुराइयों व कमजोरियों का कि कोई भी भूखे पेट न सोए. हर बच्चा स्वस्थ हो. हर अधिकारी ईमानदार हो. हर नेता मृदुभाषी, सशक्त और चरित्रवान हो. स्वच्छ भारत, सशक्त भारत और स्वस्थ भारत हो. हर भारतवासी बुराई के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत करता नजर आए. चलो, तो करें ऐसे सर्जिकल स्ट्राइक…       

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