सोशल नेटवर्किंग साइटों पर समय बिताना अभी भी समय की बर्बादी समझी जाती है. इस पर अधिक समय गुजारना मानसिक स्वास्थ्य पर अमूमन नकारात्मक प्रभाव डालता है, ऐसा समझा जाता है. लेकिन एक नए अध्ययन ने इन सारी बातों को सिरे से नकार दिया है और एक अलग ही पक्ष सामने रखा है. इनके मुताबिक कुछ लोगों के लिए फेसबुक और ट्विटर अवसाद को नियंत्रित करने का एक साधन हो सकता है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं.

अध्ययन के मुताबिक, किसी व्यक्ति के स्वस्थ होने में सोशल नेटवर्किंग का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ता है. पत्रिका 'साइबरसाइकोलॉजी, बिहैवियर एंड सोशल नेटवर्किंग' में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों और अवसाद के बीच बेहद जटिल संबंध हैं और कुछ लोग वर्चुअल मीडिया से भी सामाजिक समर्थन का फायदा उठाते हैं.

ब्रिटेन के लैनकास्टर यूनिवर्सिटी के डेविड बेकर और गुईलेरमो पेरेज द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, इस जटिल संबंध पर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, व्यवहार तथा व्यक्तिगत कारणों का प्रभाव पड़ सकता है. निष्कर्ष के मुताबिक, चिकित्सकों को अपने मरीजों को यह सलाह देनी चाहिए कि वे दवा के अलावा, सोशल सपोर्ट सिस्टम का भी सहारा लें.

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