सरिता ने अपने अप्रैल (द्वितीय) अंक की कवर स्टोरी ‘टू फिंगर टैस्ट, बलात्कार के बाद फिर बलात्कार’ में कहा था कि टू फिंगर टैस्ट अवैज्ञानिक व अमानवीय है और उसे बलात्कार की शिकार महिला के लिए मैडिकल बलात्कार करार दिया था. यह बात दिल्ली सरकार द्वारा हाल ही में जारी गाइडलाइंस में कही गई है. दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार दिल्ली सरकार अपने उस विवादित आदेश को वापस लेगी जिस में बलात्कार पीडि़ता के लिए टू फिंगर टैस्ट की इजाजत देने की बात कही गई थी. दिल्ली सरकार का इस बारे में कहना है कि एक अधिकारी की गलती की वजह से ऐसा आदेश जारी हुआ था, इस के लिए उस के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. दिल्ली सरकार के इस विवादित आदेश का सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा भी लंबे समय से विरोध होता रहा है. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि टू फिंगर टैस्ट पीडि़ता को उतनी ही पीड़ा पहुंचाता है जितना उस के साथ हुआ रेप. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी देते हुए यह भी कहा था कि इस से पीडि़ता का अपमान होता है और यह उस के अधिकारों का हनन भी है.

टू फिंगर टैस्ट अमानवीय व अवैज्ञानिक है क्योंकि बलात्कार जैसा दंश झेल रही पीडि़ता को जब टू फिंगर टैस्ट से गुजरना पड़ता है तो उस के जख्म नए सिरे से रिसने लगते हैं. इस टैस्ट से औरत के स्वाभिमान, उस की इज्जत को ठेस पहुंचती है. उक्त महिला हो सकता है हस्तमैथुन करती हो, एंजौयमैंट के लिए सैक्स टौयज यूज करती हो. ऐसे में टीएफटी के आधार पर किसी महिला को बदचलन करार दिया जाना सरासर गलत है और रेप के बाद टीएफटी टैस्ट दोबारा रेप करने जैसा है.

दिल्ली सरकार द्वारा जारी नए दिशानिर्देश के अनुसार :

1.            बलात्कार के हर मामले में टू फिंगर टैस्ट जरूरी नहीं होगा.

2.            पीडि़ता सहमत होगी तभी टू फिंगर टैस्ट किया जाएगा.

3.            अगर पीडि़ता नाबालिग हो तो उस के मातापिता की सहमति के बाद ही टू फिंगर टैस्ट किया जाएगा.

4.            पीडि़ता के चरित्र पर प्रश्न नहीं खड़े किए जाएंगे.

5.            टू फिंगर टैस्ट से यह नहीं समझा जाएगा कि पीडि़ता पहले भी यौन संबंध बना चुकी है. टू फिंगर टैस्ट कोई चरित्र प्रमाणपत्र नहीं होगा.

6.            टैस्ट के बहाने निजता का हनन नहीं किया जाएगा.

7.            टैस्ट के दौरान रिकौर्ड में महिला पुलिस कौंस्टेबल के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे.

8.            अस्पताल प्रशासन यह चैक करेगा कि डाक्टर दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं अथवा नहीं.

दिल्ली सरकार द्वारा बनी टीम, जिस में 2 स्त्री रोग विशेषज्ञ व एक फोरैंसिक विशेषज्ञ शामिल हैं, ने 14 पन्नों के दिशानिर्देश जारी किए हैं. ये सभी दिशानिर्देश वही हैं जो सरिता की एक्सपर्ट पैनल टीम ने दिए थे. उम्मीद जताई जा सकती है कि इस नई गाइडलाइंस से टीएफटी जैसे उस भयावह मैडिकल प्रोसैस पर रोक लगेगी जिस से पीडि़ता को यौन उत्पीड़न के बाद गुजरना पड़ता है और अन्य राज्य भी इसे अपनाएंगे.

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