यूरोपीय संघ की राजधानी के रूप में ब्रसेल्स एक बहुजातीय स्वरूप वाला गतिशील महानगर है जहां यूरोप की अनमोल स्थापत्यकला के साथसाथ कुछ बेजोड़ संग्रहालय भी देखने को मिलते हैं. इस का मतलब यह बिलकुल न निकालें कि यह एक नीरस शहर है. जहां एक ओर इस ने अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को संभाल कर रखा है, वहीं दूसरी ओर इस के रेस्तरां तथा नाइट लाइफ भी यूरोप के किसी अन्य नगर से कम नहीं हैं.

हमारी ब्रसेल्स यात्रा के साथ एक अजीबोगरीब दास्तान भी जुड़ी हुई है, जिस की वजह से शायद हम अपनी इस शहर की यात्रा को कभी भुला नहीं पाएंगे. हम हवाई जहाज से उतरने के बाद सामान ले कर आगे बढ़ रहे थे कि पीछे से एक आवाज हमारे कानों में पड़ी, ‘भाईजान, भाईजान.’

हम आश्चर्य में पड़ गए कि इस अनजान शहर में आए अभी कुछ मिनट ही गुजरे थे कि यह कौन हमारा परिचित यहां हमें बुला रहा है  असमंजस से जब हम ने मुड़ कर पीछे देखा तो एक 22-23 साल का नौजवान मुसकराता हुआ हमारे सामने आ कर खड़ा हो गया.

हम ने आत्मीयता से उस के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, ‘‘कहिए, हम आप की क्या मदद कर सकते हैं ’’ तब उस नौजवान ने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘भाईजान, मेरा नाम शकील है और मैं पाकिस्तान का रहने वाला हूं. आप को देख कर मुझे लगा कि शायद आप भी मेरे ही मुल्क के हैं.’’

हम ने उसे दिलासा देते हुए कहा, ‘‘हमारी सरहदें अलगअलग हैं पर इनसानियत के नाते तो हम आज भी भाईभाई हैं.’’ फिर शकील ने हमें जो आपबीती बताई उस का सारांश यह था कि वह ब्रसेल्स में एक जहाज पर काम करता था, जहां उस का अनुबंध समाप्त होने के बाद उस शिपिंग कंपनी ने उसे उस के बकाया वेतन का ड्राफ्ट बना कर दे दिया था और उस के हाथ में पाकिस्तान का टिकट. इस बीच उस ने एक दूसरी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया था और अगले ही दिन उस कंपनी ने उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन उस की समस्या यह थी कि हाथ में पर्याप्त नकदी न होने के कारण वह ब्रसेल्स के किसी होटल में नहीं रुक सकता था.

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