कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
0:00
12:24

वह उठ कर दूसरे कमरे में पहुंचा तो अवंतिका के पलंग पर नारी का खुशबूदार बदन था. अंधेरे में चादर उठा कर जब विशाल उस में घुसा तो वह चीखी. उसे छोड़ कर जब विशाल अपने बिस्तर में फिर घुसा तो हेमंत ने करवट बदली और विशाल के मुंह पर हाथ फेर धीरे से बोला, ‘‘तुम्हें ठंड तो नहीं लग रही है, प्रिये.’’

गुस्से में विशाल को भी हंसी आ गई. जोर से बोला, ‘‘नहीं, प्रिये.’’

हेमंत मुसकरा दिया.

सुबह हेमंत ने उस की कंपनी की खूब प्रशंसा की, ‘‘अवश्य तुम्हारी पदोन्नति होगी. किंतु क्या अवंतिका एक लायक पत्नी साबित होगी? वह तो हर आंदोलन में अगुआ बन नारे लगाने वालों में मिल जाती है. क्यों?’’

‘‘वह मेरी पत्नी है और मैं उस से प्रेम करता हूं. वह जो चाहे करे, मुझे कोई भी आपत्ति नहीं होगी. चाहे बिकनी पहने हुए भी नारे लगाए.’’

हेमंत की आंखें चमक गईं, ‘‘तुम्हारी कंपनी के खिलाफ भी?’’

विशाल ने जवाब नहीं दिया.

हेमंत आगे बढ़ा, ‘‘आज शाम हमारी बैठक होगी. तुम अवश्य आना. उस में तुम्हारा निजी हित होगा.’’

शाम को हेमंत ने सभा को संबोधित किया, ‘‘सज्जनो, आप को जान कर खुशी होगी कि आज मुंबई की एक बड़ी तेल कंपनी के उच्च पदाधिकारी विशालजी हमारे साथ हैं जो अपने नाम को सार्थक करते हुए विशाल हृदय रखते हैं और उन्होंने अपनी पत्नी अवंतिका को अनुमति दे दी है कि वह हमारे इस आंदोलन में केवल बिकनी पहन कर कलाकेंद्र के खिलाफ आवाज उठाएं. क्या आप लोग मेरे साथ हैं?’’

सब ने हाथ उठा कर आवाज लगाई, ‘‘जी, हां.’’

अवंतिका घबरा गई. इतना साहसिक कदम तोउस ने सोचा ही न था. समाचारपत्र क्या लिखेंगे, क्या दिखाएंगे?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...