‘अरे! तुमने ब्रा को ऐसे ही खुले में सूखने को डाल दिया?’ ‘तुम्हारी ब्रा का स्ट्रैप दिख रहा है इसे ठीक से कवर करो’, ‘देखो, कैसी लडकी है उसने सफ़ेद ड्रेस के नीचे काली ब्रा पहनी है, जरा भी समझ नहीं है’. ब्रा के बारे में ऐसी स्टेटमेंट हर युवा होती लड़की को आम सुनने को मिलती है.
भारतीय समाज में अगर कोई लड़की छोटी स्कर्ट पहन ले या बिना ब्रा के बिना शर्ट या टॉप पहन ले तो न केवल हंगामा खड़ा हो जाता है, बल्कि उसे यह भी महसूस कराया जाता है कि मानों वह न्यूड है. दरअसल, भारतीय रूढ़िवादी समाज में ब्रा को लड़कियों के कपड़ों में एक ज़रूरी चीज़ माना जाता है, अगर आपने इसे पहन लिया तो ठीक और अगर पहनने के बाद यह कपड़ों से झांकती नज़र आ जाए तो और बड़ी मुसीबत. लोग आपको घूर घूरकर आपका जीना मुश्किल कर देते हैं. जैसे ही कोई लड़की किशोरावस्था में प्रवेश करती है, उसके लिए ब्रा पहनना एक ज़रूरी नियम बन जाता है. समझ नहीं आता क्या एक लड़की यह तय नहीं कर सकती कि वह क्या पहने और क्या नहीं. अपने शरीर के साथ क्या करे क्या यह एक लड़की का अधिकार नहीं होना चाहिए?
चोली के पीछे का इतिहास
औरतें ना जाने कब से अपने वक्षों का दम घोंटती चली आ रही हैं. इसका कोई अंदाज़ा नहीं, लेकिन लाइफ पत्रिका के मुताबिक 30 मई, 1889 को फ्रांस की हरमिनी काडोले ने पहली आधुनिक ब्रा बनाई थी. पर औरतें रुमाल से लेकर कॉर्सेट्स और वेस्ट्स से सदियों से अपने वक्षों को कसती आ रही हैं. विक्टोरियन काल में महिलाएं कोर्सेट पहनती थीं, जो एक तरह की जैकेट होती थी. इसे कमर के पीछे डोरियों से बहुत ज्यादा कस कर बांधा जाता था, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदेह था.
ब्रा पहनने की वजह
ब्रा पहनने के पीछे औरतों की मजबूरी है या चाहत इस बारे में अलग अलग महिलाओं की अलग अलग धारणा है. जहां कुछ औरतें खुद को सेक्सी और कॉंफिडेंट फील कराने के लिए ब्रा पहनती हैं, तो वहीं कुछ महिलाएं पुरुषों को उत्तेजित करने के लिए लेस वाली या पुश-अप ब्रा पहनती हैं. जबकि कुछ महिलाएं मजबूरीवश खुद को समाज की घूरती निगाहों से बचाने के लिए ब्रा पहनती हैं.
बॉलीवुड की टॉप ऐक्ट्रेस में शुमार की जाने वाली प्रियंका चोपड़ा से हाल ही में एक फैशन वेबसाइट इनस्टाइल द्वारा जब पूछा गया कि क्या वे अभी चल रहे ट्रेंड के अनुसार शर्ट की जगह सिर्फ ब्रा पहनना चाहेंगी, तो उन्होंने सीधे मना करते हुए कहा, 'नहीं मैं सिर्फ ब्रा नहीं पहन सकतीं मैं थोड़ा शर्मीली हूं, इसलिए मैं शर्ट पहनना ज्यादा पसंद करूंगी. मेरा मानना है कि ब्रा छुपी होनी चाहिए, दिखनी नहीं चाहिए'. अगर बात मेरे बेडरूम के आस-पास पहनने या फिर जहां तक लोगों को पता न चल सके तब तक तो ठीक है.
एक घंटे ब्रा पहनने का चैलेंज
आप सामने वाले की परेशानी का अंदाजा आप तब तक नहीं लगा सकते, जब तक कि आप खुद उस स्थिति से नहीं गुजरें. इस बात को समझाने के लिए हाल ही में सोशल मीडिया पर दिल्ली ओल्ड फिल्म की तरफ से यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया. गर्ल्स को ब्रा पहनने के बाद कितनी तकलीफ होती है इस बात को इस वीडियो में बड़े ही फनी और इंटरेस्टिंग अंदाज में दिखाया गया है. इस वीडियो को अभी तक तकरीबन 10 लाख लोगों ने देखा है और कुछ लोगों ने इस पर अच्छे तो कुछ ने भद्दे कमेंट भी किए है. इस वीडियो में पहले लड़कियों ने ब्रा पहनने से होने वाली परेशानी बताई और कहा कि इससे रेशेज, खुजली और पसीना भी आता है और अगर सही साइज की ब्रा ना हो तो परेशानी और भी बढ़ जाती है. बाद में इसी वीडियो में लड़कियां लड़कों को एक घंटे तक ब्रा पहनने का चैलेंज देती हैं. लेकिन लड़के 5 मिनट से ज्यादा ब्रा पहन कर नहीं रह पाते और मान लेते हैं कि ब्रा पहनना सचमुच बड़ी दिक्कत वाला काम है. इस वीडियो में कई लड़कों ने बारी-बारी से ब्रा पहनी और सबने यही कहा कि 1 घंटे ब्रा पहनने में ही उन्हें दिन में तारे नज़र आ गए.
क्या कहती है रिसर्च
1990 के बाद जो शोध किये गए हैं उनमें पाया गया है कि लंबे समय में ब्रा असल में नुकसान पहुंचाती है. एक फ्रेंच स्टडी के हिसाब से ब्रा पहनने के कई नुकसान हैं और औरतों को सलाह दी कि अगर मुमकिन हो तो वे ब्रा ना पहनें. 2013 में जब इस रिसर्च को पब्लिक किया गया तो इसमें बताया गया कि ब्रा पहनने से ब्रेस्ट टिशूज़ का बढ़ना रुक जाता है और शोध में बिना ब्रा वाले ब्रेस्ट्स ज़्यादा स्वस्थ पाए गए. चूंकि ये शोध सिर्फ 18-35 के बीच की औरतों पर किया गया था तो ये कहा नहीं जा सकता कि इससे बड़ी उम्र की औरतों के लिए ब्रा ना पहनना कितना फायदेमंद होगा.
शोध के अनुसार करीब 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती हैं और कसरत के दौरान स्पोर्ट्स ब्रा नहीं पहनती हैं जिससे वे सेहत से जुड़े गंभीर खतरों का शिकार हो जाती है. इतना ही नहीं गलत साइज की ब्रा पहनने वाली महिलाएं पीठ और कंधों से जुड़ी समस्या से जूझती हैं. गलत साइज की ब्रा के कसे स्ट्रैप्स और हुक्स की वजह से आपको रैशेज़ और घाव हो सकते हैं और डाइजेशन में भी परेशानी हो सकती है साथ ही पीठ, कमर और कंधों में दर्द के अतिरिक्त ब्रेस्ट कैंसर, हार्टबर्न और ब्लड सर्कुलेशन में भी दिक्कत आ सकती है.
ब्रा लेस हो कर जलवा बिखेरती हसीनाएं
ब्रा के शायद इन्ही नुकसानों को देखते हुए कुछ हसीनाएं ब्रा के नाम से इतना चिढती हैं कि पब्लिक प्लेस में या किसी समारोह में भी इन्हें ब्रा पहनना बिलकुल पसंद नहीं आता और वे बिना ब्रा पहने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने हुस्न का जलवा बिखेरती हैं. इन हसीनाओं में अगर बॉलीवुड अभिनेत्रियों की बात की जाए तो बोल्ड एन्ड सेक्सी दीपिका पादुकोण, सनी लियोन के अलावा ट्विटर गर्ल पूनम पांडे चर्चा में रही हैं. इसके अतिरिक्त दुनिया की सबसे प्रसिद्द सुपर मॉडल हेल्दी क्लूम, इन्टरनेट क्वीन किम कर्दशियान और संगीत की दुनिया में एक के बाद एक सुपर हिट गीत देने वाली रिहाना जो सभी तराशे हुए फिगर की मलिकायें हैं बिना ब्रा के जलवे बिखेरते दिखाई देती हैं.
नो ब्रा, नो प्रॉब्लम कैम्पेन
महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर आये दिन नए नए फरमान जारी होते रहते हैं और साथ ही ड्रेसकोड के ख़िलाफ़ विरोध भी होता रहता है. पिछले साल विम्बल्डन में कनाडा की खिलाडी यूजिनी बुशार्ड को सिर्फ इसलिए चेतावनी दे दी गयी क्योंकि उन्होंने अपनी सफ़ेद ड्रेस के नीचे ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी. यह खापी फरमान नहीं तो और क्या है? ऐसा ही कुछ अमेरिका के मोंटाना के स्कूल की एक छात्रा केटलिन के साथ भी हुआ जब वह 'शोल्डरलेस ब्लैक ब्लाउज़' के नीचे अंडरगार्मेंट नहीं पहन के आई तो उसकी टीचर ने उसे डांट लगाई और 'कवर अप' करने के लिए कहा. छात्रा को इस बात के लिए फटकार भी लगाई गई कि उसके शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनने से दूसरे छात्र असहज हो सकते हैं. इसके खिलाफ स्कूल की छात्राओं ने ना सिर्फ स्कूल में बिना ब्रा पहने प्रदर्शन किया बल्कि 'नो ब्रा, नो प्रॉब्लम' के नाम से फेसबुक पेज भी शुरू किया. इन छात्राओं ने कहा कि उन्हें ये ना सिखाया जाए कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं. केटलिन ने मीडिया से कहा कि ये अगर उनका शरीर सही ढंग से ढका हुआ है तो ये किसी और के लिए चिंता की बात नहीं होनी चाहिए. केटलिन ने कहा, असल में जिस तरह मुझे कहा गया कि लोग असहज महसूस कर रहे हैं तो इस पर मुझे आपत्ति है क्योंकि ये मेरा शरीर है. मुझे नहीं पता कि ये दूसरे के लिए कैसे असहजता उत्पन्न कर सकता है?
'नो ब्रा, नो प्रॉब्लम' पेज पर दुनिया भर से संदेश आ रहे हैं. इस पर पेज एक यूजर ने यह भी कहा, "किसी भी लड़की या महिला को ब्रा तभी पहननी चाहिए जब वह खुद चाहे और कम्फ़र्टेबल महसूस करे. किसी और को ये कहने का अधिकार नहीं है कि वह क्या पहने और क्या नहीं पहने. जब हम पुरुष, नहीं चाहें, तो कोई हमें अंडरवियर पहनने के लिए नहीं कह सकता तो फिर महिलाओं के साथ ऐसा भेदभाव क्यों?
जिंदगी एक ब्रा की तरह है
एमटीवी पर आने वाले शो ‘गर्ल्स ऑन टॉप’ में ईशा का किरदार निभा रही और बेहद बिंदास और अपनी हर बात बेबाकी से बोलने वाली सलोनी ने उन लोगों को जो महिलाओं की ब्रा की स्ट्रैीप दिखने पर भद्दे कमेंट्स करते हैं करारा जवाब दिया है . सलोनी ने इंस्टाग्राम पर एक बोल्ड तस्वीर के साथ एक बेहद बोलेड मेसेज दिया है. तस्वीर में सलोनी अपने हाथ में ब्रा लिए नजर आ रही हैं और उन्होंने मैसेज दिया है कि पुरुष बिना शर्ट के या अपने बॉक्सर्स में इधर-उधर घूम सकते हैं, लेकिन लड़कियां अपनी ब्रा में भी नहीं नजर आ सकतीं, ऐसे लोगों ने यकीनन समाज को नुकसान पहुंचाया है. सलोनी का कहना है-‘जिंदगी एक ब्रा की तरह है और महिलाओं को अपनी सेक्शुहअलिटी को लेकर और ज्यादा खुलने की जरूरत है. मुझे सच में समझ नहीं आता कि इनरवियर में प्रोब्लम क्या है? मैं पहनती हूं. क्या मुझे इन्हें पूरी तरह छुपाकर ऐसा अभिनय करना चाहिए कि मैंने इनरवियर पहने ही नहीं हैं? मेरे लिए ये सिर्फ एक कपड़े का टुकड़ा है जो मेरे ब्रेस्ट को ढकता है. जैसे कि एक स्कर्ट मेरे पैरों को ढकती है, और बाजू मेरे कंधों को. तो इसमें परेशानी क्या है? मेरा यकीन करें, हमारे ब्रेस्ट धार्मिक या पवित्र नहीं हैं, वो केवल हमारे शरीर का हिस्सा हैं. महिलाओं से कहना बंद करो कि वे ब्रेस्ट को लेकर असहज महसूस करें. इनरवियर कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे छुपा कर रखा जाए.
सलोनी ने सही कहा कि ब्रा सिर्फ एक कपडे का टुकड़ा है और उसे पहनने या न पहनने की आज़ादी एक महिला को ही होनी चहिये उसके दिखने को शर्म या झिझक का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. क्योंकि एक लंबे दिन के बाद जब एक महिला इस ब्रा रुपी बंधन को उतार फेंकती है तो वह जिस आज़ादी को महसूस करती है यह सिर्फ वही जानती है. अगर कोई महिला ब्रा पहनकर खुद को कॉन्फिडेंट और खूबसूरत महसूस करती है तो यह उसकी सोच उसका अधिकार है. उस पर किसी को बंदिश लगाने का अधिकार नहीं है. कब तक समाज स्कर्ट, जीन्स, बुर्के या ब्रा जैसी चीज़ों को लेकर आधी आबादी पर अपनी रूढ़िवादी सोच का शिकंजा कसता रहेगा?