पीले रंग की हलदी अपनेआप में किसी अजूबे से कम नहीं होती है. इस में छिपे गुण बेहद असरदार साबित होते हैं. तमाम तरह की तकलीफों के देशी इलाज में हलदी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इन्हीं वजहों से हलदी को खासीयतों की खान माना जाता है. हलदी महज एक मसाला ही नहीं है, बल्कि कई लिहाज से यह खासीयतों का खजाना है. चटक पीले रंग की हलदी का वजूद किसी आयुर्वेदिक दवा से कम नहीं है. यह हर उम्र के लोगों के लिए कारगर साबित होती है.

हलदी खासतौर पर शरीर में कफ बनने से होने वाले रोगों को दूर करती है. यह कुदरती एंटीबायोटिक और एंटीएलर्जिक होती है, इसी वजह से बदन में चोट लगने, फोड़ेफुंसी होने या कीड़ेमकोड़े के काटने पर इस का लेप किया जाता है. हलदी के लेप से काफी फायदा होता है और दर्द भी दूर होता है. यदि किसी वजह से खून जम गया हो, तो वह हलदी के असर से फैल जाता है. हलदी का इस्तेमाल सिर के दर्द, मांसपेशियों के दर्द व जोड़ों के दर्द में  भी किया जाता है. शरीर में मोच आने पर भी हलदी के लेप से राहत मिलती है. दर्द, खांसीजुकाम व सूजन वगैरह होने पर कुनकुने दूध में हलदी मिला कर पीने से काफी फायदा होता है. चोट लगने पर भी हलदी वाला दूध राहत देता है. हलदी शरीर की ऊर्जा बढ़ाती है, जिस से शरीर को रोगों का डट कर मुकाबला करने की ताकत मिलती है. हलदी पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और कोलेस्ट्राल की मात्रा घटाती है. यह शरीर में खून का संचार भी बढ़ाती है. इस के इस्तेमाल से दिमाग व तंत्रिकातंत्र से जुड़े तमाम रोगों को ठीक किया जा सकता है. हलदी में पाया जाने वाला सरक्यूमिन बदहजमी (डिस्पेप्सिया)  के मरीजों को राहत पहुंचाता है. यह पित्तनाशक होती है. इस से खून और त्वचा की तमाम तकलीफों में काफी फायदा पहुंचता है.

अब तो हलदी से कैंसर जैसी बीमारी की दवाएं भी बनने लगी हैं. इस से खून की कमी भी दूर होती है. इस के अलावा यह शरीर की हड्डियों को भी मजबूत करती है. इस के इस्तेमाल से आस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की बीमारी) होने का खतरा कम हो जाता है. आधे गिलास दूध में आधा चम्मच हलदी का पाउडर डाल कर उबालने के बाद ठंडा कर के पीने से शरीर की तमाम तकलीफों से राहत मिलती है. अगर मसूढ़ों में दर्द या कोई और तकलीफ हो तो आधा चम्मच हलदी के पाउडर में चुटकीभर नमक व थोड़ा सा सरसों का तेल मिला कर सोने से पहले मसूढ़ों पर मलें और निकलने वाली लार को थूकते रहें. आधा घंटे बाद कुनकुने पानी से कुल्ला करें. ऐसा नियमित रूप से करने से मसूढ़ों और दांतों को काफी फायदा होता है. अगर दांत हिल रहे हों, तो थोड़े से हलदी के पाउडर में बराबर मात्रा में खाने वाला सोडा मिला कर उस से रोजाना 2 बार मंजन करने से बहुत आराम मिलता है. कुछ ही दिनों में दांत काफी मजबूत हो जाते हैं.

अगर शरीर को सर्दी बरदाश्त न होती हो या एलर्जी हो, तो 250 ग्राम हलदी के पाउडर को 4 चम्मच देशी घी के साथ तवे पर भून लें. इस मिश्रण की थोड़ी सी मात्रा को 1 चम्मच शहद के साथ 5 महीने तक लगातार रोजाना 2 बार खाएं. ऐसा करने से एलर्जी, जुकामखांसी व सांस के रोगों में बहुत आराम मिलता है.

अगर दमे की तकलीफ हो, तो 2 चम्मच हलदी के पाउडर को आधा चम्मच देशी घी के साथ तवे पर डाल कर धुआं निकलने तक भूनें और इस धुएं को नाक से खींचें. ऐसा करने से दमे के दौरे में आराम पहुंचेगा और बलगम भी बाहर निकलेगा. अलबत्ता नाक से धुआं खींचते वक्त इस बात का पूरा खयाल रखें कि नाक गरम तवे से छुलने न पाए, वरना बिलावजह दूसरी  तकलीफ पैदा हो जाएगी.

शरीर में कहीं भी दर्द हो, तो 1 चम्मच हलदी के पाउडर में 1 चम्मच अदरक का रस मिला कर गरम करें और दर्द वाली जगह पर दिन में 2 दफे लेप करें. लेप करने के 1 घंटे बाद दर्द वाली जगह की सिंकाई करें. इस इलाज से दर्द में बहुत राहत मिलती है.

अगर बुखार की वजह से बदन में दर्द हो, तो 1 चम्मच हलदी के पाउडर को 1 गिलास कुनकुने दूध के साथ फांक लें. इस से काफी जल्दी राहत मिलती है. बदन में अंदरूनी चोट लगने पर 2 गिलास पानी में 1 चम्मच हलदी का पाउडर व 1 चम्मच नमक डाल कर उबालें. जब पानी सेंकने लायक ठंडा हो जाए तो उस में साफ कपड़ा भिगो कर चोट वाली जगह की सिंकाई करें. ऐसा करने से काफी आराम मिलेगा. अगर बदन में कहीं मोच आ गई हो, तो 1 चम्मच हलदी के पाउडर में 1 चम्मच शहद व आधा चम्मच चूना मिलाएं और इस मिश्रण का मोटा लेप मोच वाली जगह पर करें और ऊपर से हलकी सी रुई की परत बिछा दें. लेप करने के साथसाथ 1 गिलास दूध में 1 चम्मच हलदी का पाउडर मिला कर 3 दिनों तक रोजाना 2 बार पिएं. इस इलाज से मोच के दर्द व सूजन में बहुत आराम मिलेगा. शहद न होने पर सिर्फ हलदीचूना का लेप भी काफी असरदार साबित होता है. इस के अलावा सरसों के तेल में हलदी का पाउडर मिला कर मोच वाली जगह पर हलके हाथों से मलने पर भी काफी आराम मिलता है.

अगर खांसी की वजह से गले व सीने में तकलीफ हो रही हो, तो पानी में थोड़ा सा हलदी का पाउडर व नमक मिला कर उबाल लें और घूंटघूंट कर के पीएं. इस से बहुत आराम मिलेगा. यदि जुकाम की वजह से गले में दर्द हो या टांसिल की तकलीफ हो, तो हलदी का पाउडर व नमक डाल कर उबाले हुए पानी से गरारा करें. ऐसा करने से काफी राहत मिलेगी और टांसिल भी जल्दी ठीक हो जाएंगे.

गले के बाहर जहां टांसिल की सूजन हो, वहां पर हलदी के पाउडर को पानी में मिला कर लेप करें. इस के अलावा आधा चम्मच शहद में 1 चौथाई भाग हलदी का पाउडर मिला कर दिन में 3 बार चाटें, इस से कफ, सर्दी व गले की तकलीफ में आराम मिलेगा. जुकाम के साथ खांसी होने पर 1 कप गरम दूध या पानी में 1 चम्मच हलदी का पाउडर उबाल कर पीएं. इस से जुकाम, खांसी व गले की खराश में बहुत फायदा होगा. जुकाम के इलाज में हलदी कई तरह से कारगर साबित होती है. आधा चम्मच हलदी के पाउडर में 5 कालीमिर्च पीस कर मिलाएं और उसे गरम दूध या गरम पानी में घोल कर पिएं, इस से जुकाम जल्दी ठीक हो जाता है. इस इलाज में यह ध्यान रखना जरूरी है कि काली मिर्च व हलदी का घोल पीने के बाद 1 घंटे तक पानी नहीं पीना है. सर्दी की वजह से जुकाम होने पर 1 चम्मच हलदी का पाउडर 1 कप गरम दूध में उबाल कर पिएं. इस में स्वाद के लिए थोड़ा गुड़ या चीनी मिला सकते हैं. इसे लगातार 4 दिनों तक पीने से जुकाम से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा. हलदी का पाउडर व सोंठ का पाउडर बराबर मात्रा में मिला कर एक डब्बे में रख लें. इस मिश्रण की 1 चम्मच मात्रा को कुनकुने दूध या पानी के साथ फांकने से भी जुकाम ठीक हो जाता है.

गरमी के मौसम में धूप में चलने के बाद अंदर आते ही ठंडा पानी पीने से बदन की सर्दी और गरमी का संतुलन बिगड़ जाता है, नतीजतन जुकाम हो जाता है और गला खराब हो जाता है. इसी तरह  पसीनापसीना हो कर अंदर आने के तुरंत बाद ठंडा पानी पीने या नहाने से भी जुकाम व बुखार हो जाता है.

ऐसी हालत में 2 चम्मच हलदी के पाउडर व 2 चम्मच अजवायन को 2 कप पानी में डाल कर उबालें. यह मिश्रण खौल कर आधा हो जाने के बाद उस में स्वाद के मुताबिक थोड़ा सा गुड़ मिलाएं और आंच से उतार कर ठंडा करें. जब यह पीने लायक गरम रहे तब इसे छान कर पीएं. यह पेय रोजाना सुबहशाम पीने से जुकामबुखार ठीक हो जाएगा. वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोजों से पता चला है कि हलदी दिल की तकलीफों को भी ठीक करती है, इसीलिए इसे बेहद कारगर माना जाता है. अगर शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो, तो आधा चम्मच हलदी के पाउडर को कुनकुने दूध के साथ दिन में 2 दफे फांकें. लगातार इस खुराक को लेने से हीमोग्लोबिन में काफी इजाफा होता है. शरीर में कहीं पर भी दाग, खुजली या कोई चर्म रोग हो तो 1 चम्मच हलदी के पाउडर में आधा चम्मच पीसी हुई मिश्री मिला कर सुबहशाम पानी के साथ फांकें. इस के अलावा 1 चम्मच नारियल के तेल में चौथाई चम्मच हलदी का पाउडर मिला कर रोगी की त्वचा पर लगाएं. इस से चर्म रोग में बहुत आराम मिलेगा.

इसी तरह कीलमुहांसे या फोड़ेफुंसी होने पर शुरुआत में ही हलदी का पाउडर व लौंग पीस कर बनाया गया मिश्रण लगाने से काफी फायदा होता है. आमतौर पर साबुत सूखी हलदी को सिलबट्टे से पीस कर बतौर मसाला इस्तेमाल किया जाता है या बाजार से तैयार हलदी पाउडर खरीद कर इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह कच्ची हलदी को भी अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. इस के लिए कच्ची हलदी को धो कर कद्दूकस कर लें व थाली या ट्रे में रख कर धूप में सुखाएं. अच्छी तरह सूखने के बाद इसे एयरटाइट डब्बे में रखें. इसे सब्जी या दूध में इसी रूप में या मिक्सी से पीस कर इस्तेमाल कर सकते हैं.

आजकल आरगैनिक हलदी की मांग

बढ़ गई है. ऐसी हलदी को बगैर किसी फर्टीलाइजर, रसायन, इंसेक्टीसाइड व पेस्टीसाइड के इस्तेमाल के उगाया जाता है. ऐसी हलदी और भी ज्यादा कारगर व फायदेमंद साबित होती है.

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