कुछ लोगों ने यह शब्द शायद पहली बार सुना होगा लेकिन सब की जिन्दगी में यह शब्द केवल एक शब्द न हो कर वास्तविकता रखता है. लव, प्यार, मोहब्बत, चाहत और दीवानापन जैसे शब्दों और इन के एकसमान अर्थ से तो हम सभी भली भांति परिचित हैं, पर जो आप नहीं जानते वह है ‘इन्फैचुएशन’. इन्फैचुएशन का अर्थ वैसे तो सम्मोह, मुग्धता और आसक्ति है, लेकिन इस का सही मतलब इसके शाब्दिक अर्थ से कहीं ज्यादा है.
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आप किसी लड़के से दो दिन पहले ही मिले हैं और आप को लगता है कि आप उस से पहली ही नजर में प्यार करने लगे हैं. उस लड़के के उठने बैठने, बोलचाल और खूबसूरती से आप इतना ज्यादा अट्रैक्ट हो जाते हैं कि उस के बिना जीना ही दुश्वार लगने लगता है. लेकिन उस लड़के से बात करने और उसे सही तरह से जानने के बाद जब यह लगने लगे कि ‘प्यार’ खत्म हो चुका है, तो इस का मतलब है कि आप को उस लड़के से कभी प्यार था ही नहीं. यह फीलिंग जो आप को प्यार जैसी लगती है पर असल में होती नही है, इसे इन्फैचुएशन कहा जाता है.
इन्फैचुएशन को ऐसे समझें
इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘चोखरबाली’ का उदाहरण लेते हैं. यदि आपने रविन्द्रनाथ टैगोर की किताब चोखरबाली पढ़ी है या इसी नाम से बनी फिल्म देखी है तो आप यह समझ चुके होंगे कि मैं इस कहानी का उदहारण क्यों ले रही हूं. इस कहानी में चार किरदार हैं, आशालता, बिनोदिनी, महेंद्र और बिहारी. महेंद्र और बिहारी भाई जैसे दो दोस्त हैं. जब उन दोनों को शादी के लिए बिनोदिनी के घर से प्रस्ताव आता है तो वे खुद को शादी के लिए तैयार न बताते हुए, बिनोदिनी को बिना देखे ही रिश्ते के लिए मना कर देते हैं. कुछ साल बाद जब बिहारी के लिए वे आशा को देखने जाते हैं तो वहां महेंद्र को पहली नजर में ही आशा की खूबसूरती मोहित कर लेती है और वह आशा से शादी करने की इच्छा जताता है. आशा को जाने और समझे बगैर ही महेंद्र उस से शादी कर लेता है. आशा और महेंद्र घंटो साथ बिताते, बातें करते और अपने कमरे में ही रहते हैं. वहीं बिनोदिनी की जिस लड़के से शादी हुई थी वह शादी के कुछ दिनों में ही मर गया. महेंद्र की मां बिनोदिनी से प्रभावित थीं. जब वे बिनोदिनी को एक आश्रम में मिलती हैं तो उन की सेवा कर बिनोदिनी उन का दिल जीत लेती है और वे उसे अपने साथ ले आती हैं.
महेंद्र बिनोदिनी को जानने और समझने के बाद उसे चाहने लगता है. बिनोदिनी भी महेंद्र को पसंद करने लगती है. वे दोनों आशा के बारे में न सोचते हुए काफी करीब भी आ जाते हैं. कुछ दिन सब इसी तरह चलता है और फिर बिनोदिनी का प्यार महेन्द्र के लिए खत्म हो कर बिहारी पर शिफ्ट हो जाता है. अब महेंद्र पूरी तरह बिनोदिनी के प्यार में पागल अपना और आशा का रिश्ता तोड़ देने तक को तैयार रहता है. उधर, बिनोदिनी और बिहारी एकदूसरे के होना चाहते हैं.
इस कहानी में दो व्यक्तियों ने अपनी इन्फैचुएशन को प्यार समझने की गलती की. यदि, देखा जाए तो महेंद्र को आशा से पहली नजर में हुआ प्यार, प्यार न हो कर इन्फैचुएशन थी. यह इन्फैचुएशन ही थी जो महेंद्र को आशा से जोड़े हुए थी. दूसरी, बिनोदिनी थी जिसने महेंद्र के लिए अपनी इन्फैचुएशन को प्यार का नाम दिया और जाने अनजाने उसकी गृहस्थी तोड़ दी. बिनोदिनी की इन्फैचुएशन उसे मिलने वाले महेंद्र के हद से ज्यादा अटेंशन से खत्म हो गई.
इन्फैचुएशन और प्यार में अंतर
इन्फैचुएशन एक बहुत ही स्ट्रोंग फीलिंग है जिसमे व्यक्ति को लगता है कि वह प्यार में है जबकि ऐसा होता नहीं है. किसी के बारे में हर पल सोचते रहने, भूख प्यास मिटने, किसी का इंतजार करते रहने और बारबार उस से बातें करने के लिए मचलने को लोग प्यार समझ लेते हैं जबकि यह सब प्यार न हो कर इन्फैचुएशन है.
सेक्सुअल और मेंटल डिजायर्स
जहां एक तरफ इन्फैचुएशन में सेक्सुअल डिजायर अपने चरम पर होती है वहीं प्यार में सेक्सुअल डिजायर बाकि सभी फीलिंग्स के बीच का ही एक हिस्सा होती है. इन्फैचुएशन में व्यक्ति अपने पार्टनर या जिससे भी उसे इन्फैचुएशन है, उसको शारीरिक रूप से पाने के लिए मचलता है, वह हमेशा उस के आसपास रहना चाहता है, उसे छूना चाहता है, बाहों में भरना चाहता है. जबकि, प्यार अलग अलग इमोशन्स और फीलिंग्स का समावेश होता है. जब व्यक्ति को किसी से प्यार होता है तो वह उस की फिजिकल से ज्यादा इमोशनल और मेंटल प्रजेंस चाहता है.
गलतियां और कमियां
इन्फैचुएशन में व्यक्ति जिस से इन्फैचुएटेड होता है उसे उस की बाहरी खूबसूरती और अपीयरेंस के लिए चाहता है. उसे लगता है कि मुझे इस से प्यार है जिस के कारण ही मुझे इस की गलतियां नहीं दिखतीं या इस व्यक्ति में कोई कमी है ही नहीं. प्यार में ऐसा नहीं होता. प्यार में व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति की गलतियां, कमियां और कमजोरियां देखता है, उन्हें एक्सेप्ट करता है और फिर उस व्यक्ति को चाहता है. इसी चाहत को प्यार कहा जाता है जिस में व्यक्ति की आंखो में वो पट्टी नहीं बंधी होती जिस से उसे दूसरे व्यक्ति के अवगुण दिखाई ही न दें.
समय के साथ फीलिंग्स बदलना
अगर आप का पार्टनर आप को टाइम नहीं दे रहा है और आप से सुबह शाम नहीं मिल पा रहा है और इस कारण आप को लगने लगा है कि शायद आपका प्यार अब खत्म होने लगा है, तो यकीन मानिए आपको कभी उस व्यक्ति से प्यार था ही नहीं. प्यार इतनी जल्दी या कहें कुछ देर की दूरी से खत्म नहीं होता.
इन्फैचुएशन में अक्सर यही होता है कि व्यक्ति को अपने पार्टनर से थोड़ी सी देर की दूरी भी खलने लगती है जबकि प्यार होने पर दूरियां इस प्यार को मजबूत करती हैं. मजबूत ऐसे कि आप जिस से प्यार करते हैं उस से मिलने के लिए बैचैन होते हैं लेकिन आपको पता होता है व्यक्ति के लिए उस के काम करना भी इम्पोर्टेन्ट है और इस बात से आपका प्यार एफेक्ट नहीं होता. आप उस व्यक्ति को समझते हैं, आप का प्यार ऐसे खत्म या कम नहीं होता.
प्रोसेस को समझना
प्यार एक प्रोसेस है, यह अचानक से नहीं होता. आप एक व्यक्ति से आज मिले हैं, आपको वह हद से ज्यादा अच्छा लग जाता है लेकिन आप इसे प्यार का नाम नहीं दे देते. धीरे धीरे आपकी फीलिंग्स उस व्यक्ति के लिए बढ़ने लगती हैं, आप उस की बुराई भी जान जाते हैं और अच्छाई भी, उस की पसंद भी और नापसंद भी. आप की चाहत रुकने का नाम ही नहीं लेती और यह चाहत एक दिन या एक पल में नहीं हो जाती, यह एक प्रोसेस है जो आपके मन में काफी समय से चल रहा था. ये चाहत प्यार है.