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आकाश ने पानी की बोतल खरीद ली और लड़की को पीने को दी. बाद में थोड़ा पानी उस ने भी पी लिया.

विशाखापटनम बस स्टौप आ चुका था. आकाश ने लड़की को सहारा दे कर नीचे उतारा और रिकशा ढूंढ़ने लगा. बड़ी मुश्किल से एक रिकशा वाला मिला. उस पर बैठ कर वह होटल की तरफ चल पड़ा. रास्ते में वह सोच रहा था कि इसे मां के पास छोड़ दूंगा. गांव में सहारा मिल जाएगा बेचारी को वरना इस अकेली लड़की को देख कोई इस के साथ क्या कर बैठे या कहां पहुंचा दे कुछ कहा नहीं जा सकता और फिर इस के बाबा भी नहीं रहे, घर भी बह गया. हुदहुद तूफान ने इस लड़की की जिंदगी सड़क पर ला कर खड़ी कर दी.

उधर दिशा होटल में बैठी लगातार टीवी समाचार पर नजरें टिकाए बैठी थी, जिस में आ रहा था: ‘चक्रवाती तूफान हुदहुद से प्रभावित आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने और स्थिति का जायजा लेने प्रधानमंत्री विशाखापटनम पहुंचे. गौरतलब है कि इस चक्रवाती तूफान में 24 लोगों की जान गई है और यह तटीय आंध्र प्रदेश में अपने पीछे भारी तबाही के निशान छोड़ गया है.

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‘चक्रवात के कारण मची तबाही की दास्तां यह है कि सड़कों पर जड़ों के साथ उखड़े पेड़, बिजली के खंभे और तारें आदि पड़े हैं. चक्रवात के कारण जिले में 15 मौतें हो गईं. स्थिति सामान्य करने के लिए संघर्ष जारी है.’दिशा का मन वैसे ही घबरा रहा था, उस पर हुदहुद के समाचारों से परेशान हो वह कई दफा आकाश को फोन कर चुकी थी. मगर उस से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था. तभी दरवाजे की घंटी बजी.

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