उन दंपतियों के लिए खुशखबरी है जिन्हें बारबार गर्भपात की समस्या और जींसजनित रोगों से दोचार होना पड़ता था. ब्रिटेन में वैज्ञानिकों को भ्रूण के डीएनए यानी जींस में संशोधन करने की इजाजत मिल गई है. भ्रूण के डीएनए में संशोधन पर शोध लंदन स्थित फ्रांसिस क्रिक संस्थान में किया जाएगा और इस का मकसद मानव जीवन के शुरुआती लमहों को ज्यादा बारीकी से समझना होगा. इस प्रक्रिया में आईवीएफ मरीजों के दान से प्राप्त भ्रूण को जरूरत के हिसाब से संशोधित किया जाएगा और उन्हें ज्यादा दुरुस्त बनाया जाएगा. इस प्रयोग के शुरुआती चरण में वैज्ञानिक  निषेचित भ्रूण के 1 सप्ताह के अंदर प्रमुख नियामक माने जाने वाले जींस ओसीटी 4 की गतिविधियों को अवरुद्ध करेंगे.

संस्थान की टीम इस संपादित किए हुए जींस भ्रूण को किसी महिला के गर्भाशय में आरोपित नहीं करेगी. इस को प्रयोग के बाद नष्ट कर दिया जाएगा जिस से इस का दुरुपयोग न हो सके. जींस में बदलाव को ले कर खासा विवाद रहा है. कुछ लोगों का कहना है कि भ्रूण के डीएनए में छेड़छाड़ डिजाइनर संतान को पाने की ओर एक बढ़ता कदम है. इस से लोग मनमुताबिक रंगरूप वाली संतान चाहने की इच्छा रखेंगे जोकि अनैतिक होगा.

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