छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 85 किलोमीटर दूर बसे शहर सिरपुर की चर्चा अब उस के वैभवशाली अतीत के साथसाथ बीते 3 सालों से आयोजित हो रहे सिरपुर महोत्सव से भी होने लगी है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बना चुका है. महानदी के किनारे बौद्धविहारों और मंदिरों वाले इस शहर में अब नृत्य और संगीत की ध्वनि भी इस तरह गूंजने लगी है कि उस की तुलना अजंता और खजुराहो महोत्सवों से की जाने लगी है.

सिरपुर आने वाले पर्यटकों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है. इन में बड़ी संख्या में कलाप्रेमी हैं. नृत्य और संगीत को समर्पित सिरपुर महोत्सव में अब तक जो ख्यातिनाम कलाकार अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं, उन में पंडित बिरजू महाराज, छन्नूलाल मिश्र, हरिप्रसाद चौरसिया, माधवी मुद्गल, प्रहलाद सिंह तिपानिया के अलावा तीजनबाई, राहुल शर्मा, उस्ताद शुजात खान और विक्कू विनायक राम के नाम प्रमुख हैं. इस सूची में जार्ज बु्रकान, पीट लाकेट और लेनार्ड एरो के नाम भी शुमार हैं.

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति कभी किसी सुबूत की मुहताज नहीं रही. सिरपुर महोत्सव में जनजातीय कलाकारों की मनमोहक व लुभावनी परंपरागत प्रस्तुतियां देखने का मौका भी पर्यटकों को इस अवसर पर मिलता है.सिरपुर महोत्सव का आयोजन हर साल जनवरी के महीने में होता है. इस साल यह महोत्सव 29 से 31 जनवरी, 2016 तक चलेगा. कलाप्रेमी पर्यटक पूरी शिद्दत से इस का इंतजार करते हैं. इस महोत्सव की एक खासीयत यह भी है कि जनवरी में छत्तीसगढ़ का मौसम बेहद सुहाना रहता है.छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा आयोजित सिरपुर महोत्सव को देख कर इस की तारीफ लाओस, श्रीलंका, कोरिया और वियतनाम के राजदूत भी कर चुके हैं.

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