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‘‘प्लीज, एक मां की चिंता को तुम सही परिपे्रक्ष्य में देखना. मैं नहीं चाहती हूं कि वह अमीर बनने की अपनी चाह पूरी करने के लिए सहीगलत में फर्क करना छोड़ दे...या कोमल भावनाओं का गला घोंट कर मशीन बन जाए.

‘‘मैं ने एक दिन तुम्हें पार्क में देख कर उसे चंद बातें तुम्हारे बारे में वैसे ही बताई थीं. बाद में तुम से अपने संबंध प्रगाढ़ बनाने का फैसला उस ने खुद ही किया. तुम उस की फीस भर दोगे, ये जानने के बाद मैं ने तुम से मिलना जरूरी समझा और अपने घर लंच पर बुला लिया.

‘‘शुचि तुम्हारे करीब आई ही इसीलिए है कि तुम उस की आर्थिक सहायता करने में सक्षम हो, इस बात को समझना मेरे लिए कठिन नहीं. अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह कैसा भी दुस्साहसी कदम उठा सकती है और यही मेरी चिंता का कारण है,’’ सीमा की पलकें नम हो चली थीं.

‘‘तुम ने उसे मेरे जैसा क्यों कहा है, मैं समझ सकता हूं,’’ मैं उदास सी हंसी हंसा, ‘‘और मैं नहीं चाहूंगा कि वह मेरे जैसा बने. इस महल जैसे सुंदर घर में मैं खुद को आज बिलकुल अकेला पाता हूं. कभी मैं ने अपनों की तरफ ध्यान नहीं दिया और आज उन के पास मेरे लिए वक्त नहीं है.

‘‘तुम्हें प्यार में धोखा दे कर मैं ने अपना कैरियर बेहतर बनाने को अमीर घर की बेटी से शादी कर ली थी. उसे चमकदमक और मौजमस्ती भरी जिंदगी पसंद थी. हमारे दिलों के बीच प्रेम का गहरा रिश्ता कभी नहीं बन पाया. मैं ने अमीर बनने की दौड़ में अंधाधुंध दौड़ते हुए तब प्यार की इस कमी को गहराई से महसूस भी नहीं किया था.

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