“आज तुम देश के एक प्रमुख राजनीतिक दल से साक्षात्कार ले कर आओ, आजकल पार्टियां बड़ी चर्चा में है.” संपादक महोदय ने रोहरानंद को घूरते हुए देखा और कहा.
” मगर संपादक जी!… यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा.”
रोहरानंद ने अपने विचार तत्क्षण प्रकट किए-” इससे अच्छा तो चीफ इलेक्शन औफिसर अथवा किसी नेता, मुख्यमंत्री का इंटरव्यू ले आऊ.”
चश्मे के भीतर आंखों को गोल घुमाते हुए संपादक जी ने ठस स्वर में कहा,”- देखो ! हमारा आदेश मानना तुम्हारा परम कर्तव्य है, या फिर राय देना… जाओ आज हमें राजनीतिक दल का इंटरव्यू ही छापना है.”
रोहरानंद मन मसोस कर उठा और दफ्तर से भिनभिनाता हुआ देश की राजधानी स्थित 34 अकबर रोड पहुंच गया.
यहां एक बड़ा सा ग्लोसाइन बोर्ड टंगा था- अखिल भारतीय राष्ट्रीय सेवक कांग्रेस । रोहरानंद फुला नहीं समाया वह अपने गंतव्य तक पहुंच चुका था,उसने खादी के झोले से पेन और नोटबुक निकाली और इंटरव्यू की तैयारी करने लगा.
राष्ट्रीय सेवक कांग्रेस के विशाल बोर्ड के निकट पहुंच रोहरानंद ने विनम्र स्वर में कहा- “माननीय! मै एक पत्रकार हूं, आपका साक्षात्कार लेने आया हूं .यह सुनते ही मानो चमत्कार हुआ, विशाल बोर्ड से राजनीतिक दल प्रकट हुआ. राजनीतिक दल मुस्कुराकर बोला – “अच्छा! आओ आओ, पत्रकारों का हम बड़ा सम्मान करते हैं ,मगर…”
रोहरानंद- “जी ! मगर .”
राजनीतिक दल- “अच्छा होता आप हमारे किसी नेता, पदाधिकारी से बात कर लेते. उनके पास हर एक जानकारी मिल जाती, सेवा टहल भी हो जाती.”
रोहरानंद- “श्रीमान ! आज तो हमें सिर्फ आपसे ही बात करने का संपादक जी का आदेश है. इसी बहाने देश की जनता आपसे रूबरू होगी .यह हमारे संपादक जी की एक अभिनव सोच है.”
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राजनीतिक दल-( प्रसन्न भाव से ) “चलो ठीक है, पूछो, क्या जानना चाहते हो.”
रोहरानंद-‘ सर ! देश की जनता को यह बताइए लोकतंत्र में आपकी क्या अहम भूमिका है.”
राजनीतिक दल से एक पत्रकार की बातचीत होते देख देश की जनता आकर एक हुजूम की शक्ल में खड़ी हो गई .और राजनीतिक दल और पत्रकार की बातचीत सुनने लगे. राजनीतिक दल ने गला खंखार कर साफ किया और कहने लगा- “जैसा की सर्वविदित है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में मेरी भूमिका नींव और कंगूरे दोनों की है. मेरे ही सीने में चढ़कर आम आदमी नेता बन जाता है, मेरी अंगुली पकड़कर प्रधानमंत्री से लेकर आप राष्ट्रपति बन सकते हैं.”
रोहरानंद ने जिज्ञासा भरे स्वर में कहा- “सर ! क्या यह अनिवार्य है आपके बगैर वैतरणी पार नहीं हो सकती ? बिल्कुल यह आकाट्य सत्य है. देश और लोकतंत्र का यही सत्य है.” राजनीतिक दल ने गंभीरता स्वर में कहा.
“अच्छा कृपया यह बताइए, देश के नेताओं पर आपका कुछ अंकुश भी है या नहीं ?”
राजनीतिक दल ने कहा- “हम एक दूसरे के पूरक कहे जा सकते हैं, मेरे बिना उनका अस्तित्व नहीं उनके बिना मेरा अस्तित्व नहीं है .”
“देश की जनता आपको धृतराष्ट्र सरीका समझने लगी है .”
राजनीतिक दल- “यह मैंने तो कभी नही सुना.अगर ऐसा है तो मैं क्या कर सकता हूं.”
“आपका कुछ विशेषाधिकार तो होगा आखिर आप- आप हैं ?”
रोहनंद ने उसकी आंखों में आंखें डाल कर अधिकार पूर्वक कहा. -“मेरी सुनता ही कौन है ?” राजनीतिक दल की आंखों में अब पीड़ा उभर आई थी.
“अर्थात, आप पर जो गंभीर आरोप हैं वह सत्य हैं ?”
रोहरानंद ने सफल पत्रकार की तरह घेर लिया.
“कदापि नहीं, मैं विवश हूं, बंधन में हूं, मगर इसका तात्पर्य यह नहीं कि मैं कमजोर हूँ मेरी ऐसी ऐसी उपलब्धियां है जो आप पाठकों को बता सकते हैं .”राजनीतिक दल ने प्रभावोत्पादक भाव से कहा.
“ठीक है, सिक्के के दो पहलू होते हैं मगर अभी हम आपसे यह जानना चाहते हैं कि क्या देश के नेता आपके कंधे का इस्तेमाल अपनी स्वार्थ साधना के लिए नहीं कर रहे हैं ?”
राजनीतिक दल,- “हमें इस संदर्भ में कुछ नहीं कहना है. नेक्सट क्वेश्चन…”
“लेकिन आप देश की एक जिम्मेदार संस्था है, आप किसी प्रश्न को जो जनता आपसे जानना चाहती है, उसे कैसे नकार सकते हैं ?”
“लोकतंत्र की यही तो खूबी है. कुछ बातें जनता को नहीं बताई जा सकती .”
“अच्छा, कृपया यह बताएं रोहरानंद ने प्रश्न दागा-” नेता तो आपके सहयोग से देश की सत्ता का आनंद लेते हैं, क्या आपको रशक नहीं होता की काश ! हम भी इतिहास में अपना नाम लिखवाते.”
“देखो ! राष्ट्रीय सेवक कांग्रेस अर्थात हमारा नाम तो देश के इतिहास में अमर रहेगा ही.”
“वह कैसे ?”रोहरानंद ने पूछा.
“देश के सर्वाधिक प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री हमने दिए हैं.”
राजनीतिक दल ने कहा और गर्व से मुस्कुराते चारों तरफ देखने लगा.” यह सुन भीड़ ने ताली बजाकर आनंद लिया.
“सचमुच ?” रोहरानंद ने आश्चर्य प्रकट किया
” देश के योग्यतम नेता हमने ही तो दिए हैं, जिससे राष्ट्र दुनिया में सर उठा कर गर्व से खड़ा है.”
“सचमुच,मगर इसके साथ ही देश को भ्रष्टाचार के अंधेरे में आपने ही रोशन किया है.” रोहरानंद के होठों पर अब विदूप मुस्कान थी.
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“यह तो विपक्ष का आरोप है, विरोधी दल सत्ता हथियाने ऐसे प्रोपेगेंडा करता रहता है. दरअसल सत्य तो यह है कि भ्रष्टाचार विकास का सोपान है. यह भ्रष्टाचार ही है जिसने देश को अमेरिका , चीन, ब्रिटेन के समकक्ष लाकर खड़ा किया है.”
“धन्यवाद ! आपने साहस के साथ सत्य को स्वीकार किया हम और देश आपकी स्पष्ट बयानी का कायल हो गए हैं अब एक अंतिम प्रश्न और…। कृपया यह बताएं आप की छवि लगातार धूमिल क्यों होती जा रही है और इसे रोकने…”
“वह अपनी-अपनी दृष्टि है. हमें तो लगता है हम पूर्ण निष्ठा से देश की सेवा कर रहे हैं और ऐसे ही करते रहेंगे.”राजनीतिक दल ने कहा. इधर रोहरा नंद ने नोटबुक बंद कर दफ्तर की ओर रुख किया.