जब हाईस्पीड ट्रेन ‘तेजस’ में यात्रियों द्वारा हैडफोन लूटने और तोड़फोड़ करने की खबर आई तो मेरा हृदय श्रद्घा से भर गया. गला रुंधने लगा. माथा सजदा करने की मुद्रा में झुक गया. बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू किया. खुशी के आंसूओं पर लाठी चार्ज कर, उन्हें तितरबितर कर के फिर से उन्हें उन के मंतव्य तक पहुंचाया.
आखिर हम ने एक बार फिर अपनेआप को साबित कर ही दिया. समय और सरकारें चाहे हमें कितनी भी कसौटियों पर क्यों न कसें, हमारा स्कू्र हमेशा ढीला था और ढीला ही रहेगा. हम हर अग्निपरीक्षा में बिना नकल किए सिद्घ कर चुके हैं कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का हमारा कमिटमैंट किसी भी देश, काल या परिस्थिति में कमजोर होने वाला नहीं है. हमारा यही राष्ट्रीय कमिटमैंट हमें एकसूत्र में बांधता है. सारी विविधताओं के बीच सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने का एक सा देशव्यापी जज्बा हमें एकसूत्र में पिरोता है.
तानाशाह सरकारों ने जबजब हमारी आवाज दबाने की कोशिश की है, हम ने दोगुनी ताकत से पब्लिक प्रौपर्टी का टेंटुआ दबाया है. सरकारी संपत्ति का निर्माण हमारे द्वारा दिए गए कर के धन से होता है, इसलिए उस का विध्वंस भी हमारे करकमलों से ही होना चाहिए. इस मामले में सरकारों की भी सोच यही रही है, ‘तेरा तुझ को अर्पण, क्या लागे मेरा.’
सरकारी संपत्ति को विपत्ति की शक्ल देना हमारा शौक ही नहीं, बल्कि आदत बन चुकी है. इसलिए केवल किसी आंदोलन, प्रदर्शन, दंगे या अन्य किसी विपदा के समय ही हमें संपदा याद नहीं आती है, बल्कि शांतिकाल में भी हम अपने हथियार की धार चैक करते रहते हैं और हाईस्पीड ट्रेन तेजस में अभी हाल में हम ने इस की सफल नैटप्रैक्टिस भी की.
क्षतिग्रस्त संपत्ति ही सरकार को नवनिर्माण की प्रेरणा दे सकती है. इसलिए सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए स्किल इंडिया प्रोग्राम के तहत शामिल करना चाहिए. देश के हर नागरिक के लिए वयस्क होने के बाद साल में कम से कम एक बार अपने महल्ले, कसबे या शहर की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अनिवार्य किया जाना चाहिए. इस के लिए सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं को अपने स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र लगाने चाहिए.
हर व्यक्ति को अपने आयकर विवरण में अपने द्वारा गत वित्तीय वर्ष में नुकसान पहुंचाई गई संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य करना चाहिए. ऐसा न करने पर या गलत ब्योरा देने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए. क्षमता से अधिक संपत्ति डैमेज किए जाने पर संदिग्ध व्यक्तियों के ठिकानों पर सीबीआई और ईडी द्वारा छापामारी की जानी चाहिए.
शहर की नगरपालिका के पास हर व्यक्ति द्वारा ध्वस्त की गई प्रौपर्टी का रिकौर्ड मौजूद होना चाहिए. प्रौपर और अपडेटेड रिकौर्ड न होने पर भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि आमजन का सिस्टम पर भरोसा बना रहे. पर्याप्त प्रयासों के बावजूद आमजन अगर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में असमर्थ है तो संपत्ति का निर्माण करने वाले ठेकेदारी की निविदा (ठेका) निरस्त कर उन से विदा लेनी चाहिए ताकि संपत्ति विध्वंसकों का हौसला बना रहे. देशवासियों में सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने के बढ़ते जनून को देखते हुए सरकार को चाहिए कि हौकी की जगह इसे राष्ट्रीय खेल का दरजा दे. खेल मंत्रालय को देश के साथ इस खिलवाड़ को मतलब इस खेल को कौमनवैल्थ और ओलिंपिक गेम्स में शामिल करने के लिए पूरा जोर लगाना चाहिए, ताकि घर फूंक कर तमाशा देखने के साथसाथ हम कुछ पदक भी कमा सकें.