बाहरी गतिविधियों में शामिल होने से पुरुषों को यह फायदा मिलता है कि वे अपने मूड को शिफ्ट कर लेते हैं पर भारत में अधिकतर महिलाएं घरों में बंद जिंदगी जीती हैं, अधिकतर परेशानियां वे किसी से शेयर नहीं कर पातीं जिस के चलते उन में गुस्सा व तनाव पैदा होने लगता है. ऐसी स्थिति से कैसे निबटें जब औरत का स्वभाव गुस्सैल हो जाए. नेहा जब से नितिन से शादी कर के उस के घर आई थी, उस ने अपनी सास को ज्यादातर उखड़े हुए मूड में ही देखा.

उस की सास कामिनी सभी के कामों में दखलंदाजी करती थी और हर चीज में मीनमेख निकालती थी. 25 वर्षीय नेहा, उस का 28 वर्षीय पति नितिन, उस की ननद, ससुरजी, देवर सभी कामिनी के व्यवहार से परेशान रहते थे. वह छोटीछोटी बात पर चीखनेचिल्लाने लगती थी, तेज आवाज में लड़ने लगती थी. नेहा तो उस का व्यवहार देख कर उस से डरीडरी रहने लगी. सास से कुछ पूछनेबताने के लिए उसे बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ती थी, पता नहीं किस बात पर बखेड़ा खड़ा कर दे.

घर के लोग ही नहीं, बल्कि पड़ोसी भी कामिनी के उग्र स्वभाव से डरते थे और कोई उस को अपने घर नहीं बुलाना चाहता था. नेहा एक उच्चशिक्षित संस्कारी परिवार से आई थी. अपने परिवार में उस ने कभी किसी औरत का तो क्या, किसी पुरुष का भी ऐसा रौद्र रूप नहीं देखा था. सभी बहुत सुल?ो हुए लोग थे. कोई किसी से तेज आवाज में बात नहीं करता था और सब के मन में एकदूसरे के प्रति प्यार और इज्जत थी. लेकिन ससुराल का वातावरण बिलकुल विपरीत था. एक औरत की वजह से पूरा घर जंग का मैदान बना रहता था. मध्यम और मीठी आवाज में बात करने वाली नेहा को जल्दी ही अपनी ससुराल जंगलियों की खोह नजर आने लगी. उस ने काफी कोशिश की कि किसी तरह अपनी सास के दिल में अपने लिए प्रेम पैदा कर सके. औफिस से लौटते वक्त अकसर वह कोई न कोई छोटामोटा गिफ्ट या उस की पसंद की खाने की कोई चीज ले आती थी.

मार्केट जाती तो उस को तैयार कर के अपने साथ ले जाती और उस की पसंद की चीजें खरीदती ताकि वह खुश रहे. खाली वक्त में उस से बातें करती या उस की किसी रैसिपी की तारीफ कर के उसे सिखाने के लिए कहती. मगर नेहा की इन तमाम कोशिशों का प्रभाव, बस, थोड़े समय के लिए रहता था. दोएक दिन बाद कामिनी का व्यवहार फिर गुस्सैल हो जाता था. सालभर सास के तीखे बोल सहने के बाद एक दिन तंग आ कर नेहा ने सारी बातें अपने बड़े भाई अंकुर को फोन पर कह डालीं. अंकुर डाक्टर थे, छूटते ही बोले, ‘‘आंटी का ब्लडप्रैशर चैक करवाओ. मु?ो तो हाइपरटैंशन का मामला लग रहा है.

यह हालत उस के हार्ट और ब्रेन के लिए ठीक नहीं है. खाने में घी, नमक और मसाले की मात्रा कम कर दो.’’ नेहा ने अपने पति नितिन से बात की. अपने भाई अंकुर से भी पति की बात करवाई. अंकुर ने कहा, ‘‘इस से पहले कि बहुत देर हो जाए, अपनी मम्मी का चैकअप करवा लो. नितिन को बात सम?ा में आ गई पर अब सब से बड़ी प्रौब्लम यह थी कि मम्मी को डाक्टर के पास क्या कह कर ले जाया जाए? अगर वह मां से कहता कि चलो बीपी चैक करवा लो तो वह न सिर्फ मना कर देती बल्कि डांट लगा कर कहती- तुम लोगों ने मु?ो पागल सम?ा रखा है? मैं तुम लोगों को बीमार नजर आती हूं? ऐसे में नेहा ने एक रास्ता निकाला.

नेहा ने अपने चैकअप का बहाना बनाया और दूसरे दिन बहाने से सास को ले कर डाक्टर के पास पहुंच गई. नितिन ने पहले ही डाक्टर को सारी स्थिति और मां का व्यवहार सम?ा दिया था. डाक्टर ने पहले नेहा का बीपी चैक किया और फिर बोला, ‘‘आइए माताजी, आप भी चैक करवा लीजिए.’’ डाक्टर ने बैंड नेहा के हाथ से उतार कर उस की सास के हाथ पर बांध दिया. कामिनी का बीपी 200/120 निकला. डाक्टर ने हैरानी से कहा, ‘‘यह तो बहुत ज्यादा है.

आप का बीपी क्या हमेशा इतना ज्यादा रहता है?’’ कामिनी देवी बोलीं, ‘‘पता नहीं, कभी चैक नहीं कराया.’’ डाक्टर ने पूछा, ‘‘सिरदर्द रहता है? बेचैनी रहती है? चिड़चिड़ाहट होती है? गुस्सा आता है?’’ नेहा की सास ने हर सवाल का जवाब ‘हां’ में दिया तो डाक्टर ने उन्हें सम?ाया, ‘‘आप को ब्लडप्रैशर की बहुत गंभीर शिकायत है. अगर आप ने इस को कंट्रोल नहीं किया तो आगे जा कर आप को हार्टअटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. कुछ दवाएं दे रहा हूं. इन को नियमित खाइए. भोजन में नमक बहुत कम और कुछ दिनों के लिए तलाभुना खाना बिलकुल बंद कर दीजिए. हो सके तो उबला हुआ खाना खाइए.’’ डाक्टर की बातें सुन कर नेहा की सास डर गई. उस दिन के बाद उन्होंने अपना खानपान बदल दिया.

नियमित दवाएं, सादा खाना और डाक्टर के परामर्श से सुबह की सैर आरंभ कर दी. नेहा ने इस सब में उस की मदद की. एक महीने के अंदर ही कामिनी के व्यवहार में काफी परिवर्तन आ गया. अब वह सब के ऊपर ?ाल्लाती नहीं थी. डांटफटकार, लड़ाई?ागड़ा बहुत कम हो गया बल्कि अब तो वह सब के साथ बैठ कर टीवी भी देखती और हंसीठिठोली भी कर लेती थी. सालों से जो परिवार यह सम?ाता था कि इस गुस्सैल औरत से तो बात करना ही बेकार है, यह अपनी आदत नहीं बदल सकती, किसी की भावनाएं नहीं सम?ा सकती, हर बात पर काट खाने को दौड़ती हैं, वह परिवार अब सम?ा रहा था कि कामिनी वास्तव में बीमारी की जकड़ में थी जो अंदर ही अंदर उस को खाए जा रही थी. गुस्सा आना इंसानी स्वभाव का हिस्सा है. हम में से हर किसी को कभी न कभी, किसी न किसी बात पर गुस्सा आता ही है पर वह क्षणिक होता है. लेकिन जब गुस्सा स्वभाव ही बन जाए तो सचेत हो जाना चाहिए.

ऐसा व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी की चपेट में हो सकता है. कुछ लोगों के संस्कार अच्छे नहीं होते या वे बचपन में अपने मातापिता को ?ागड़ते देख बड़े होते हैं तो उन के स्वभाव में भी गुस्सा अपना स्थान बना लेता है. कई बार हम जो लक्ष्य जीवन में ले कर चलते हैं उन को प्राप्त नहीं कर पाते तो हमें खुद पर गुस्सा आता है और फ्रस्ट्रेशन बढ़ने पर हम अपना गुस्सा दूसरों पर निकालने लगते हैं. ऐसा गुस्सा रिश्तों में दरार डालता है. पतिपत्नी के बीच खटास पैदा कर देता है. बच्चों से दूरियां बढ़ा देता है. दोस्तों से ताल्लुकात खत्म कर देता है. साल 2022 में बीबीसी ने दुनियाभर में बढ़ रही गुस्सैल प्रवृत्ति पर एक विश्लेषण किया, जिस में उस ने पाया कि 2012 से पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं उदासी और चिंता महसूस कर रही हैं, हालांकि दोनों में यह चिंता ऊपर की ओर बढ़ रही है.

2012 में महिलापुरुषों में समान स्तरों पर क्रोध और तनाव था पर 9 साल बाद महिलाएं अधिक गुस्सैल हो गई हैं जिस का अंतर अब 6 प्रतिशत का हो चला है. इस सर्वे में हर साल 150 से अधिक देशों के 1,20,000 से अधिक लोगों को औब्जर्व किया गया. गुस्से से निबटना एक चुनौती है, विशेषकर जब वह वैवाहिक जीवन में दरार उत्पन्न करने की वजह बन रहा हो. हमारे समाज में आमतौर पर पति ज्यादा समय घर के बाहर रहते हैं. औफिस के काम में और लोगों से मेलमुलाकात से वे खुद को हलकाफुलका तनावमुक्त रखते हैं मगर पत्नियां अकसर घर की चारदीवारी में बंद रहती हैं. उन के पास अपनी बातें शेयर करने के लिए कोई नहीं होता. घर के कामों और दूसरों की सेवा करतेकरते वे परेशान व तनावग्रस्त हो जाती हैं. लिहाजा, उन का स्वभाव उग्र हो जाता है और फिर अपनी खी?ा वे घर के सदस्यों पर निकालने लगती हैं और इस का सब से पहला शिकार पति बनता है.

पत्नी अगर गुस्सैल है तो भी उस के साथ निभाना तो पड़ता है. इस के लिए जरूरी है कि कुछ खास बातों का खयाल रखा जाए, ताकि उस के साथ निभाना आसान हो जाए और आप के रिश्तों में कटुता भी न आए. जानें कि गुस्सा क्यों है पतिपत्नी का एकदूसरे के स्वभाव को जानना बेहद जरूरी है. पत्नी हर बात पर तो क्रोधित नहीं होती है. जाहिर है बिना वजह कोई नहीं भड़कता है. उन बातों और स्थितियों पर गौर करें और उन का आकलन करें जिन से आप की पत्नी को गुस्सा आता है. अगर उन्हें सम?ा लिया जाए और ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से बचा जा सके तो पत्नी के गुस्से से सामना करने से बचा जा सकता है. व्यवहार को चैक करते रहें हो सकता है आप की कुछ ऐसी आदतें और व्यवहार हों जो उसे नापसंद हों. आप के लिए उन आदतों व व्यवहार को बदलना बेशक मुमकिन न हो पर पत्नी के सामने वे काम या बात न करें जिन से उस के अंदर खी?ा पैदा होती हो. गलती मानें गलतियां सब से होती हैं.

आप से भी हुई. मगर आप मानते नहीं तो यह बात उस के गुस्से का कारण हो सकती है. पत्नी चाह रही है कि आप अपनी गलती मान लें तो इस में बुराई ही क्या है? इस तरह उसे भी अच्छा लगेगा और आप को भी उस के क्रोध से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा. जब भी गलती हो तो अपने ईगो को एक तरफ रख दें. बात तुरंत संभल जाएगी. उस की बात सुनें कई बार औरतें इस बात से नाराज रहती हैं कि कोई उन की बात सुनने को तैयार नहीं है. इस दुनिया में अनेक महिलाएं इसी वजह से डिप्रैशन में रहती हैं कि उन्हें सुननेसम?ाने वाला कोई नहीं है. जब वह क्रोधित हो तो उस की बात अवश्य सुनें. उस की स्थिति व मानसिक अवस्था को सम?ा कर ही उस के साथ व्यवहार करें. सप्ताह में एक दिन कुछ घंटे सिर्फ उसे दें. उस को घर के कामों से कुछ आराम दें. कहीं घुमाने ले जाएं. सिर्फ सैक्स के लिए ही उस के पास न आएं बल्कि कभीकभी सिर्फ साथ बैठ कर हलकीफुलकी प्यारमोहब्बत की बात करें. उस की ज्यादा सुनें, अपनी कम सुनाएं. शांत होने का समय दें जब आप को लगे कि आप की पत्नी को गुस्सा आ रहा है तो कोई प्रतिक्रिया या उसे चुप कराने की कोशिश करने के बजाय उसे शांत होने का वक्त दें.

बीच में बोलने या उसे बुराभला कहने से बात और बढ़ेगी. हो सकता है आप उस की बात न सुनते हों, इसलिए उसे अधिक गुस्सा आता हो. वह जो भी कहना चाहती है, अगर आप उसे वह कहने का मौका दें, उस की बातों को ध्यान से सुनें, उस की राय को महत्त्व दें तो हो सकता है उसे क्रोध का सहारा न लेना पड़े. उसे स्पेस दें ताकि उसे अपनी गलतियों का एहसास हो और हो सकता है, वह आप से आ कर सौरी भी कह दे. धैर्य बनाए रखें अपनी गुस्सैल पत्नी के साथ निभाने के लिए आप को धैर्य बनाए रखना होगा. आप को कई बार इस बात की हैरानी भी होगी कि आखिर इतनी छोटी सी बात पर पत्नी को गुस्सा क्यों आया या वह इस तरह से रिऐक्ट क्यों कर रही है? लेकिन ऐसे में उसे रोकने या टोकने का मतलब होगा उस के गुस्से को और बढ़ाना. बेहतर यही होगा कि अपना धैर्य न खोएं. हो सके तो उस के सामने से हट जाएं, दूसरे कमरे में चले जाएं. इस से कम से कम आप की सहनशीलता तो आप का साथ नहीं छोड़ेगी. अगर वह बेहद गुस्से में हो तो अच्छा यही होगा कि आप घर से बाहर चले जाएं.

जब तक आप वापस लौटेंगे, वह शांत हो चुकी होगी. उस के साथ वाक पर जाएं जो महिलाएं नौकरीपेशा हैं तो कई बार औफिस के तनावपूर्ण हालात का लगातार सामना करने से गुस्सा उन के दिमाग पर हावी हो जाता है और वे घर में अपना गुस्सा निकालने लगती हैं. अगर आप की नौकरीपेशा पत्नी को औफिस के किसी व्यक्ति पर गुस्सा आ रहा है तो आप दोनों वाक पर जाएं. उस से पूरी बात सुनें, सम?ों और उसे उस परेशानी से निकलने की सही सलाह दें. आमतौर पर पत्नी को यह बात अच्छी लगती है कि उस का पति उसे सपोर्ट कर रहा है. अगर आप की पत्नी किसी मुद्दे पर गलत भी हो तो गुस्से के वक्त उस की आंखें खोलने का या बहस करने का प्रयास न करें, बल्कि सही वक्त का इंतजार करें.

अगर उसे लगता है कि उस का पति उसे सपोर्ट कर रहा है तो उसे बहुत तसल्ली होगी और उस के हार्मोन भी संतुलित होंगे, जिस से उसे अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी. हो सकता है उसे अपनी गलती का भी एहसास हो जाए और वह औफिस में नरम पड़ जाए. इमोशनली स्ट्रौंग बनें इस के लिए आप का भावनात्मक रूप से मजबूत होना आवश्यक है. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो उसे एहसास दिला सकते हैं कि उस का क्रोधित होना सिवा ऊर्जा को जाया करने के और कुछ नहीं है. लेकिन अगर वह आप को भी गुस्सा दिलाने में कामयाब हो जाती है तो इस का सीधा सा अर्थ है कि उस का आप के इमोशंस पर कंट्रोल है

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