दुनिया के सभी धर्म कपोल कल्पना और मिथ्या से भरे हैं. सब में भूतभगवान, पापपुण्य, स्वर्गनर्क की अवधारणा से डर और लालच दिखा कर लोगों को ठगा जा रहा है. सभी धर्मों का आधार ही अंधविश्वासों पर टिका हुआ है. यह इसलिए ताकि धर्म के ठेकेदारों के दानपात्र हमेशा भरे पड़े रहें. एक अमेरिकी लेखिका ट्रूडी डेरिस अपना एक अनुभव बताती है कि उस के पड़ोस में एक व्यक्ति एलेक्स कैंसर से मृत्यु के द्वार पर था. वह घर पर ही था क्योंकि उस की पत्नी की इच्छा थी कि उस की मृत्यु घर में हो, अस्पताल में न हो, अपनों के बीच में हो. जब एलेक्स बहुत बीमार था, ट्रूडी बताती है, उस ने उसे बुलाया और कहा कि कल रात उस के 3 भाई आए थे. तीनों के चेहरे चमक रहे थे.

तीनों स्वस्थ युवा थे और कहने लगे, ‘एलेक्स अब तुम भी हमारे साथ आ जाओ.’ असल में तीनों की मृत्यु कब की हो चुकी थी पर चूंकि वे स्वर्ग में गए थे, इसलिए प्रसन्न थे और एलेक्स को भी वहीं ले जाना चाहते थे. ट्रूडी हैरिस की बहुत सी पुस्तकें हैं. उन में एक है हैवन यानी स्वर्ग पर जो जम कर बिकती है. इन पुस्तकों के साथ स्वर्गनर्क की अवधारणा भी बिकती है और चर्चों के दानपात्र पैसों से भरते हैं. ट्रूडी डेरिस भी खुश, चर्च भी खुश. उस के भाई आए या नहीं, यह साबित करने वाला कोई नहीं. स्वर्गनर्क की धारणा का कमाल यही है कि उस का बारीकी से विवरण तो कई धर्मों में मिल जाएगा पर वहां से लौट कर कौन कब क्यों और कहां आया जिस ने विवरण लिखा, यह कोई नहीं बताता.

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