‘तुम अपना सवाल जरूर पूछना पर मैं पहले कुछ कहना चाहूंगा. शिखा के साथ मेरे जो संबंध थे उसे प्रेम नहीं कहा जा सकता है. मौजमस्ती की शौकीन उस लडक़ी के ऊपर बहुत सारा पैसा खर्च कर के मैं ने उस के साथ को पाया था. मुझे पता चला है कि उस की बड़ी बहन भी ऐसी ही थी. वे 4 बहनें है और मांबाप किसी तरह उन की शादी करा देना चाहते हैं और इसलिए छूट देते हैं.
‘वह झूठ कह रही थी कि मैं ने उस के साथ शादी करने का वादा किया था. यह तुम सब भी समझ सकते हो कि ऐसी लड़कियों से शादी में किसी भी लडक़े की दिलचस्पी नहीं होती है. मैं सच कह रहा हूं कि जब से नेहा मेरी जिंदगी में आई है तब से मैं ने शिखा या अपनी पुरानी किसी दोस्त के साथ रत्तीभर गलत संबंध नहीं रखा है,’ उन्हें सचाई बताते हुए मैं काफी उत्तेजित हो उठा था.
नीरज और कविता ध्यानपूर्वक नेहा की तरफ देखने लगे. जो कुछ मैं ने कहा था शायद वे दोनों उस के प्रति नेहा की प्रतिक्रिया जानना चाहते थे.
कुछ देर सोचविचार में डूबे रहने के बाद नेहा गंभीर लहजे में मुझ से बोली, ‘समीर, मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मान दिल की गहराइयों से प्यार करने लगी हूं. इसलिए मैं तुम्हारी पुरानी करतूतों को भुलाने को तो तैयार हूं पर क्या तुम आगे में मेरे प्रति पूरी तरह से वफादार रह सकोगे?’
‘बिलकुल वफादार रहूंगा क्योंकि मैं तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. तुम जैसी सोने का दिल रखने वाली लडक़ी को पा कर कोई भला क्यों इधरउधर तांकझांक करेगा?’ उसे अपने प्यार का भरोसा दिलाते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए.
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