नीरजा भनोट के बलिदान पर बनी फिल्म नीरजा के लिए नीरजा के भाई अखिल और अनीष भनोट ने यह साफ किया है कि उन्होंने अपनी बहन पर बनी बायोपिक फिल्म नीरजा के लिए एक भी पैसा बतौप फीस या किसी प्रकार की रॉयल्टी नहीं ली है.

बॉलीवुड के इतिहास में यह पहली बार होगा कि किसी बायोपिक कैरेक्टर के रिलेटिव ने मुफ्त में फिल्म बनाने दी है. तीन साल पहले आई फिल्म भाग मिल्खा भाग याद है न ! इसी के दौरान मिल्खा सिंह ने फिल्म के लिए 1 रुपए शगुन के तौर पर लेने की बात सामने आई थी. जो अपने आप में एक महान कृत्य था. इसी के बाद से ही लोगों को पता चला कि किसी व्यक्ति के जीवन पर बनने वाली फिल्म जिसे बायोपिक फिल्म कहा जाता है उस पर फिल्म निर्माताओं को अच्छी खासी रकम उनके परिजनों को देना होता है.

फिल्म से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जब नीरजा के बलिदान पर फिल्म बनाने की योजना को लेकर टीम नीरजा के दोनों भाई से मिली थी तो दोनों भावुक हो गए थे. अपनी वीरांगना बहन की कहानी को देश की कहानी बनने को लेकर वो काफी रोमांचित हो उठे. पर जैसे ही निर्माताओं ने कहानी पर फिल्म बनाने के लिए निश्चित रकम की पेशकश की तो उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि वे ऐसा कहकर नीरजा के बलिदान को छोटा कर रहे हैं.

नीरजा मिडिल क्लास फैमिली से थीं और उनके जाने के बाद उनके परिजनों का इस प्रकार का बर्ताव आज भी यह बताता है कि संस्कार अगर कहीं कूट-कूटकर भरे हैं तो सामान्य लोगों के परिवार में ही हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि नीरजा के बलिदान को लेकर उनके परिवार में एक अलग का गर्व देखने को मिलता है पर घमंड उन्हें रत्ती भर नहीं है. परिवार के हर सदस्य ने फिल्म के कंटेट, सीन को अपनी तरफ से हरी झंडी दे दी है.

फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि नीरजा भनोट की कहानी अभी तक चंद लोगों तक ही सीमित थी. लेकिन फिल्म के रिलीज होने साथ ही देश का हर बच्चा-बच्चा नीरजा की दिलेरी की दास्तां से वाकिफ होगा. और वाकिफ हो भी क्यों नहीं. जिस युवती ने अपनी जान की बाजी लगाकर 359 लोगों की जान बचाई हो. जिसके लिए उसे न तो ट्रेनिंग दी गई थी और न ही कोई हथियार. वो तो बस पैमएम की फ्लाइट की क्रू मेंबर थी. उसके बाकी के साथी मुसीबत के समय में उसका साथ छोड़कर भाग गए. ऐसे में उनकी शहादत पर पूरे देश को नाज़ होना बनता है.

फिल्म के निर्माता प्रसिद्ध फोटोग्राफर अतुल कासबेकर और निर्देशक राम माधवानी हैं. फिल्म 19 फरवरी को रिलीज होने वाली है.

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