दुनिया की सुपर पावर कहलाने वाला और सब से सुरक्षित देश माना जाने वाला अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए बहुत ही असुरक्षित देश बन गया है. पिछले कई महीनों में अमेरिका के अलगअलग क्षेत्रों में छात्रों पर हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं. एक के बाद एक भारतीय छात्रों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें हो रही हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका में एक महीने पहले लापता हुआ 25 वर्षीय भारतीय छात्र मोहम्मद अब्दुल अरफात 9 अप्रैल को अमेरिकी शहर ओहियो में मृत पाया गया है.

मोहम्मद अब्दुल अरफात की मौत अमेरिका में भारतीय या भारतीय मूल के छात्रों से जुड़ी घटनाओं की श्रृंखला में नवीनतम है. वह 2024 में अमेरिका में मरने वाले 11वें भारतीय छात्र हैं. इस से पहले 5 अप्रैल को भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ओहियो के क्लीवलैंड में उमा सत्य साई गद्दे की मृत्यु की सूचना दी थी. 18 मार्च को बोस्टन में एक भारतीय छात्र अभिजीत पारुचुरू की भी संदिग्ध परिस्थितियों में निधन की सूचना आई थी.

अब 9 अप्रैल को मोहम्मद अब्दुल अरफात का शव मिलने से उन परिवारों में दहशत और चिंता का माहौल है जिन के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालओं में पढ़ रहे हैं. मोहम्मद अब्दुल अरफात हैदराबाद का रहने वाला था और 2023 में उस ने उच्च शिक्षा के लिए क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था. मोहम्मद अब्दुल अरफात पिछले महीने अचानक लापता हो गया था. उस के पिता मोहम्मद सलीम कहते हैं कि उन की अरफात से आखिरी बार 7 मार्च को बात हुई थी और उस के बाद उन का सेलफोन बंद हो गया था. उन्होंने उस से कांटेक्ट करने की काफी कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुए. अधिकारियों से भी मिले और दूतावास से भी सहायता मांगी, मगर अरफात की कोई खबर उन्हें नहीं मिली.

अचानक 19 मार्च को, सलीम को एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया, जिस ने कहा कि अमेरिका में ड्रग्स बेचने वाले एक गिरोह ने अरफात का अपहरण कर लिया है और फिर उस ने 1,200 अमेरिकी डौलर की मांग की. कौल करने वाले ने भुगतान के तरीके का उल्लेख नहीं किया. सलीम कहते हैं कि जब उन्होंने फोन करने वाले से कहा कि उन को बेटे से बात करने दो, तो उस ने इनकार कर दिया. 21 मार्च को भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा कि वह अरफात को जल्द से जल्द ढूंढने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में है. मगर 9 अप्रैल को मोहम्मद अब्दुल अरफात को ओहियो के क्लीवलैंड में मृत पाया गया.

अरफात की मौत की पुष्टि न्यूयौर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कर दी है. न्यूयौर्क स्थित महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट किया है, “यह जानकर दुख हुआ कि मोहम्मद अब्दुल अरफात, जिन के लिए एक खोज अभियान चल रहा था, क्लीवलैंड, ओहियो में मृत पाए गए.”

वाणिज्य दूतावास ने कहा है कि वह क्लीवलैंड विश्वविद्यालय के छात्र की मौत की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका में स्थानीय एजेंसियों के संपर्क में हैं. इस के साथ ही उन्होंने अरफात के पार्थिव शरीर को भारत लाने और शोक संतप्त परिवार को हर संभव सहायता देने की बात कही है.

एक के बाद एक हो रही मौतों ने अमेरिका में भारतीय छात्रों और भारत में उन के परिवारों को चिंतित कर दिया है. अरफात से पहले 25 वर्षीय एक छात्र विवेक सैनी की एक बेघर नशेड़ी ने पीटपीट कर हत्या कर दी थी और 27 वर्षीय वेंकटरमण पित्तला की जलयान दुर्घटना में मौत हो गई थी. कई अन्य छात्रों की मौत के कारणों की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है. 2024 में अब तक 6 भारतीय छात्रों पर घातक हमले हो चुके हैं. इन 6 भारतीय छात्रों में से 5 छात्रों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है.

तो ऐसे में क्या यह मान लिया जाए कि अमेरिका जैसा देश भारतीय छात्रों के लिए अब सुरक्षित नहीं है. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से भारत पर यह आरोप लग रहा है कि यहां के वांछित अपराधी जो अन्य देशों में छुपे बैठे हैं या वहां की नागरिकता ले कर आराम से रह रहे हैं और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, उन को रौ के अधिकारियों द्वारा दूसरे देशों में जा कर खत्म किया जा रहा है. कहीं भारतीय छात्रों की मौतों की कड़ी इस से तो नहीं जुड़ी है?

अमेरिका में नस्लवादी सोच, रंगभेद जैसी बुराइयां भी चरम पर हैं. गोरों और कालों के बीच आएदिन शूटआउट, स्टूडैंट्स द्वारा क्लासरूम में घुस कर दनादन गोलियां चला देने की घटनाएं वहां आम हैं. ऐसे गुंडा तत्वों के लिए भारतीय छात्र बहुत कोमल शिकार हैं. काले अमरीकियों के झुंड वहां अकसर लूटपाट और मारपीट पर उतारू रहते हैं. इन पर पुलिस का कोई कंट्रोल नहीं है.

4 फरवरी को शिकागो में एक भारतीय छात्र पर 3 काले हमलावरों ने रात में उस वक्त हमला किया जब वह खाना ले कर अपने घर जा रहे थे. इस हमले का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. इस में छात्र सैयद मजाहिर अली खाने का पैकेट ले कर पैदल ही घर की तरफ जाते दिख रहे हैं. रात का एक बजे का वक्त है. अचानक उन के पीछे 3 युवक उभरते हैं. ये तीनों पहले से ही एक कार के पीछे छिप कर अपने शिकार की तलाश में थे. इन तीनों ने मुंह पर रुमाल बांध रखे थे और हुड वाली जैकेट पहन रखी थी. जैसे ही ये तीनों मजाहिर की तरफ बढ़े मजाहिर खतरा भांप पर घर की ओर दौड़े. मगर कुछ ही क्षण में वे बदमाशों की गिरफ्त में आ गए. इन बदमाशों ने मजाहिर के साथ जम कर मारपीट की. उन के सर पर घातक वार किए. मजाहिर बुरी तरह घायल हो गए और जमीन पर गिर कर छटपटाने लगे. हमलावर उन की चीजें छीन कर निकल भागे.

अमरीकी पुलिस के मुताबिक यह लूटपाट के मकसद से किया गया हमला था. मजाहिर से उन का मोबाइल फोन भी छीन लिया गया. मजाहिर को घायल कर के और लूट कर तीनों उस काले रंग की सेडान कार से भागे जिसे उन्होंने पहले से स्टार्ट करके रखा था.

सैयद मजाहिर अली हैदराबाद के रहने वाले हैं. वो शिकागो की इंडियाना वेस्ट लाइन यूनिवर्सिटी से इनफार्मेशन एंड टैक्नोलौजी में मास्टर्स कर रहे हैं. इस हमले के बाद मजाहिर के परिवार वाले काफी परेशान हैं. उन की पत्नी रुकिया फातिमा ने भारतीय विदेश मंत्रालय से मजाहिर तक मैडिकल हेल्प पहुंचाने की अपील की है. इस हमले में मजाहिर का काफी खून बह गया था. उन के सिर, घुटने और पसलियों में गहरी चोटें आयई हैं. उन की पत्नी रुकिया फातिमा ने विदेश मंत्रालय से शिकागो जाने के लिए स्पेशल वीजा लगाने की मांग की है क्योंकि मजाहिर की देखभाल करने वाला वहां कोई भी नहीं है. सैयद मजाहिर अली किस्मत वाले थे कि इस हमले में उन की जान बच गई.

1 फरवरी को अमेरिका के ओहायो में भारतीय छात्र श्रेयश रेड्डी का शव मिला था. पुलिस की जांच अभी भी जारी है. रेड्डी की मौत हत्या है या कुछ और इस को ले कर अभी तक अमेरिकी पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी है. श्रेयश रेड्डी बेनिगेरी लिंडनर स्कूल औफ बिजनेस, सिनसिनाटी के छात्र थे. इस से कुछ दिन पहले भारतीय छात्र नील आचार्य की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर आई थी. इस मामले में भी पुलिस कुछ खास नहीं बता पाई.

नील आचार्य PURDUE UNIVERSITY में पढ़ते थे. 28 जनवरी को वे अचानक लापता हो गए. लेकिन कुछ दिन बाद पुलिस को उन का शव बरामद हुआ. इसी तरह से एमबीए छात्र विवेक सैनी की जौर्जिया में हत्या हुई. उन पर नशे में धुत्त एक व्यक्ति ने हथोड़े से हमला किया था. हालांकि इस हमलावर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.

अकुल बी. धवन UNIVERSITY OF ILLINOIS में पढ़ रहे थे. अकुल 20 जनवरी को लापता हो गए और इस के 10 घंटे बाद उन का शव उन के कैम्पस से कुछ ही दूरी पर मिला. इन सभी छात्रों की मौतों को ले कर पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है. अमेरिका जैसे देश की पुलिस से यह उम्मीद नहीं है कि वह भारतीय छात्रों की संदिग्ध हालात में हुई मौतों पर चुप्पी साध ले या जांच पूरी न कर पाए. क्या अमेरिका अपने किसी नागरिक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौतों पर शांत बैठता है?

उल्लेखनीय है कि हालफिलहाल में भारत के 15 लाख छात्र दुनिया के अलगअलग देशों में पढ़ाई करने के लिए गए हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा लोकसभा में दिए गए एक जवाब में बताया गया कि वर्ष 2018 से 2 फरवरी 2024 तक 403 भारतीय छात्रों की अलगअलग देशों में संदिग्ध मौतें हुई हैं.

भारतीय छात्रों की मौतों के कई कारण भी उन्होंने बताए. जिस में प्राकृतिक कारण, बीमारियां और हमले शामिल हैं. विदेशों में मारे गए 403 भारतीय छात्रों में से सब से ज्यादा करीब 91 की मौत कनाडा में हुई है. बीते 6 सालों में 48 छात्रों की मौत ब्रिटेन में और 36 छात्रों की मौत अमेरिका में हुई है. अमेरिका में यह संख्या लगातार बढ़ रही है.

अमेरिका एक ऐसा देश है जो उच्चस्तरीय शिक्षा देने वाले विश्वविद्यालयों के लिए मशहूर है. उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों के लिए अमेरिका पहली पसंद है. बावजूद इस के अमेरिका में विदेशी छात्रों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय होता जा रहा है, जिस पर बाइडेन सरकार का कोई ध्यान नहीं है. जहां तक अमेरिका जाने वाले विदेशी छात्रों की बात है तो वर्ष 2022 – 2023 में 10 लाख 57 हजार 188 विदेशी छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालयों को चुना.

इस में से 2 लाख 68 हज़ार 923 भारतीय छात्र हैं. अमेरिका में उच्च शिक्षा पाने के लिए चीन के बाद सब से ज्यादा संख्या भारतीय छात्रों की है. अधिकांश भारतीय छात्र इस उम्मीद से उच्च शिक्षा में वहां दाखिला लेते हैं कि उस के बाद उन्हें वहीं नौकरी मिल जाएगी और वे वहीं सेटल हो जाएंगे. अधिकतर भारतीय छात्र जो अमेरिका में पढ़ रहे हैं उन की इच्छा वापस भारत लौटने की नहीं होती है. इस के विपरीत चीनी छात्र अमेरिका में शिक्षा प्राप्त कर अपने देश वापस लौटते हैं और अपने ज्ञान से अपने देश को विकास की गति देते हैं.

ग्लोबल एजुकेशन कान्क्लेव के मुताबिक वर्ष 2022 में भारत से बाहर जा कर पढ़ाई करने वाले छात्रों ने लगभग 4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए. जबकि 2025 तक यह खर्च 50 प्रतिशत तक बढ़ कर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए तक हो जाएगा. यानी उच्च शिक्षा के मामले में विदेश जा कर पढ़ना भारतीय छात्रों को पसंद है. अब तो मध्यम वर्गीय परिवार भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं. लेकिन अमेरिका, कनाडा या यूके जैसे देशों से जब भारतीय छात्रों की हत्या या संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबरें आती हैं तो एक डर जरूर हावी हो जाता है, बावजूद इस के अमेरिका जाने का लोभ भारतीय छात्रों को खींचता है.

विदेश जा कर पढ़ाई करने के मामले में भारतीय छात्रों की पसंदीदा लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन. कनाडा और आस्ट्रेलिया शामिल हैं. इन देशों की आधिकारिक भाषा अंगरेजी है. इसीलिए यह देश भारतीयों की पसंद हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जर्मनी, फ्रांस, रूस, यूक्रेन, सिंगापुर भी भारतीय छात्रों को भाया है. मगर रूस यूक्रेन युद्ध के बाद लगभग सभी भारतीय छात्र भारत वापस लौट चुके हैं.

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