भारतीय कभी अमेरिकी नहीं बन पाएंगे. यह हौलीवुड का अदना सा फाइटर हीरो नाथन जौंस जानता है. उस ने भारतीय फिल्मों में काम करना शुरू किया है और जब उस से पूछा गया कि दोनों देशों की फिल्म प्रोडक्शन में क्या अंतर है तो उस ने कहा कि उन के यहां पूरा अनुशासन है और जिस ने जो करना है वह पहले लिख लिया जाता है. सुधार किया जाता है. कई बार फिल्माते हुए सैट पर भी, लेकिन भारत की तरह नहीं जहां हर चीज अस्तव्यस्त है.
उस का कहना था कि तमिल फिल्म निर्माता जो बौलीवुड से बेहतर हैं, कोई काम ढंग से नहीं करते, सबकुछ बिखरा सा रहता है और हर कोई मनमानी करता नजर आता है.
भारत के साथ दिक्कत ही यह है कि हमारे यहां अनुशासन से रहना भी नहीं सिखाया जाता. हम कहीं कतार में सीधे नहीं लग सकते. हम मेज पर सामान ढंग से नहीं रख सकते. हमारी फिल्मों में सैट निर्माताओं को नकली शहर बसाते हुए खयाल रखना पड़ता है कि कूड़े के ढेर नजर आएं, दीवारों पर पान की पीक दिखे, सड़कों पर पानीपूरी खा कर बिखरे पत्ते दिखें.
फिल्मों में भी हमारी अस्तव्यस्तता दिखती है. पहले तो सालों में बनती थीं पर जब से विदेशी निर्माता आए हैं, कुछ ढंग से काम होने लगा है और 6 माह पहले रिलीज की तिथि आ जाती है. अब तो सैंसर बोर्ड को फोर्स किया जा रहा है कि वह समय पर फिल्म देखे और सर्टिफाई करे.
नाथन जौंस ने आस्टे्रलिया में रह कर भारतीयों के बारे में बहुत कुछ जाना था, क्योंकि उस के पड़ोस में कई भारतीय मूल के परिवार थे. यहां का दर्शक असल में एक काम को लंबा खींचते देखना चाहता है. यहां खलनायक मरता दिखता है, पर फिर उठ जाता है और नायक को मारने दौड़ता है. यही अंतिम क्षण तक बहुत देर तक पहुंचने की आदत है जो हमारे सामाजिक व व्यावसायिक जीवन में बुरी तरह घुसी है.
देश की प्रगति में रोड़ा हमारी पूंजी की कमी इतनी नहीं जितनी पूंजी की बरबादी है. हम कोई चीज ढंग से इस्तेमाल करना ही नहीं जानते. गंदगी तो एक बात है वरना अधूरा काम छोड़ना तो हमारी फितरत बनी हुई है. स्कूलकालेजों से हमें यह शिक्षा दी जाती है कि हर चीज का शौर्टकट है, इस का भरपूर उपयोग करो. चाहे कक्षा की बात हो या कैंटीन की. हमारे यहां बिखरे डैस्क और भिनभिनाती मक्खियां हमारे जीवन का अंग हैं.
यह आश्चर्य है फिर भी केवल जनसंख्या के बल पर हम विशाल अर्थव्यवस्था बन गए हैं और हमारे आका अपने को चीन, अमेरिका के बराबर समझने लगे हैं. देखा जाए तो हमारी संसद तक बिखरी रहती है. कहीं जाले लगे हैं, कहीं प्लास्टर उखड़ा है, कहीं कूड़े के ढेर हैं. सुंदर अभिनव बिल्डिंग को जिस तरह रखा जा रहा है, यह देश की स्थिति बताती है.