दिल्ली पिछले कई सालों से बतौर राजधानी देश की सियासत का केंद्र तो है ही, साथ में अपने ऐतिहासिक महत्त्व के चलते देशीविदेशी पर्यटकों को भी लुभाती है. अपने 102 साल पूरे कर चुकी दिल्ली आज जितनी पुरानी है उतनी आधुनिक भी है. इन सालों में इस ने सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में बेहतर परिवर्तनों के साथ देशीविदेशी पर्यटकों के दिलों में खासी जगह भी बनाई है.
दिल्ली में पर्यटन का मजा ही कुछ और है. यहां की प्राचीन इमारतें, लजीज व्यंजन और फैशन पर्यटकों को विशेषतौर पर आकर्षित करते हैं. यहां घूमने के लिए जहां कुतुबमीनार, लाल किला, पुराना किला, इंडिया गेट, चिडि़याघर, डौल्स म्यूजियम, जामा मसजिद, चांदनी चौक, नई सड़क, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रीय संग्रहालय, प्रगति मैदान, जंतरमंतर, लोटस टैंपल, बिड़ला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर हैं वहीं पुरानी दिल्ली की परांठे वाली गली के परांठे, लाजपत नगर की चाट और शौपिंग व इंटरटेनमैंट के लिए शानदार मौल व मल्टीप्लैक्स भी हैं.
ऐतिहासिक धरोहरें
इंडिया गेट : दिल्ली में होने वाली ज्यादातर फिल्मों की शूटिंग का पहला शौट इंडिया गेट में ही संपन्न होता है. राजपथ पर स्थित इंडिया गेट को दिल्ली का सिग्नेचर मार्क भी कह सकते हैं. अन्ना के अनशन और आंदोलन के दौरान भी इस जगह ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी. इस का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में मारे गए 90 हजार भारतीय सैनिकों की स्मृति में कराया गया था. 160 फुट ऊंचा इंडिया गेट दिल्ली का पहला दरवाजा माना जाता है. जिन सैनिकों की याद में यह बनाया गया था उन के नाम इस इमारत पर अंकित हैं. इस के अंदर अखंड अमर जवान ज्योति जलती रहती है. दिल्ली का पर्यटन यहां आए बिना अधूरा है.
पुराना किला : पुराना किला आज दिल्ली का लोकप्रिय पिकनिक स्पौट बन कर उभर रहा है. यहां हरी घास और पुराने खंडहर हैं तो वहीं एक बोट क्लब भी है जहां सैलानी अपने परिवार के साथ नौकायन का आनंद उठाते हैं. इस में प्रवेश करने के 3 दरवाजे हैं. हुमायूं दरवाजा, तलकी दरवाजा और बड़ा दरवाजा. हालांकि वर्तमान में सिर्फ बड़े दरवाजे को प्रयोग में लाया जाता है.
जंतरमंतर : यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति का नायाब नमूना है. जंतरमंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है. ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं. यहां बना सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से समय और ग्रहों की स्थिति की सूचना देता है.
कुतुबमीनार : इस मीनार को देख कर स्मृतिपटल पर पीसा की झुकी हुई मीनार का चित्र उभर कर सामने आता है. भले ही इस मीनार के अंदर जाने के दरवाजे पर्यटकों के लिए बंद करा दिए गए हों पर यहां आने वाले सैलानियों की तादाद में कोई कमी नहीं आई है. यह मीनार मूल रूप से सातमंजिला थी पर अब यह पांचमंजिला ही रह गई है. इस मीनार की कुल ऊंचाई 75.5 मीटर है और इस में 379 सीढि़यां हैं. परिसर में और भी कई इमारतें हैं जो अपने ऐतिहासिक महत्त्व व वास्तुकला से सैलानियों का मन मोहती हैं. मीनार के करीब में चौथी शताब्दी में बना लौहस्तंभ भी दर्शनीय है.
 
दिल्ली के गार्डन
दिल्ली शहर ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जितना मशहूर है उतना ही दुर्लभ किस्म के पुष्पों से भरे उद्यानों के लिए भी जाना जाता है. यहां कई बेहतरीन गार्डन हैं जहां आ कर लगता है मानो किसी हिल स्टेशन पर आ गए हों. मुगल गार्डन की बात करें तो यहां तकरीबन 125 प्रकार के गुलाबों की खुशबू आप के दिल में उतर जाएगी. राष्ट्रपति भवन में स्थित यह गार्डन प्रकृतिप्रेमी पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना है.
13 एकड़ में फैले इस विशाल गार्डन में मुगलकाल व ब्रिटिशकाल की शैली का अद्भुत संगम परिलक्षित होता है. पर्ल गार्डन और बटरफ्लाय गार्डन जैसे कई बगीचों से मिल कर बना मुगल गार्डन 15 फरवरी से 15 मार्च तक आमजन के लिए खुलता है.
इसी तरह लोदी गार्डन भी खूबसूरत फौआरों, तालाब व रंगबिरंगे फूलों से सजा है. गार्डन में राष्ट्रीय बोनसाई पार्क भी है. कभी लेडी विलिंगटन पार्क के नाम से मशहूर रहे लोदी गार्डन में पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों समेत विविध किस्म के पक्षियों को देखना मजेदार अनुभव होता है. लोदी गार्डन के अलावा तालकटोरा गार्डन में रंगबिरंगे फूलों के साथसाथ स्टेडियम भी है जहां खेलों और कार्यक्रमों का समयसमय पर आयोजन होता रहता है.
संग्रहालय : शिल्प संग्रहालय यानी क्राफ्ट म्यूजियम में भारत की समृद्ध हस्तशिल्प कला को निहायत खूबसूरती से सजाया गया है. यहां अलगअलग जगहों से आए शिल्पकार प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं. यहां आदिवासी और ग्रामीण शिल्प व कपड़ों की गैलरी हैं. अगर आप को हर राज्य के आर्टिस्टों के हाथों से बनी चीजें देखने और खरीदने का शौक है तो प्रगति मैदान के गेट नंबर 2 के पास स्थित क्राफ्ट म्यूजियम आप के लिए ही है. आम विजिटर के लिए यहां प्रवेश हेतु 10 रुपए का टिकट है जबकि स्कूल और फिजिकली डिसएबल्स के लिए कोई टिकट नहीं है. सोमवार को यह बंद रहता है.
शिल्प संग्रहालय के पास ही डौल संग्रहालय भी है. विभिन्न परिधानों में सजी गुडि़यों का यह संग्रह, विश्व के बड़े संग्रहों में से एक है. बहादुरशाह जफर मार्ग पर नेहरू हाउस की बिल्डिंग में स्थित इस संग्रहालय में 85 देशों की करीब साढ़े 6 हजार से अधिक गुडि़यों का अद्भुत संग्रह है. वहीं, 1960 में स्थापित राष्ट्रीय संग्रहालय में लघु चित्रों का संग्रह है. इस में बनी संरक्षण प्रयोगशाला में छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है.
साउथ दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित रेल संग्रहालय भारतीय रेल के 140 साल के इतिहास की अभूतपूर्व झांकी पेश करता है. यहां रेल इंजनों के अनेक मौडल सहित देश का प्रथम रेल मौडल और इंजन भी देखा जा सकता है. यहां बच्चों के लिए एक टौय ट्रैन भी है.
चिडि़याघर : दिल्ली का चिडि़याघर पुराने किले के नजदीक है. इस विशाल चिडि़याघर में जानवरों और पक्षियों की हजारों प्रजातियां और सैकड़ों प्रकार के पेड़ हैं. यहां दुनियाभर से लाए गए पशुपक्षियों को देखना रोचक लगता है. यह गरमियों में सुबह 8 से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.
 
खाना, खरीदारी और मनोरंजन स्थल : दिल्ली में घुमक्कड़ों के लिए सिर्फ स्मारक और म्यूजियम ही नहीं हैं बल्कि मौजमस्ती, शौपिंग, इंटरटेनमैंट के साथ खानेपीने के भी अनेक विकल्प मौजूद हैं. बात खरीदारी की करें तो सब से पहला नाम कनाट प्लेस यानी सीपी मार्केट का आता है. दिल्ली के इस केंद्र बिंदु में सभी देशीविदेशी ब्रैंड्स के शोरूम तो हैं ही, साथ ही अंडरग्राउंड पालिका बाजार भी है, जो पूरी तरह से वातानुकूलित है. खरीदारी के साथ यहां खाने का भी पूरा इंतजाम है. यहां के इनर सर्किल में लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड के कपड़ों के शोरूम, रेस्टोरैंट और बार हैं. पास में ही जनपथ बाजार है जहां कई तरह का एंटीक सामान मिल जाता है.
इसी तरह पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इलाका, जहां विदेशी सैलानियों की भारी तादाद दिखती है, खानेपीने और खरीदारी के लिए मुफीद जगह है. दिल्ली आने वाले किसी भी व्यक्ति की यात्रा तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक वह चांदनी चौक न आए. यहां की परांठे वाली गली में तो जवाहर लाल नेहरू से ले कर अक्षय कुमार जैसी हस्तियां परांठों का लुत्फ उठा चुकी हैं.

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