कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

जगदंबा इंडस्ट्री के मालिक की बेटी मीनल का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा था, केक काटा जा रहा था, तभी उस का दुपट्टा मोमबत्ती की लौ से छू गया. वहां अफरातफरी मच गई. रमन चद्दर लेने दौड़ा तो आर्यन ने आ कर उस के दुपट्टा और गाउन को उस से अलग किया. इस सब में आर्यन के हाथ जल गए थे. ठीक होने के बाद जब मीनल आर्यन से मिली तो उस का जला हुआ हाथ देख कर पिघल उठी और प्यार का अंकुर फूट गया.  यही प्यार हिंदूमुसलिम समाज के ठेकेदारों को रास न आया. क्या आर्यन और मीनल इतना सख्त विरोध के बावजूद एक हो सके?

नहाने के बाद मीनल जब शरीर पर बौडी लोशन लगाने लगी तो सीने के दाहिनी तरफ जा कर अचानक हाथ वहां आ कर थम गए, जहां एक सफेद निशान झांक रहा था. जले का वो निशान कब उन के प्रेम की निशानी बन गया था, वह आज भी सोचती है तो रोमांचित हो उठती है.

आर्यन के साथ उस की शादी कितनी फिल्मी थी. सामाजिक स्तर में भारी अंतर के साथसाथ शिक्षा से ले कर धर्म और जाति जैसे और भी बहुत से कारक थे, जो उन के रिश्ते के बीच बाधा बने हुए थे. लेकिन उस ने भी हिम्मत नहीं छोड़ी थी और आखिर उस बाधा दौड़ को जीत कर ही दम लिया था.

"अरे बेगम, घर में एक ही गुसलखाना है और बंदे को भी नहाना है. जरा जल्दी करेंगी आप?" आर्यन की आवाज सुन कर मीनल वर्तमान में आई. उस के इसी नफासत भरे लहजे पर तो फिदा थी मीनल. वह मुसकराती हुई फटाफट कपड़े पहन कर बाहर निकल आई. आर्यन बाथरूम के दरवाजे पर ही मिल गया. उस ने मीनल को एक भरपूर निगाह से देखा और आंखों ही आंखों में प्यार बरसाता हुआ नहाने चला गया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...