45 साल के राधेश्याम मां, पत्नी और 12 साल की बेटी के साथ आराम से जीवन गुजरबसर कर रहे थे. उन की 65 साल की मां भी थी. किसी तरह की कोई दिक्कत न थी. उन का अपना छोटा सा कपड़े बेचने का काम था. उस से परिवार के गुजरबसर लायक कमाई हो रही थी. इस बीच एक दिन दुर्घटना में उन की पत्नी की मृत्यु हो गई. इस की कल्पना किसी ने नहीं की होगी. कुछ माह तो गुजर गए.
इस के बाद राधेश्याम ने दुकान के साथ ही साथ अपने घर और बेटी को खुद संभालना शुरू किया. पहले यह काम पत्नी कर लेती थी. पत्नी के पास अपनी स्कूटी थी. कई बार अगर राधेश्याम को जरूरी काम होता था तो पत्नी दुकान भी संभाल लेती थी. दुकान पर काम करने वाले 3 नौकर थे. राधेश्याम शहर के साप्ताहिक बाजारों में ठेले पर दुकान लगाने के लिए 2 नौकर भेजता था. एक नौकर के साथ वह अपनी दुकान संभाल लेता था.
पत्नी के बाद उस ने अपनी दुकान पर एक नौकर की संख्या बढ़ा दी. दुकान पर सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया. दुकान से वह कुछ समय निकालने लगा. इस समय को उस ने अपने घर और बेटी को देना शुरू किया. मां की मदद करने लगा. जो राधेश्याम घर का एक भी काम नहीं करता था, केवल दुकान देखता था, आज घर में सफाई और रखरखाव तक करने लगा था. मां उसे मना भी करती, फिर भी वह काम करता. पहले वह खुद अपने कपड़े और सामान बिखेर दिया करता था.
दुकान के कागजात इधरउधर रखता था. इस के बाद जरूरत पड़ने पर पत्नी से मांगता था और चीखपुकार मचाता था. बेटी को कहना पड़ता था कि बाजार, पार्क और सिनेमा दिखा दो. वह बहाना बना देता था. अब वह बिना कहे मां और बेटी को ले जाता था. पत्नी की स्कूटी का हमेशा खयाल रखता था. उस को कभीकभी चला भी लेता था. बेटी के साथ उस का स्वभाव एकदम बदल गया था. गुस्सा खत्म हो गया था. घर में उस ने मदद के लिए 2 नौकर रख लिए. घर को देख कोई नहीं कह सकता था कि इस घर में मालकिन नहीं है. खुद भी पूरी तरह से फिट और स्मार्ट दिखता था.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन