उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की हरैया तहसील का परशुरामपुर ब्लाक खेती के लिहाज से धनी इलाका माना जाता है. इसी ब्लाक के परशुरामपुरलकड़मंडी मार्ग पर पड़ने वाले गांव वेदीपुर के युवा किसान ध्रुवनारायन ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद नौकरी न करने की ठानी और वे अपनी पारिवारिक खेतीबारी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी ले कर आगे बढ़े.

उन्होंने खेतों में काम करते हुए पाया कि फसलों में उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध रासायनिक खादों व कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा?है, जिस की वजह से पैदावार सही नहीं मिल पा रही है.

कृषि के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने खेतों में जैविक खादों व जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की ठानी. इस के लिए उन्हें जरूरत थी पशुओं के गोबर की. लेकिन उन के पास केवल 2 गायें और 1 भैंस होने की वजह से यह मंशा पूरी होती नहीं दिख रहीथी. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न  खेती के साथसाथ डेरी का कारोबार भी किया जाए. इस से न केवल जैविक खेती के लिए गोबर की व्यवस्था होगी, बल्कि दूध से आमदनी भी बढ़ेगी.

सब से पहले उन्होंने 5 गायों से डेरी उद्योग शुरू करने की ठानी. उन्होंने पशुपालन विभाग व उस से जुड़े दूसरे विभागों से जानकारी इकट्ठा करने के बाद डेरी के लिए जरूरी टीनशेड, पशुशाला व रखरखाव का इंतजाम किया. फिर उन्होंने 5 गायों से अपनी डेरी की शुरुआत की.

शुरू में हर गाय से करीब 14 से 16 लीटर दूध मिल रहा था. इस तरह उन्होंने रोजाना करीब 80 लीटर दूध का उत्पादन करना शुरू किया. लेकिन जितनी लागत आती थी, उतना मूल्य नहीं मिल पाता था. इसलिए उन्होंने अपनी डेरी के दूध से डेरी उत्पाद बनाने की सोची. उन की डेरी से मिलने वाला दूध डेरी कारोबार शुरू करने के लिए काफी नहीं था. इस के लिए उन्हें और अधिक दूध की जरूरत थी, जिस से वे डेरी उत्पाद बनाने की शुरुआत कर सकें. उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे डेरी उद्योगों में जा कर वहां की मशीनों और उत्पादन तकनीकी की जानकारी ली और फिर घर वापस आने के बाद आसपास के दूसरे दूध उत्पादकों से दूध की खरीदारी कर बड़े स्तर पर डेरी उद्योग की शुरुआत करने का मन बनाया.

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