ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद को शिक्षा और साहित्य की राजधानी कहें तो यह अतिशयोक्ति न होगा. इस शहर से नेहरू खानदान का नाम जुड़ा है जिस ने देश को 3 प्रधानमंत्री दिए हैं.

इलाहाबाद शहर का मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में जिक्र किया है. इसे पहले प्रयाग नाम से जाना जाता था. समूचे उत्तर प्रदेश से ही नहीं बल्कि देशभर से छात्र पढ़ने के लिए यहां आते हैं. यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अलावा मोतीलाल नेहरू रीजनल इंजीनियरिंग कालिज, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रूरल टैक्नोलाजी और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा के बड़े संस्थान हैं. शाह आलम और क्लाइव लायड के बीच हुई ऐतिहासिक संधि के लिए भी यह शहर जाना जाता है. संगम इलाहाबाद के आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है.

दर्शनीय स्थल

इलाहाबाद का किला : इस का निर्माण अकबर ने 1583 में यमुना के तट पर करवाया था. इस किले की खासियत इस की संरचना और शिल्पकारी है. इस विशाल और भव्य किले में 3 गैलरियां हैं जो ऊंची मीनारों के सहारे टिकी हैं. यहां पर सरस्वती कूप, अशोक स्तंभ और जोधाबाई का रंगमहल भी देखा जा सकता है. किले के सामने जो अशोक स्तंभ बना है उस के बारे में कहा जाता है कि लार्ड कर्जन द्वारा कहीं और से ला कर इस को यहां पर स्थापित किया गया था.

खुसरो बाग : इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से कुछ कदमों की दूरी पर यह बाग स्थित है. इस को जहांगीर के पुत्र अमीर खुसरो ने बनवाया था. लकड़ी के विशाल दरवाजों वाला खुसरो बाग पत्थरों की दीवारों से घिरा है. यह मुगलकालीन कला का एक जीवंत उदाहरण है. इस बाग में अमीर खुसरो व उस की बहन सुलतानुन्निसा की कब्रों पर बना एक मकबरा भी है.

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