पोर्सिलेन एक पारभासक (ट्रांसल्यूसेंट) रंघ्रहीन (नानपोरस) पदार्थ है जिस का उपयोग मृत्तिका शिल्प में होता है. पोर्सिलेन यानी चीनीमिट्टी से बनी चीजें घरों, प्रयोगशालाओं और उद्योगों (ज्यादातर बिजली के उद्योग) में खूब काम आती हैं. पोर्सिलेन के बरतन तरल व गैसीय पदार्थों के लिए अभेद्य व अपारगम्य हैं तथा परिवर्तित होने वाले तापमान से काफी हद तक अप्रभावी रहते हैं.

पोर्सिलेन को काओलिन (पोर्सिलेन मिट्टी), क्वार्ट्ज (स्फटिक) व फेलस्पार के मिश्रण को आग में जला कर बनाया जाता है. सख्त पोर्सिलेन ज्यादातर 50% काओलिनाइट, 25% क्वार्ट्ज व 25% फेलस्पार के मिश्रण से बनाया जाता है. नर्म पोर्सिलेन में इन का अनुपात क्रमश: 25% 45%, तथा 30% होता है. नर्म पोर्सिलेन को कम ताप पर जलाया जा सकता है, अत: इस से चीजें बनाना सस्ता पड़ता है.

निर्माण की प्रक्रिया : चीनीमिट्टी के बरतन व अन्य चीजें बनाने की प्रक्रिया बहुत लंबी व जटिल है. काओलिनाइट एक तरह का मिट्टी खनिज (क्ले मिनरल) है, जो काओलिन में मौजूद होता है. काओलिन को धोने के बाद छाना जाता है और अच्छी तरह बारीक किए स्फटिक व फेलस्पार में पानी के साथ पूरी तरह मिलाया जाता है. इस मिश्रण में सोडा व अन्य चीजें भी मिलाई जाती हैं.

इस प्लास्टिक पोर्सिलेन के मिश्रण को अच्छी तरह साना व गूंधा जाता है और प्लास्टर के सांचों में ढाला जाता है. जब यह सूख जाता है तो इसे करीब 900 डिगरी सेंटिग्रेड ताप पर भट्ठी में पकाया जाता है. तब यह पोर्सिलेन सख्त व जलरोधी हो जाता है.

इस अवस्था में यह दिखने में चिकना व सुंदर नहीं होता. इसे चमकदार बनाने के लिए इस की ‘ग्लेजिंग‘ की जाती है.

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