यह तो हम सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता है. इसलिए बचपन से ही बच्चों को अच्छी आदतें और व्यवहार सिखाने की जरूरत होती है. क्योंकि साफ-सफाई में रखी गयी जरा सी लापरवाही अनेक रोगों जैसे संक्रमण, एलर्जी का कारण बन सकती है. शेमराक प्रीस्कूल्स की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल्स की फाउंडर डायरेक्टर मीनल अरोड़ा के अनुसार “बच्चों में व्यक्तिगत स्तर पर साफ-सफाई की आदत पर कम उम्र से ही ध्यान देने की ज़रुरत होती है.” बचपन से निम्न आदतें अपना कर आप उन्हें साफ सफाई के प्रति सजग बना सकते हैं .
· अपने बच्चे के दिन की शुरुआत हाथ-मुंह धोने से कराएं.
· उन्हें अपने दांत 2 से 3 मिनट तक उचित ढंग से साफ करने को कहें, जिससे उनके दांत कैविटी मुक्त रहें. दिन में दो बार ब्रश करने को उनकी नियमित आदत बनाएं.
· 6 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बच्चों को अच्छी तरह कुल्ला करने की आदत डालें, जिससे उन्हें मुंह और मसूड़े संबंधी समस्याएं नहीं हों.
· उन्हें नियमित तौर पर रोजाना एंटी-बैक्टीरियल साबुन से नहाने के लिए शिक्षित करें.
· उन्हें हर भोजन से पहले और बाद में अच्छी गुणवत्ता के एंटी-बैक्टिरियल साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें.
· बच्चो को अपने नाखून छोटा रखने को कहें क्योंकि बढे हुए नाखूनो में गंदगी जमा हो जाती हैं जिससे संक्रमण का खतरा रहता हैं.
· खांसते या छींकते समय उन्हें टिशू पेपर का उपयोग करना सिखाएं.
· सुनिश्चित करें कि वे नियमित तौर पर अपने नाखून काटें क्योंकि नाखूनों में ही कीटाणु सबसे ज्यादा पनपते हैं.
· उन्हें धुले, साफ-सुथरे और आयरन किए गए कपड़े पहनने को कहें.
· उन्हें उंगली, पेंसिल, पेन और रबड़ जैसी चीजों को नाक या मुंह में नहीं डालने का निर्देश दें.
जिम्मेदार एवं सतर्क अभिभावकों के तौर पर बच्चे को समझाएं कि खुद को साफ-सुथरा रखने के साथ साथ हमें हमारे घर, मोहल्ले और आस-पड़ोस को भी साफ रखना चाहिए. बच्चों को इस बात का अहसास करना बहुत जरूरी है कि न सिर्फ निजी बल्कि आस पास के वातावरण की साफ-सफाई रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है.
· उन्हें कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालने की आदत डालें .
· अपने बच्चों को उनकी चीजें जैसे खिलौने और किताबें सही जगह रखने की सलाह दें.
· उन्हें सिखाएं कि वे शहर की सड़कों पर कूड़ा-कचरा नहीं डालें. उन्हें बाहर जाते समय हमेशा अपने साथ एक पेपर बैग ले जाने को कहें, जिससे उन्हें कचरा कहीं खुले में नहीं डालना पड़े.