जफरुद्दीन पेशे से इलैक्ट्रिकल इंजीनियर था. इस समय वह नोएडा के पावर प्लांट में नौकरी कर रहा था. उस के साथ ही उस की पत्नी शहनाज परवीन और 10 साल और 4 साल के 2 बेटे रह रहे थे. जफरुद्दीन की ससुराल पटना के फुलवारी शरीफ के कर्बला ताजनगर में थी. ससुराल के पास में ही उस ने अपने परिवार के लिए एक आलीशान मकान बनवा रखा था.
3 मई, 2022 को ईद थी. इस बार जफरुद्दीन ने ईद अपने घर पर और अपने घर वालों के बीच मनाने का फैसला किया. इसलिए पहली मई को वह नोएडा से पटना अपने घर आ गया. घर काफी समय से बंद था, इसलिए काफी गंदा था. उस की साफसफाई की गई.
देर शाम रोजा इफ्तार के बाद जफरुद्दीन अपने बेटे के साथ बाजार खरीदारी के लिए गया. वापस लौटने पर सभी लोगों के साथ बैठ कर खाना खाया. फिर सभी लोग सोने चले गए.
2 मई की सुबह करीब 7 बजे ड्राइंगरूम में फर्श पर जफरुद्दीन की लाश पड़ी मिली. बड़ा बेटा अपनी ननिहाल गया और अपने पिता की लाश घर में पड़े होने की सूचना दी. जिस के बाद वहां के लोग और आसपड़ोस के लोग भी वहां इकट्ठा हो गए. संबंधित थाना फुलवारी शरीफ को घटना की सूचना दे दी गई. सूचना पा कर थानाप्रभारी इकरार अहमद पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.
ड्राइंगरूम में फर्श पर 40 वर्षीय जफरुद्दीन की लाश पड़ी थी. सिर बुरी तरह कुचला हुआ था. पूरे फर्श पर खून ही खून था. लाश से कुछ दूरी पर खून से सना प्रेशर कुकर पड़ा था. हत्यारों ने जफरुद्दीन को ठिकाने लगाने के लिए घर में काम आने वाले उसी प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया था.
थानाप्रभारी इकरार अहमद ने जफरुद्दीन की पत्नी शहनाज परवीन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात में खाना खा कर सभी लोग सो गए थे. रात 3 बजे उस ने कुछ आवाजें सुनीं तो जाग गई. उठ कर ड्राइंगरूम में गई तो वहां उस ने अपने शौहर को 2 चोरों से भिड़ते देखा. वह अपने पति को बचाने के लिए उन चोरों से भिड़ गई. जिस पर उन चोरों ने उस के गले की चेन निकाल ली और उसे कोई नशीली चीज सुंघा दी, जिस से वह बेहोश हो गई. सुबह जब होश आया तो उस ने अपने शौहर की लाश पड़ी देखी.
दोनों बेटों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन की तो सुबह 7 बजे आंखें खुलीं. रात में क्या हुआ, उन को नहीं पता.
जफरुद्दीन के घर में आनेजाने का रास्ता एक ही था, फिर चोर कैसे घर में घुस गए. इस सवाल पर शहनाज ने कहा कि हो सकता है कि रात में मेनगेट खुला रह गया हो.
घर का सारा सामान घर में मौजूद था. शहनाज अपने गले की चेन ले जाने की बात कर रही थी. चोर घर में घुसे और मकान मालिक की हत्या करने के बाद केवल चेन ले जाए, ये विश्वास करने वाली बात नहीं थी.
बीवी के मोबाइल ने खोला राज
मामला लूटपाट का नहीं है, थानाप्रभारी समझ चुके थे. पूरा मुआयना और पूछताछ के बाद उन का शक शहनाज परवीन पर था. लेकिन बिना सबूत उस पर हाथ नहीं डाल सकते थे. उन्होंने शहनाज का मोबाइल मांगा तो शहनाज ने बेखटक अपने शौहर का दिया हुआ आईफोन थानाप्रभारी अहमद को दे दिया. फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद वह थाने वापस आ गए.
थानाप्रभारी इकरार अहमद ने उस मोबाइल को खंगाला तो कोई सुबूत हाथ नहीं लगा. मोबाइल के कुछ नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो कोई भी खास जानकारी नहीं मिली.
इसी बीच जफरुद्दीन के रिश्तेदारों और पड़ोसियों से उन को पता चल गया कि जफरुद्दीन और शहनाज में अकसर झगड़ा होता रहता था. उस की वजह थी शहनाज का अफेयर. जिस की वजह से जफरुद्दीन शहनाज को नोएडा में अपने साथ 4 साल से रखे हुए था. 2 साल से शहनाज का पटना आना बिलकुल बंद था.
थानाप्रभारी अहमद ने दोबारा जफरुद्दीन के बेटों से पूछताछ की तो इस बार छोटे बेटे ने अपनी अम्मी के पास 2 मोबाइल होने की बात बताई. शहनाज ने दूसरे मोबाइल के बारे में पुलिस को नहीं बताया था. इस पर उन्होंने शहनाज पर दबाव डाल कर दूसरा मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया.
उस मोबाइल में जो सिम कार्ड था, वह कमाल उर्फ नन्हे के नाम पर था. उस नंबर से जिस फोन नंबर पर बात की जाती थी, वह नंबर भी नन्हे का था. यह जानकारी मिलने के बाद उन्हें मामला समझते देर न लगी. मामला प्रेम प्रसंग का था. इस के बाद 27 जून को थानाप्रभारी ने शहनाज परवीन और नन्हे उर्फ कमाल को गिरफ्तार कर लिया.
दोनों से जफरुद्दीन की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने उस की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह हैरान कर देने वाली निकली—
शहनाज जब कक्षा 6 में पढ़ रही थी, उस समय उस की उम्र 15 साल थी. उसी के साथ कमाल उर्फ नन्हे भी पढ़ता था. साथ पढ़ने के दौरान दोनों में दोस्ती हो गई. यह दोस्ती समय के साथ गहरी होती गई. दोनों को एकदूसरे का साथ इतना भाता था कि वे ज्यादा से ज्यादा समय एकदूसरे के साथ बिताना पसंद करते थे.
धीरेधीरे बात दोस्ती की सीमा से आगे निकलने लगी. दोनों के दिलों में प्यार के अंकुर फूटने लगे. यह बात दोनों महसूस भी करने लगे थे. वैसे तो दिल की हर बात बेहिचक एकदूसरे से कह देते थे, लेकिन अपनी चाहत की बात बताने में हिचक रहे थे. आंखों से साफ झलकने वाला प्यार जुबां से शब्दों के जरिए बाहर नहीं आ रहा था.
प्यार करते हो तो उसे जताना भी होता है, यह बात दोनों जानते तो थे, लेकिन जुबां साथ नहीं दे रही थी. प्यार जब जोर मारता है, दिल में उमंगें उठती हैं तो इंसान की बेचैनी भी
बढ़ती है. यही बेचैनी इंसान को मजबूर कर देती है. इसी बेचैनी में एक दिन नन्हे की जुबां से प्यार के अनमोल शब्द बाहर आ जाते हैं.
उस दिन शहनाज और नन्हे कमरे में बैठे कोई रोमांटिक फिल्म देख रहे थे. उस फिल्म में भी हीरोहीरोइन की ठीक वैसी ही स्थिति थी, जैसी शहनाज और नन्हे की थी. फिल्म में हीरो हीरोइन से प्यार के मीठे बोल बोलता है तो नन्हे भी अपने प्यार का इजहार करने को मचल उठा.
मौका भी था, दस्तूर भी था. उस ने शहनाज का हाथ पकड़ा. शहनाज भी उस के हाथ पकड़ने से समझ गई कि आज नन्हे भी उस से अपने दिल की बात कह देना चाहता है. वह भी उस पल के लिए तैयार हो गई. जैसे ही फिल्म में प्यार का इजहार कर के हीरोहीरोइन गले लगे, वैसे ही नन्हे ने शहनाज को अपने गले से लगा लिया.
शहनाज एक पल के लिए चौंकी, लेकिन फिर मन ही मन बहुत खुश हुई. तभी नन्हे के प्यार भरे मीठे बोल उस के कानों में रस घोलने लगे, ‘‘आई लव यू…आई लव यू शहनाज. मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा चाहता हूं. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता और तुम्हें पूरी जिंदगी अपने साथ रखना चाहता हूं. क्या तुम भी यही चाहती हो? क्या तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’
शहनाज का मुंह नन्हे की पीठ की तरफ था. शहनाज आंखें बंद किए नन्हे की प्यार भरी बातों का आनंद ले रही थी. उस के होंठों पर हलकी सी मुसकान तैर रही थी.
नन्हे ने उस से पूछा और उसे खींच कर अपने से अलग किया तो शहनाज का चेहरा उस के सामने आ गया. उस समय उस के चेहरे पर हया के बादल साफ नजर आ रहे थे. आंखें झुकी हुई थीं.
यकायक शहनाज ने अपनी आंखें खोलीं और नन्हे की आंखों में देखते हुए बोली, ‘‘मैं तो कब से तुम्हारी होने को व्याकुल थी. इंतजार में थी कि तुम जाने किस दिन मुझ से अपने प्यार का इजहार करोगे और मेरे प्यार को कुबूल करोगे. नन्हे, मैं भी तुम से बेइंतहा मोहब्बत करती हूं. मैं ने तुम्हारी मोहब्बत को कुबूल कर लिया, क्या तुम भी मेरी मोहब्बत को कुबूल करते हो?’’
‘‘कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है, हजार बार कुबूल है. तुम्हारी मोहब्बत से ही मेरी यह जिंदगी है, मेरी यह जान है.’’ यह सुन कर शहनाज नन्हे से लिपट गई. नन्हे ने भी शहनाज को अपनी बांहों में ले लिया और प्यार से उस के होंठों को चूम कर अपने प्यार की मुहर लगा दी.
प्यार की वजह से निकाला स्कूल से
उन का प्यार इस कदर बढ़ा कि पूरे स्कूल में उन के प्यार की चर्चा होने लगी. स्कूल प्रबंधन तक बात पहुंची तो दोनों को स्कूल से निकाल दिया गया. इस के बाद शहनाज घर में रह कर ही पढ़ाई करने लगी. दूसरी ओर नन्हे ने आगे की पढ़ाई नहीं की, बल्कि बिजली मिस्त्री का काम सीखने लगा. जिस से जल्द से जल्द अपना काम शुरू कर सके. उस ने सोचा कि आमदनी होने लगेगी तो वह शहनाज से निकाह कर सकेगा.
दूसरी ओर शहनाज के घर वाले शहनाज के इश्क की खबर लगने के बाद उस के लिए कोई अच्छा लड़का देख कर उस का निकाह करने की तैयारी में लग गए.
जल्द ही उन की तलाश पूरी हो गई. शहनाज के घर वालों को शहनाज के लिए जफरुद्दीन पसंद आ गया.
जफरुद्दीन पेशे से इलैक्ट्रिकल इंजीनियर था और उस समय सऊदी अरब में नौकरी कर रहा था. वह लखीसराय का रहने वाला था. अच्छी नौकरी वाला लड़का मिल रहा था, अच्छा रिश्ता था. यह सोच कर घर वालों ने शहनाज का निकाह उस से तय कर दिया गया.
शहनाज बला की खूबसूरत थी. शहनाज की खूबसूरती पर जफरुद्दीन लट्टू हो गया था. शहनाज को देखते ही जफरुद्दीन ने रिश्ते के लिए हां कह दी थी. जबकि शहनाज को जफरुद्दीन पसंद नहीं था.
जफरुद्दीन मौलाना था, नापसंदगी की वजह यह भी थी. वैसे भी वह नन्हे से प्यार करती थी, उसी से निकाह करना चाहती थी. लेकिन घरवालों के दबाव में न चाहते हुए उसे जफरुद्दीन से निकाह करना पड़ा.
निकाह के कुछ समय बाद जफरुद्दीन वापस सऊदी अरब चला गया. शहनाज मायके में ही रहने लगी. मायके में रहते हुए अपने प्रेमी नन्हे से मिलती रही. दोनों के बीच शारीरिक रिश्ते भी कायम रहे. कहने को वह जफरुद्दीन की पत्नी थी, लेकिन पत्नी की तरह प्रेमी नन्हे के साथ रहती थी.
जफरुद्दीन साल में एक महीने के लिए घर आता था. एक महीने पति के साथ तो 11 महीने प्रेमी के साथ पत्नी के रूप में रहती थी शहनाज. समय के साथ शहनाज 2 बच्चों की मां बन गई. जफरुद्दीन ने शहनाज के मायके के पास ही एक आलीशान मकान बनवा दिया. इसी मकान में वह अपने दोनों बच्चों के साथ रहने लगी. शहनाज के साथ ही मकान में उस का प्रेमी नन्हे रहता था.
बच्चों से प्रेमी को अब्बू कहलवाती थी शहनाज
नन्हे ने शहनाज का नाम ‘शहनाज गिल’ रखा था. वह उस से कहता था कि वह उसे शहनाज गिल लगती है और उन दोनों का प्यार शहनाज गिल और सिद्धार्थ की तरह रहेगा. नन्हे ने शहनाज से अपने संबंध के कारण ही विवाह नहीं किया था, वह पूरी तरह से अपने प्यार के लिए समर्पित था.
दोनों का इश्क आखिर कब तक छिपता. एक दिन बड़े बेटे अब्दुल्लाह ने फोन पर बात करते हुए नन्हे के बारे में अपने पिता को बता दिया. जिस के बाद जफरुद्दीन और शहनाज में काफी झगड़ा हुआ.
वैसे शहनाज अपने बेटों को पट्टी पढ़ाए रहती थी. उन से कहती थी कि उन के 2-2 पिता हैं. प्रेमी नन्हे को अपने बेटों से अब्बू कहलवाती थी. छोटे बेटे को तो वह नन्हे का ही मानती थी.
दूसरी ओर जब शहनाज की हकीकत जफरुद्दीन को पता लगी तो वह बेचैन रहने लगा. बात तलाक तक पहुंच गई. शहनाज उस से तलाक मांगने लगी. लेकिन जफरुद्दीन उस के लिए तैयार नहीं हुआ. इस सब को देखते हुए जफरुद्दीन ने अपनी सारी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली.
जफरुद्दीन 2 साल पहले सऊदी अरब से वापस आ गया और नोएडा में एक पावर प्लांट में नौकरी करने लगा. वह शहनाज और दोनों बेटोें के साथ नोएडा में रहने लगा. वहां रहते हुए भी शहनाज और नन्हे के बीच संपर्क बना रहा. दोनों फोन पर बातें करते रहते थे. शहनाज को वह पटना भी नहीं भेजता था.
3 मई, 2022 को ईद थी. इस बार की ईद जफरुद्दीन ने अपने घर और अपनों के बीच मनाने का इरादा बनाया. उस ने सोच लिया था कि 2 साल का वक्त गुजरने के बाद शहनाज नन्हे को भूल गई होगी. उस से न मिल पाने पर उस के संबंध टूट गए होंगे.
यही सोच कर उस ने पटना में ईद मनाने का मन बनाया था. लेकिन यह उस की भूल थी. और यह भूल उस पर कितनी भारी पड़ने वाली थी, उस ने सपने में भी नहीं सोचा होगा.
जफरुद्दीन के फैसले की जानकारी शहनाज को हुई तो वह खुश हो उठी. उस ने फोन पर नन्हे से बात की और कहा कि इस बार ईद पर जफरुद्दीन घर आ रहा है, उसे हर हाल में ठिकाने लगाना है, जिस से उस की मौत के बाद दोनों एक साथ जिंदगी जी सकें. नन्हे खुश होते हुए इस के लिए तैयार हो गया.
जफरुद्दीन परिवार के साथ नोएडा से दिल्ली आया और दिल्ली से पटना फ्लाइट से पहली मई की दोपहर में पहुंचा. घर की साफसफाई की. रात में रोजा इफ्तार के बाद जफरुद्दीन बेटे के साथ बाजार खरीदारी के लिए गया. इस बीच शहनाज ने प्रेमी नन्हे को बुला कर अपने घर में छिपा लिया.
जफरुद्दीन रात 11 बजे घर लौटा. सभी ने खाना खाया. इस के बाद शहनाज ने जफरुद्दीन से किसी बात को ले कर झगड़ा कर लिया. जिस के बाद जफरुद्दीन ड्राइंगरूम में सोने चला गया. उस के सोने के बाद रात 3 बजे शहनाज ने नन्हे को बाहर निकाला और घर में रखे प्रेशर कुकर को उठाया. फिर दोनों सोते हुए जफरुद्दीन के पास पहुंच गए.
जफरुद्दीन अपनी मौत से बेखबर सो रहा था. नन्हे ने प्रेशर कुकर का एक तेज प्रहार जफरुद्दीन के सिर पर किया. जिस से जफरुद्दीन नीचे फर्श पर गिर गया और बेहोश हो गया. इस के बाद दोनों बारीबारी से उस पर तब तक प्रहार करते रहे, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.
आवाज सुन कर दोनों बेटे जाग गए, लेकिन शहनाज ने उन को ड्राइंगरूम तक नहीं आने दिया. उस ने नन्हे के कपड़ों पर लगा खून साफ किया. फिर सुबह जल्दी नन्हे को घर से भेज दिया.
पुलिस के पूछने पर शहनाज ने चोरों द्वारा लूटपाट के उद्देश्य से हत्या किए जाने की झूठी कहानी गढ़ दी.
लेकिन मामले की स्क्रिप्ट काफी कमजोर थी, जिस से पुलिस के सामने ठहर न सकी और दोनों पकड़े गए.
पुलिस ने शहनाज और कमाल उर्फ नन्हे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.