ई-मैगज़ीन
ऑडियो स्टोरी
लॉग इन
⚲
SUBSCRIBE
⚲
सब्सक्राइब
Search
ऑडियो
कहानी
राजनीति
समाज
संपादकीय
लाइफ स्टाइल
फिल्म
हेल्थ
क्राइम
आपकी समस्याएं
फार्मिंग
ई-मैगज़ीन
कहानी
राजनीति
समाज
संपादकीय
लाइफ स्टाइल
फिल्म
हेल्थ
क्राइम
आपकी समस्याएं
फार्मिंग
ऑडियो
सब्सक्राइब करें
लॉग इन
कहानी
फिल्म
क्राइम
समाज
आपकी समस्याएं
हेल्थ
लाइफ स्टाइल
राजनीति
फार्मिंग
ई-मैगज़ीन
संपादकीय
ऑडियो स्टोरी
About Us
Terms and Conditions
Privacy Policy
Copyright Policy
Contact Us
Write for Us
कहानी
शेष जीवन
विनोद का पत्र पढ़ कर सुमन गहरी वेदना में क्यों डूब गई?
Digital Team
,
Apr 21, 2020
भाग - 1
तुम्हीं लायक बन जाते उन के लिए.’’ ‘‘लायक होता तो तुम्हारी लताड़ सुनता. आजकल सब रुपयों के भूखे हैं. न मेरे पास रुपए थे, न ही परिवार वालों ने हमें तवज्जुह दी.
भाग - 2
मम्मी,’’ रेखा ने डांटा, ‘‘आइंदा इस तरह की बातें कीं तो मैं आप से बात नहीं करूंगी,’’ उस ने बातचीत का विषय बदला, ‘‘जयपुर जा रही हूं,’’ रेखा के स्वर से खुशी स्पष्ट थी.
भाग - 3
अब मुझ से काम नहीं होता. 70 साल की अवस्था हो गई है. रोजाना 10-12 किलोमीटर साइकिल चला कर कचहरी जाना संभव नहीं. सोचता हूं कि घर बैठ जाऊं पर घरखर्च कैसे चलेगा.
सरिता डिजिटल सब्सक्राइब करें
अपनी पसंदीदा कहानियां और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी हर जानकारी के लिए सब्सक्राइब करिए
सब्सक्राइब करें
×
सबस्क्राइब करें
डिजिटल
+ प्रिंट
एडिशन
गिफ्ट पाने वाले की डिटेल
गिफ्ट देने वाले की डिटेल
पहले से रजिस्टर्ड?
यहां लॉगिन करें.
×
लॉग इन करें
डिजिटल एडिशन
Resend OTP
एक्सेस नहीं है?
यहां रजिस्टर करें.
×
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिए
सब्सक्राइब करें