उडी हमले में सेना के 18 जवानों के शहीद होने के बाद से केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी बैकफुट पर चली गई थी. लोकसभा चुनाव के समय उस समय प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को लेकर जिस तरह के बयान दिये थे. अब वही उस पर भारी पड़ने लगे थे. इनमें 2 तरह के बयान सबसे ज्यादा चर्चा में रहे. पहला 56 इंच का सीना और दूसरा 1 सिर के बदले 10 सिर काट के लाने वाले बयान प्रमुख रहे. उडी हमले के बाद पूरे देश में सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में नरेन्द्र मोदी के लोकसभा चुनाव वाले बयान चर्चा में आ गये. केवल प्रधानमंत्री ही नहीं, पूरी भाजपा पार्टी बैकफुट पर दिखने लगी. देश भर से लोगों का सरकार और पार्टी पर दबाव बढ़ गया.
उडी हमले के एक सप्ताह के बाद केरल में भाजपा नेशनल कांउसलिंग की मीटिंग में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उडी हमले पर सार्वजनिक रूप से बयान दिया. इस बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के विकास और पाकिस्तान की बदहाली की चर्चा की. इसके साथ ही साथ केन्द्र सरकार ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में पाकिस्तान की आलोचना, सिन्धू जल समझौता और सार्क सम्मेलन के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने का शुरुआत कर दी. भारत पाकिस्तान से मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा वापस लिये जाने पर भी विचार करने लगा.
केन्द्र सरकार के इतने सारे प्रयासों के बाद भी देश के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा नहीं बन पा रहा था. देश का आम जनमानस इस बात के लिये तैयार नहीं था कि पाकिस्तान को केवल कूटनीति के मुद्दे पर जबाव दिया जाये. देश की जनभावना यह थी कि पाकिस्तान को उसकी भाषा में ही जवाब दिया जाये. जिस तरह से उसने देश की सेना के सोते हुये जवानों पर कायराना हमला किया है, उसी तरह से भारत को पाकिस्तान में घुस कर जवाब देना चाहिये.
केन्द्र सरकार पर इस बात का दबाव था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष में रहते ऐसे ही जबाव देने की बात करते थे. अब बारी खुद कुछ कर दिखाने की थी. 29 सितम्बर की रात भारत ने पीओके में ‘सर्जिकल स्ट्राइक‘ करके 40 आतंकवादियों को मार गिराया, उसके बाद से देश में केन्द्र सरकार के प्रति भरोसा बढ़ गया है. जिससे केन्द्र सरकार का खुद आत्मविश्वास वापस आ गया है. पूरी घटना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफल रणनीति और साहसिक कदम को सफलता का श्रेय दिया जा रहा है. इससे भाजपा और केंद्र सरकार जनता के बीच साख बचाने में सफल हो गई है.
अभी जनता भले ही खुश हो और केन्द्र सरकार अपने आत्मविश्वास को बढ़ा हुआ महसूस कर रही हो, पर यह मसला इतना सरल नहीं है. पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर उत्पात मचाने की संभावना बनी हुई है. जिसका असर न केवल भारत-पाकिस्तान के आपसी रिश्तों पर पड़ेगा, बल्कि पूरा दक्षिण एशिया तनाव के माहौल में है. इसका असर भारत के विकास और शांति पर पड़ेगा. भारत और पाकिस्तान दोनो ही परमाणु सम्पन्न देश हैं. ऐसे में आपसी संबंधों को सहज करने की कोशिश होनी चाहिये. देशहित में है कि भारत-पाक के रिश्तों को लेकर राजनीतिक फायदे का प्रयास नहीं होना चाहिये. जिससे यह संबंध जल्द सहज हो सकेंगे.