माइकल फेल्प्स ने ओलंपिक में अब तक 22 गोल्ड मेडल जीते जो अपने आप में ओलंपिक रिकॉर्ड है. पूर्व सोवियत संघ की जिमनास्ट लारिसा लातनिना ने 1956 से 1964 के ओलंपिक खेलों के दौरान कुल नौ गोल्ड मेडल जीते थे.

लेकिन आधुनिक ओलंपिक खेलों से पहले प्राचीन ओलंपिक खेलों के दौरान एक एथलीट ऐसा था जिसने 12 इवेंट में जीत हासिल की थी और उनके कारनामे को फेल्प्स रियो ओलंपिक में ही पीछे छोड़ पाए हैं.

दरअसल माइकल फेल्प्स ने अब तक जो 22 गोल्ड मेडल जीते हैं, इसमें से नौ तो रिले टीम के गोल्ड मेडल हैं. ऐसे में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल के हिसाब से देखें तो फेल्प्स ने रियो में अपना 13वां गोल्ड जीत कर लियोनेड्स ऑफ रोड्स का रिकॉर्ड तोड़ा है.

रोड्स ने ईसा से 164 साल पूर्व, 160 साल पूर्व, 156 साल पूर्व और 152 साल पूर्व में आयोजित लगातार चार ओलंपिक खेलों में अलग अलग तरह के तीन रेसों में जीत हासिल की थी. उस दौर में विजेता खिलाड़ियों को गोल्ड, सिल्वर या फिर ब्रांज मेडल देने का चलन नहीं था, केवल जैतून की पत्तियां दी जाती थीं.

रोड्स ने करीब 200 मीटर, 400 मीटर की रेस और कवच पहनकर होने वाले रेसों में लगातार चार ओलंपिक में जीत हासिल की. एक ही ओलंपिक में तीन इवेंट में जीत हासिल करने वाले एथलीट को ट्रिपलर कहा जाता है. ऐसे केवल सात एथलीट हैं.

रोड्स ऐसे एथलीट हैं जो एक बार से ज्यादा ये कारनामा दिखा चुके हैं. इतना ही नहीं, जब उन्हें चौथी बार ये कारनामा दिखाया था, तब उनकी उम्र 36 साल की थी, फेल्प्स से पांच साल अधिक.

उस जमाने में रेस के दौरान खिलाड़ी नंगे ही दौड़ते थे, लेकिन कवच वाले रेस में खिलाड़ी को युद्ध के दौरान पहने वाले कवच, हेलमेट पहनकर भागना होता था. ब्रिटिश म्यूजियम के सीनियर क्यूरेटर जूडिथ स्वाडलिंग कहते हैं, “इन सभी इवेंट में हिस्सा लेना भी काफी बड़ी उपलब्धि थी.”

वहीं कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल कार्टलेज कहते हैं, “कवच पहनकर दौड़ना मुश्किल काम था, वो भी 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में. इसके लिए मांसपेशियों में दमखम के साथ साथ जिमनास्ट वाली खूबियां भी जरूरी थीं.”

लेकिन इस एथलीट के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है और ना ही उनकी कोई तस्वीर भी मौजूद है. कार्टलेज के मुताबिक उनका नाम शेर के लिए इस्तेमाल होने वाले ग्रीक शब्द से निकला है, जिससे जाहिर होता है, वह काफी अभिजात्य रहे होंगे, संपन्न भी होंगे और संभवत एथलीट परिवार में जन्मे हों.

जूडिथ स्वाडलिंग के मुताबिक यूनान के रोड्स इलाके के इस एथलीट की मौत के बाद उन्हें उस वक्त के स्थानीय लोग ईश्वर जैसा ही मानते थे.

वैसे लियोनेड्स का जिक्र प्राचीन यूनानी साहित्य में भी मिलता है, जिसमें उन्हें सबसे प्रसिद्ध धावक कहा गया है. उनकी एक मूर्ति रोड्स में लगी हुई है और उनकी ख्याति तेज दौड़ने में ईश्वर जैसी क्षमता वाले धावक की थी.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...