मेरा 7 वर्षीय बेटा अवी बहुत बातूनी और हाजिरजवाब है. एक दिन वह अपनी दादी के साथ टीवी पर ‘साथिया साथ निभाना’ देख रहा था. उसे ‘गोपी’ बहू बहुत अच्छी लगती है. उसी दिन रात को उस ने मुझ से कहा, ‘‘मम्मी, जैसे गोपी बहू अहमजी की पत्नी है वैसे ही आप पापा की पत्नी हो और पापा आप के ‘पतना’.’’

उस की इस बात पर हम सब अपनी हंसी रोक नहीं पाए.

रेनुका नेगी, नई दिल्ली

 

मेरे एक परिचित हैं. आपस में हम मिलते रहते हैं. उन्होंने अपने बेटे का स्कूल में ऐडमिशन करवाया. मैं उन के घर मिलने गई. वहां उन का बेटा भी खेल रहा था. मैं ने उसे प्यार से अपने पास बुलाया और पूछा, ‘‘बेटा, अब तो स्कूल जाना होगा, आप स्कूल वैन से जाओगे?’’ तो वह बच्चा बड़े प्यार से बोला, ‘‘आंटी, अप्रैल से.’’ उस के भोलेपन पर सब हंसने लगे.

रश्मि सिंह राठौड़, सीतापुर (उ.प्र.)

 

मेरा 3 वर्ष का नाती आर्यन अंगूठा चूसता है. उस की इस आदत को छुड़ाने के प्रयास जारी हैं. परंतु आर्यन यह आदत छोड़ता ही नहीं. एक दिन हम सभी कार से कहीं जा रहे थे. उस की मम्मी कार चला रही थीं. बातूनी आर्यन ड्राइविंग सीट के पीछे खड़ा हुआ लगातार बोले जा रहा था. परेशान हो कर उस की मम्मी ने कहा, ‘‘अब एकदम चुप हो जा. आगे जरा भी मुंह खोला तो नीचे उतार दूंगी.’’

‘‘तो मम्मी, मुंह में अंगूठा ले लूं?’’ आर्यन ने सहज रूप से पूछा. हम सब का हंसतेहंसते बुरा हाल था.

मधुरिमा सिंगी, भोपाल (म.प्र.)

 

हमारा पोता रनक 3 साल का था. उस समय बेटाबहू दोनों औफिस जाते थे. वह घूमनाफिरना, खाना, दूध पीना, सोना सब काम मेरे साथ ही करता था पर पौटी साफ करवाने के लिए अपनी दादी को आवाज देता था.

एक दिन उस ने आवाज दी, ‘‘दादी, पौटी हो गई, आ कर साफ कर दो.’’ उस समय उस की दादी लेटी हुई थीं, बोलीं, ‘‘रनक, आज तो कमर में बहुत दर्द हो रहा है. कैसे आऊं?’’ तब रनक ने पूछा, ‘‘फिर पौटी कौन साफ करेगा?’’ दादी बोलीं, ‘‘झक मार कर उठना पड़ेगा.’’

उठीं और जा कर उस की पौटी साफ कर दी. तब रनक मेरे पास आ कर बोला, ‘‘दादी ने झक मार कर पौटी साफ कर दी.’’

एन के सक्सेना, भोपाल (म.प्र.)

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