जहां देश के ज्यादातर राज्य आधुनिकता की आंधी में कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो रहे हैं वहीं केरल ने आज भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य को बचा कर रखा है. भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित यह राज्य पर्यटन की दृष्टि से बेहद मनोहारी है. यहां प्रकृति के रमणीय दृश्यों का खजाना है.
मुन्नार
यह एक हिल स्टेशन है. यहां का ठंडा, सुखद मौसम तनमन को शांत कर शीतलता का एहसास कराता है. यह हिल स्टेशन एक जमाने में दक्षिण भारत के पूर्व ब्रिटिश प्रशासकों का ग्रीष्मकालीन रिजोर्ट हुआ करता था. दूरदूर तक फैले चाय के बागान, नीलकुरुंजी, प्रपात और बांध यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. ट्रैकिंग एवं माउंटेन बाइकिंग के लिए भी यह आदर्श स्थल है.
दर्शनीय स्थल
इरविकुलम नैशनल पार्क : मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर इरविकुलम नैशनल पार्क है. यहां आप लुप्तप्राय प्राणी नीलगिरि टार को निकट से देख सकते हैं. चीता, सांभर, बार्किंग डियर, भीमकाय मलबार खरगोश आदि वन्यजीव भी यहां देखे जा सकते हैं. 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला नीलकुरुंजी नामक पौधा यहां के वन की खासीयत है. यह स्थानीय पौधा जब पहाड़ों की ढलान पर पनपता है तो पहाड़ नीली चादर में लिपटा सा लगता है.
पल्लिवासल : यह केरल का पहला हाइड्रोइलैक्ट्रिक परियोजना स्थल है. यह मुन्नार से 8 किलोमीटर की दूरी पर है. 
माट्टुपेट्टी : यह मुन्नार से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रोज गार्डन, हरीभरी घास के मैदान, बड़ीबड़ी गाएं यहां की खासीयत हैं. यहां आप नौकाविहार का भी आनंद उठा सकते हैं. 
मरयूर, चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य, देवीकुलम चिलिरपुरम, चीत्वारा, मीनूली, आनमुड़ी राजमला आदि भी यहां के आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल हैं.
कोवलम
यह केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के कोवलम बीच, द लाइटहाउस बीच और हवाह बीच मशहूर हैं. यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए सैलानियों का जमघट लगा रहता है. यहां रेत पर धूप स्नान, तैराकी, जड़ीबूटियों से बने तेल से शरीर की मालिश, क्रूजिंग जैसे असंख्य आकर्षण उपलब्ध हैं. 
दर्शनीय स्थल
श्री चित्रा आर्ट गैलरी : प्रसिद्ध नेपियर म्यूजियम के पास यह आर्ट गैलरी है. यहां रवि वर्मा, रियोरिक पेंटिंग्स के अलावा राजपूत, मुगल, तंजावूर स्कूल की पेंटिंग्स का अच्छा संकलन है. चीन, जापान, तिब्बत, बाली से एकत्र की गई पेंटिंग्स भी यहां देखने को मिलती हैं.
नेय्यार डैम : यह तिरुअनंतपुरम से 32 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां का मगरमच्छ फार्म और लायन सफारी पार्क भी दर्शनीय है.
अलप्पुझा
केरल के सामुद्रिक इतिहास में अलप्पुझा का महत्त्वपूर्ण स्थान है. अलप्पुझा बीच पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. नौका दौड़, बैकवाटर टूरिज्म, कौपर उद्योग, समुद्री उत्पाद के लिए भी यह शहर विख्यात है. यहां समुद्र में घुसा हुआ पोनघाट 137 साल पुराना है. विजया बीच पार्क की मनोरंजक सुविधाएं बीच का खास आकर्षण हैं. यहां पास ही एक पुराना लाइट हाउस भी है.
यहां हाउसबोट की सैर पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव होता है.
इन हाउसबोटों में अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. शयन- कक्ष, आधुनिक टौयलेट, आरामदेह बैठक, रसोईघर भी मौजूद हैं. अगर आप की दिलचस्पी खुद मछली पकड़ कर खाने में है तो यहां फिशिंग की भी सुविधा है.
अन्य दर्शनीय स्थल
कृष्णपुरम म्यूजियम : यह अलप्पुझा से कोल्लम रूट पर 47 किलोमीटर की दूरी पर है. केरल की सब से बड़ी म्यूरल पेंटिंग ‘गजेंद्र मोक्षम’ इस संग्रहालय में सुरक्षित रखी है. 
पातिरामनल : यह वेबनाट झील का सब से छोटा व खूबसूरत द्वीप है. यह ‘सैंड औफ मिडनाइट’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां आप दुर्लभ पक्षियों के दर्शन भी कर सकते हैं.
कुट्टनाड : संसार में शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जहां समुद्रतल से भी नीचे खेती की जा रही है. लेकिन कुट्टनाड ऐसी ही जगह है. इसे केरल का ‘राइस बाउल’ भी कहते हैं. यहां की खास फसल धान है. 
थेक्कड़ी
थेक्कड़ी यहां का सब से अहम पर्यटन स्थल है. यहां तरहतरह के वन्यजीव देखे जा सकते हैं. यह 777 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है जिस में 360 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र घना जंगल है. 1978 में इसे टाइगर रिजर्व का दरजा मिला था. यहां की झील में बोट में सैर कर के वन्यजीव को निकट से देख पाने का मौका भी मिलता है. झील के आसपास हाथियों के टहलने का दृश्य भी मनमोहक होता है. 
दर्शनीय स्थल
कुमली : यह थेक्कड़ी से 4 किलोमीटर दूर है. यह एक शौपिंग जोन है, साथ ही साथ यह सुगंधित व्यंजनों का केंद्र भी है.
मुरीकड़ी : यह थेक्कड़ी से 5 किलोमीटर दूर है. यहां इलायची, कौफी, कालीमिर्च के बाग दर्शनीय हैं.
वंडिपेरियार : यह थेक्कड़ी से 14 किलोमीटर दूर है. इस खास ट्रेड सैंटर में कई टी फैक्टरियां हैं.
कुट्टिकानम : यह थेक्कड़ी से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. इस हिल स्टेशन का ठंडा व सुखद मौसम किसी को भी यहां दोबारा आने के लिए आमंत्रित करता है. यहां जलप्रपात के नीचे स्नान करने का आनंद भी उठाया जा सकता है.
कोच्चि
कोच्चि शहर केरल के केंद्र भाग में स्थित है. यह इस राज्य की व्यापारिक राजधानी है. यहूदी, पुर्तगाली, यूनानी, अरब, रोमन व्यापारी व्यापार के लिए यहां आयाजाया करते थे. इसलिए यहां के स्थानीय लोगों के जीवन पर उन की संस्कृति का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है. कोच्चि संसार के सब से पुराने व विख्यात बंदरगाहों में एक है. यह ‘अरब सागर की रानी’ के नाम से विख्यात है. पैलेस, किले, झील, नृत्य, ऐतिहासिक स्मारक, लंबे समुद्री तट साथ ही साथ गगनचुंबी इमारतें, मौल कोच्चि का चेहरा बदल रहे हैं. प्राचीन व नवीन का समृद्ध मिश्रण यहां की खूबी है.
दर्शनीय स्थल
मट्टानचेरी : एरणाकुलम से बस द्वारा 30 मिनट के भीतर मट्टानचेरी पहुंचा जा सकता है. मट्टानचेरी के आसपास अनेक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं. 
जू टाउन : ऐतिहासिक स्मारक जूविश सिनगेग के चारों ओर का इलाका जू टाउन नाम से जाना जाता है.  
चाइनीज फिश्ंिग नैट : वास्कोडिगामा स्क्वायर से आप टीक व बांस की लकडि़यों से बने चाइनीज फिश्ंिग नैट की कतारों का अच्छा नजारा देख सकते हैं. 
अन्य दर्शनीय स्थल
परिक्षित नंबुरान म्यूजियम, म्यूजियम औफ केरला हिस्ट्री, आर्ट गैलरी, बोलगाटी पैलेस, सांताक्रूज बसिलिका डच सिमिट्री, बिशप हाउस, गुंडु द्वीप के अलावा यहां और भी बहुत से दर्शनीय स्थल हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...