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अजमत अली के बहुत मिन्नत करने पर करीम अली ने गेतीआरा के लिए अजमत का रिश्ता देने की हिम्मत की. खानदान अच्छा था. अजमत का रिश्ता आना हवेली में एक कयामत बरपा कर गया. जव्वाद गुस्से से उबल पड़े, ‘‘ये दो टके के मुंशी की इतनी हिम्मत कि जागीरदार की बेटी के लिए रिश्ता भेजे. मैं उसे उस की औकात याद दिला दूंगा. उन्हें पता है हमारे यहां खानदान के बाहर शादी नहीं होती. हम ने उन्हें थोड़ी इज्जत क्या दी कि वह हमारी बराबरी करने लगा.’’

फव्वाद शाह ने सम?ाने की बहुत कोशिश की कि अब जमाना बदल रहा है, वक्त के साथ चलने में ही अक्लमंदी है. बहन ने भी सम?ाया पर किसी की बात सम?ा में न आई. एक हफ्ते के अंदर गेतीआरा की शादी का ऐलान कर दिया गया. चचेरे भाई नौशाद के 10-11 साल के लड़के से गेतीआरा का रिश्ता तय कर दिया गया. दूल्हा गेतीआरा से पूरा 12 साल छोटा था. 10-11 साल का दुबलापतला लड़का गेतीआरा का उस से जोड़ न था. अभी भी सब उसे चुन्नू कहते थे.

तालीम, उम्र, शकलसूरत, रुतबा सब में जमीनआसमान का फर्क था. पर जव्वाद शाह की आंखों पर खानदान की काली पट्टी बंधी हुई थी.

गेतीआरा रोईगिड़गिड़ाई, शादी से इनकार किया, लड़का पसंद करने के अपने शरई हक की दुहाई दी कि बिना उस की पसंद के शादी हो नहीं सकती, उस ने धमकी दी वह अपना हक इस्तेमाल कर के साफ इनकार कर देगी. भाई से मिन्नतें कीं कि वह अच्छे से जानता है वह किसे पसंद करती है. उस का अटल फैसला था, अगर उस की मरजी के खिलाफ किया तो वह शादी से साफ इनकार कर देगी. चाहे उस का नतीजा कुछ भी निकले. सारे घर में अजब सी टैंशन हो गई. अब नयनतारा भी भाई के खिलाफ खड़ी हो गई थी. पर जव्वाद शाह अपनी बात पर अड़े रहे.

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