‘‘इस अलबम में ऐसा क्या है कि तुम इसे अपने पास रखे रहते हो?’’ विनोद ने अपने साथी सुरेश के हाथ में पोर्नोग्राफी का अलबम देख कर कहा.

‘‘टाइम पास करने और आंखें सेंकने के लिए क्या यह बुरा है?’’

‘‘बारबार एक ही चेहरा और शरीर देख कर कब तक दिल भरता है?’’

‘‘तब क्या करें? किसी गांव में नदी किनारे जा कर नहा रही महिलाओं का लाइव शो देखें?’’ सुरेश ने कहा.

‘‘लाइव शो...’’ कह कर विनोद खामोश हो गया.

‘‘क्या हुआ? क्या कोई अम्मां याद आ गई?’’

‘‘नहीं, अम्मां तो नहीं याद आई. मैं सोच यह रहा हूं कि यहां दर्जनों लेडीज रोज आती हैं. क्या लाइव शो यहां नहीं हो सकता?’’

‘‘अरे यहां लेडीज कपड़े खरीदने आती हैं या लाइव शो करने?’’

दोपहर का वक्त था. इस बड़े शोरूम का स्टाफ खाना खाने गया हुआ था. विनोद और सुरेश इस बड़े शो रूम में सेल्समैन थे. इन की सोचसमझ बिगड़े युवाओं जैसी थी. खाली समय में आपस में भद्दे मजाक करना, अश्लील किताबें पढ़ना और ब्लू फिल्में व पोर्नोग्राफी का अलबम रखना इन के शौक थे.

लाइव शो शब्द सुरेश के दिमाग में घूम रहा था. रात को शोरूम बंद होने के बाद वह अपने दोस्त सिकंदर, जो तसवीरों और शीशों की फिटिंग की दुकान चलाता था, के पास पहुंचा.

ड्रिंक का दौर शुरू हुआ. फिर सुरेश में उस से कहा, ‘‘सिकंदर, कई कारों में काले शीशे होते हैं, जिन के एक तरफ से ही दिखता है. क्या कोई ऐसा मिरर भी होता है जिस में दोनों तरफ से दिखता हो?’’

‘‘हां, होता है. उसे टू वे मिरर कहते हैं. क्या बात है?’’

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