कोका-कलर के डिजाइनर कोट, कंधे पर रंगीन उफनी दुपट्टा और कान में लटकते लंबे झुमके पहने मायावती ने अपने 60वें जन्मदिन पर विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला. भारतीय जनता पार्टी के बाद बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी रणनीति का खुलासा कर दिया है. जिससे साफ जाहिर होता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्य मुकाबला दलित-पिछडों के बीच ही रहेगा. अगडी जातियों के लोग तमाशाई रहेगें.
अपने 60वें जन्मदिन पर बसपा प्रमुख मायावती ने अपना सबसे बड़ा हमला समाजवादी पार्टी पर किया. मायावती ने कहा कि सपा खुद डाक्टर राम मनोहर लोहिया के आदर्शो पर नहीं चल रही. मायावती ने सपा सरकार द्वारा सैफई में किये गये उत्सव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर होने वाले खर्च पर सवाल उठाये. मायावती ने दलित समाज को यह बताने की पूरी कोशिश की जिससे उनको यह पता चल सके कि सपा सरकार ने दलित महापुरूषों के नाम पर बने स्मारकों से छेडछाड कर उसका अपमान किया है. मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर भी आरोप लगाते कहा कि भाजपा ने झूठे वादे करके चुनाव जीता है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति ही देश की राजनीति की दशा दिशा तय करती है. विधानसभा और लोकसभा चुनावों में करारी मात खाने के बाद लोगों ने बसपा को प्रदेश की राजनीति पर हाशिये पर समझ लिया था. पंचायत चुनावों में बसपा को जो समर्थन मिला, उससे मायावती बहुत उत्साहित है. मायावती जानती है कि चुनाव की मुख्य लडाई सपा-बसपा के बीच होगी. सपा बसपा के लिये अपने वोट बैंक को बचा रखने की चुनौती है साथ के अगडी जातियों को अपने साथ लेना है.
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