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बच्चे क्या जानें कि वीणा सुहानी को ले कर कितनी हिंसक हो उठी थी. एक दिन गुस्से में  उस ने कहा भी था, ‘आप अगर सोचते हैं कि मैं आप से तलाक ले लूंगी और आप मजे से उस से शादी कर लेंगे तो मैं आप को याद दिला दूं कि मैं उस बाप की बेटी हूं जो अपनी जिद के लिए कुछ भी कर सकती है. मेरे एक इशारे पर आप की वह प्रेमिका कहां गायब हो जाएगी पता भी नहीं चलेगा.’

वीणा की धमकियां जैसेजैसे बढ़ रही थीं वैसेवैसे सुभाष की घबराहट भी बढ़ रही थी…वे अच्छी तरह जानते थे कि इस आयु में बड़ेबड़े बच्चों के सामने पत्नी को तलाक देना या दूसरा विवाह करना उन के लिए सरल न होगा. पर सुहानी को वीणा सताए यह भी उन्हें स्वीकार नहीं था. इसलिए ही उन्होंने सुहानी से कहा था कि वह जितनी जल्दी हो सके यहां से लंबे समय के लिए कहीं दूर चली जाए.

अगले दिन सुहानी को नर्सिंग होम में न देख कर वीणा बोली थी, ‘उसे भगा दिया न. क्या मैं उसे खोज नहीं सकती. पाताल से भी खोज कर उसे अपनी राह से हटाऊंगी. तुम समझते क्या हो अपनेआप को.’

‘इतनी नफरत किस काम की,’ गुस्से से डा. सुभाष ने कहा था, ‘क्या इस उम्र में मैं दूसरी शादी कर सकता हूं.’

‘प्यार तो कर रहे हो इस उम्र में.’

‘नहीं, किसी ने गलत खबर दी है.’

‘किसी ने गलत खबर नहीं दी,’ वीणा फुफकारती हुई बोली, ‘मैं ने स्वयं आप का पीछा कर के अपनी आंखों से आप दोनों को एकदूसरे की बांहों में सिमटते देखा है.’

डा. सुभाष स्तब्ध थे, कितनी तेज है यह औरत. घबरा कर कहा, ‘अपने बच्चों को भी तो हम किसी अच्छी बात पर प्यार कर लेते हैं.’

‘शर्म नहीं आती तुम को इतना झूठ बोलते हुए,’ वीणा के अंदर का झंझावात बुरी तरह उफन रहा था.

उस दिन पत्थर तोड़ते हुए हीरा ने कहा, ‘‘डाक्टर आप चाहते तो बच सकते थे. आप ने बीवी की कार का पीछा क्यों किया. अच्छेभले नर्सिंग होम में बैठे रहते तो बच जाते.’’

‘‘मैं बहुत डरा हुआ था, क्योंकि वीणा के पिता के आदमी उस की सुरक्षा में लगे हुए थे. शायद हत्या की सुपारी लेने वाला अपना काम न कर पाता,’’ हीरालाल की सहानुभूति पा कर

डा. सुभाष ने भी बोल दिया.

‘‘उस के आदमी चारों तरफ सुरक्षा में फैले रहते हैं. तभी तो आप आसानी से अंदर हैं.’’

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