कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

समर गुल ने जानबूझ कर एक अभागे की हत्या कर दी थी. पठानों में ऐसी हत्या को बड़ी इज्जत की नजर से देखा जाता था और हत्यारे की समाज में धाक बैठ जाती थी. समर गुल की उमर ही क्या थी, अभी तो वह विद्यार्थी था. मामूली तकरार पर उस ने एक आदमी को चाकू घोंप दिया था और वह आदमी अस्पताल ले जाते हुए मर गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए समर गुल कबाइली इलाके की ओर भाग गया था.

जब वह वहां के गगनचुंबी पहाड़ों के पास पहुंचा तो उसे कुछ ऐसा सकून मिला, जैसे वे पहाड़ उस की सुरक्षा के लिए हों. सरहदें कितनी अच्छी होती हैं, इंसान को नया जन्म देती हैं. फिर भी यह इलाका उस के लिए अजनबी था, उसे कहीं शरण लेनी थी, किसी बड़े खान की शरण. क्योंकि मृतक के घर वाले किसी कबाइली आदमी को पैसे दे कर उस की हत्या करवा सकते थे. पठानों की यह रीत थी कि अगर वे किसी को शरण देते थे तो वे अपने मेहमान की जान पर खेल कर रक्षा करते थे.

वह एक पहाड़ी पर खड़ा था, उसे एक गांव की तलाश थी. दूर नीचे की ओर उसे कुछ भेड़बकरियां चरती दिखाई दीं. उस ने सोचा, पास ही कहीं आबादी होगी. वह रेवड़ के पास पहुंच कर इधरउधर देखने लगा. गड़रिया उसे कहीं दिखाई नहीं दिया.

अचानक एक काले बालों वाला कुत्ता भौंकता हुआ उस की ओर लपका. उस ने एक पत्थर उठा कर मारा, लेकिन कुत्ता नहीं रुका. उस ने चाकू निकाल लिया, तभी एक लड़की की आवाज आई, ‘‘खबरदार, कुत्ते पर चाकू चलाया तो...’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...